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Rajasthan: मां लक्ष्मी पर 2300 साल से जारी हो रहे सोने-चांदी के सिक्के, भारतीय ही नहीं, विदेशी शासकों ने भी अपनाई थी ये रीत

भारतीय ही नहीं, बल्कि विदेशी शासकों ने भी जारी किए थे मां लक्ष्मी अंकित सोने-चांदी के सिक्के. संग्रहालयों में मिलते हैं इसके प्रमाण.

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2300 साल से जारी हो रहे सोने-चांदी के सिक्के (ETV BHARAT KOTA)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 30, 2024, 10:19 AM IST

कोटा : दीपावली पर हर घर में ऐश्वर्य व वैभव की देवी मां लक्ष्मी की पूजा होती है. साथ ही ज्यादातर परिवार मां लक्ष्मी के अंकित सिक्के खरीदते हैं और उनका घर धन-धान्य से परिपूर्ण रहे इसकी कामना के साथ पूजा के उपरांत उन सिक्कों को सहेज कर रखते हैं. वहीं, वरिष्ठ मुद्रा विशेषज्ञ (न्यूमिजमाटिक्स) एडवोकेट शैलेश जैन कहते हैं कि दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के लिए सिक्के खरीदने की परंपरा रियासतकाल से चल आ रही है. देश के कई राजाओं यहां तक कि विदेशी राजाओं और मुगलों ने भी मां लक्ष्मी पर सिक्के जारी किए थे.

उन्होंने कहा कि मां लक्ष्मी अंकित सिक्कों को ऐश्वर्य, समृद्धि और खजाने में संपन्नता के लिए हिंदू शासकों ने सहेजकर रखा. यही रीत कई मुस्लिम शासकों ने भी अपनाए और मां लक्ष्मी पर सिक्के जारी किए, क्योंकि लक्ष्मी जी को सदियों से ऐश्वर्या, सौभाग्य की देवी के रूप में पूजा जाता रहा है. उन्होंने कहा कि करीब 2300 साल पहले भी मां लक्ष्मी की मूर्ति अंकित सिक्के जारी हुए थे. यहां तक कि विदेशी शासकों द्वारा जारी किए गए कुछ सिक्के आज भी ब्रिटिश और विदेशी म्यूजियम में रखे हैं. न्यूमिजमाटिक्स एडवोकेट शैलेश जैन ने बताया कि ईसा से 300 साल पहले यानी 2300 साल पूर्व भी मां लक्ष्मी की मूर्ति अंकित सिक्के मिले हैं. लगभग इसी कालखंड में माता लक्ष्मी पर सिक्के या मुद्रा जारी होना शुरू हुआ था.

न्यूमिजमाटिक्स शैलेश जैन (ETV BHARAT KOTA)

इसे भी पढ़ें - रूप चौदस, नरक चतुर्दशी और छोटी दीपावली आज, यमदेव को प्रसन्न करने के लिए करें ये काम

हाथी कर रहे वैभव की बौछार : न्यूमिजमाटिक्स जैन का कहना है कि उज्जैन के सिक्कों पर गज लक्ष्मी का अंकन मिलता है. ये सिक्के भी 2200 से 2300 साल पुराने हैं. इसमें मां लक्ष्मी कमल पर आसीन पर दिखती हैं तो कुछ सिक्कों में बैठी नजर आती हैं. साथ ही इसमें मां लक्ष्मी के दोनों तरफ हाथी दिखते हैं. ये दोनों हाथी अपनी सूंड को ऊपर उठाए वैभव की वर्षा करते हैं. कुषाणवंश के राजा कनिष्क के समय के सिक्के पर एक देवी नजर आती हैं, जो गेहूं की बालियां लिए खड़ी दिखती हैं, जिन्हें इतिहासकार मां लक्ष्मी मानते हैं. इसी तरह वर्तमान में भी लक्ष्मी जी का यही स्वरूप देखता है.

विदेशी म्यूजियम की शोभा बढ़ा रहे मां लक्ष्मी अंकित सिक्के : भारत में आए विदेशी शासक इंडो सीथियन राजाओं ने मां लक्ष्मी के गजलक्ष्मी वाले सिक्के जारी किए थे. इनमें राजा एजायलिस का एक सिक्का यूनाइटेड किंगडम के एशमोलियन म्यूजियम और दूसरा ब्रिटिश म्यूजियम में रखा है. इसी तरह से पांचाल राज्य में फाल्गुनी मित्र ने पहली शताब्दी के दौरान सिक्का जारी किया था. वहीं, मथुरा काफी प्राचीन साम्राज्य रहा और मथुरा के आसपास के छत्रपों और स्थानीय राजाओं ने भी अधिकांश सिक्कों पर मां लक्ष्मी का अंकन करवाया था. सातवाहन वंश, विदर्भ के राजाओं व भद्रा साम्राज्य के सत्यभद्रा ने भी सिक्कों पर मां लक्ष्मी का अंकन कराया था.

इसे भी पढ़ें - नहीं होगी अकाल मृत्यु, नरक चतुर्दशी को जलाए यम का दिया, परिवार में आएगी समृद्धि

गुप्त साम्राज्य में जारी हुए सर्वाधिक सोने के सिक्के : भारत में गुप्त साम्राज्य के दौरान कई राजा हुए और उन्होंने 200 साल से ज्यादा राज किया. सबसे बेहतर और अच्छे सिक्के इस दौर में जारी किए गए. जिन पर मां लक्ष्मी की मूर्तियां अंकित की गई. वहीं, इस समयावधि में सोने के सिक्के जारी हुए, जो देखने में काफी मनोहर थे. कई म्यूजियम में आज भी गुप्तकालीन सोने के सिक्कों को सहेजकर रखा गया है. कलचुरी साम्राज्य के गांगेय देव ने भी सोने के सिक्के जारी किए थे.

मुस्लिम शासकों ने भी इस परंपरा को बढ़ाया : एडवोकेट शैलेश जैन ने कहते हैं कि मालवा के परमार, गुजरात के चालुक्य, आठवीं से दसवीं शताब्दी में राष्ट्रकूट के राजाओं और 11वीं शताब्दी में चौहान राजा अजय देव ने भी मां लक्ष्मी अंकित सिक्के जारी किए थे. इसी प्रकार चौथी शताब्दी में कश्मीर के राज हर्ष देव, गढ़वाल के राजा गोविंद चंद्र देव व बुंदेलखंड के चंदेल राजा वीर वर्मा देव ने भी सिक्के जारी किए. वहीं, मुस्लिम शासक मोहम्मद गोरी ने भी मां लक्ष्मी अंकित सिक्के जारी किया था और इसके प्रमाण भी आज मौजूद हैं, जिन्हें म्यूजियम में सहेजकर रखा गया है.

कोटा : दीपावली पर हर घर में ऐश्वर्य व वैभव की देवी मां लक्ष्मी की पूजा होती है. साथ ही ज्यादातर परिवार मां लक्ष्मी के अंकित सिक्के खरीदते हैं और उनका घर धन-धान्य से परिपूर्ण रहे इसकी कामना के साथ पूजा के उपरांत उन सिक्कों को सहेज कर रखते हैं. वहीं, वरिष्ठ मुद्रा विशेषज्ञ (न्यूमिजमाटिक्स) एडवोकेट शैलेश जैन कहते हैं कि दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के लिए सिक्के खरीदने की परंपरा रियासतकाल से चल आ रही है. देश के कई राजाओं यहां तक कि विदेशी राजाओं और मुगलों ने भी मां लक्ष्मी पर सिक्के जारी किए थे.

उन्होंने कहा कि मां लक्ष्मी अंकित सिक्कों को ऐश्वर्य, समृद्धि और खजाने में संपन्नता के लिए हिंदू शासकों ने सहेजकर रखा. यही रीत कई मुस्लिम शासकों ने भी अपनाए और मां लक्ष्मी पर सिक्के जारी किए, क्योंकि लक्ष्मी जी को सदियों से ऐश्वर्या, सौभाग्य की देवी के रूप में पूजा जाता रहा है. उन्होंने कहा कि करीब 2300 साल पहले भी मां लक्ष्मी की मूर्ति अंकित सिक्के जारी हुए थे. यहां तक कि विदेशी शासकों द्वारा जारी किए गए कुछ सिक्के आज भी ब्रिटिश और विदेशी म्यूजियम में रखे हैं. न्यूमिजमाटिक्स एडवोकेट शैलेश जैन ने बताया कि ईसा से 300 साल पहले यानी 2300 साल पूर्व भी मां लक्ष्मी की मूर्ति अंकित सिक्के मिले हैं. लगभग इसी कालखंड में माता लक्ष्मी पर सिक्के या मुद्रा जारी होना शुरू हुआ था.

न्यूमिजमाटिक्स शैलेश जैन (ETV BHARAT KOTA)

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हाथी कर रहे वैभव की बौछार : न्यूमिजमाटिक्स जैन का कहना है कि उज्जैन के सिक्कों पर गज लक्ष्मी का अंकन मिलता है. ये सिक्के भी 2200 से 2300 साल पुराने हैं. इसमें मां लक्ष्मी कमल पर आसीन पर दिखती हैं तो कुछ सिक्कों में बैठी नजर आती हैं. साथ ही इसमें मां लक्ष्मी के दोनों तरफ हाथी दिखते हैं. ये दोनों हाथी अपनी सूंड को ऊपर उठाए वैभव की वर्षा करते हैं. कुषाणवंश के राजा कनिष्क के समय के सिक्के पर एक देवी नजर आती हैं, जो गेहूं की बालियां लिए खड़ी दिखती हैं, जिन्हें इतिहासकार मां लक्ष्मी मानते हैं. इसी तरह वर्तमान में भी लक्ष्मी जी का यही स्वरूप देखता है.

विदेशी म्यूजियम की शोभा बढ़ा रहे मां लक्ष्मी अंकित सिक्के : भारत में आए विदेशी शासक इंडो सीथियन राजाओं ने मां लक्ष्मी के गजलक्ष्मी वाले सिक्के जारी किए थे. इनमें राजा एजायलिस का एक सिक्का यूनाइटेड किंगडम के एशमोलियन म्यूजियम और दूसरा ब्रिटिश म्यूजियम में रखा है. इसी तरह से पांचाल राज्य में फाल्गुनी मित्र ने पहली शताब्दी के दौरान सिक्का जारी किया था. वहीं, मथुरा काफी प्राचीन साम्राज्य रहा और मथुरा के आसपास के छत्रपों और स्थानीय राजाओं ने भी अधिकांश सिक्कों पर मां लक्ष्मी का अंकन करवाया था. सातवाहन वंश, विदर्भ के राजाओं व भद्रा साम्राज्य के सत्यभद्रा ने भी सिक्कों पर मां लक्ष्मी का अंकन कराया था.

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गुप्त साम्राज्य में जारी हुए सर्वाधिक सोने के सिक्के : भारत में गुप्त साम्राज्य के दौरान कई राजा हुए और उन्होंने 200 साल से ज्यादा राज किया. सबसे बेहतर और अच्छे सिक्के इस दौर में जारी किए गए. जिन पर मां लक्ष्मी की मूर्तियां अंकित की गई. वहीं, इस समयावधि में सोने के सिक्के जारी हुए, जो देखने में काफी मनोहर थे. कई म्यूजियम में आज भी गुप्तकालीन सोने के सिक्कों को सहेजकर रखा गया है. कलचुरी साम्राज्य के गांगेय देव ने भी सोने के सिक्के जारी किए थे.

मुस्लिम शासकों ने भी इस परंपरा को बढ़ाया : एडवोकेट शैलेश जैन ने कहते हैं कि मालवा के परमार, गुजरात के चालुक्य, आठवीं से दसवीं शताब्दी में राष्ट्रकूट के राजाओं और 11वीं शताब्दी में चौहान राजा अजय देव ने भी मां लक्ष्मी अंकित सिक्के जारी किए थे. इसी प्रकार चौथी शताब्दी में कश्मीर के राज हर्ष देव, गढ़वाल के राजा गोविंद चंद्र देव व बुंदेलखंड के चंदेल राजा वीर वर्मा देव ने भी सिक्के जारी किए. वहीं, मुस्लिम शासक मोहम्मद गोरी ने भी मां लक्ष्मी अंकित सिक्के जारी किया था और इसके प्रमाण भी आज मौजूद हैं, जिन्हें म्यूजियम में सहेजकर रखा गया है.

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