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धनतेरस पर ही क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस?, क्या संबंध है भगवान धनवंतरी का इस दिन से, जानें

आयुर्वेद के ज्ञान का श्रेय भगवान ब्रह्मा से प्राप्त दिव्य चिकित्सक धनवंतरी को दिया जाता है. यह दिवस धनवंतरी के योगदान का सम्मान करता है.

Why is National Ayurveda Day celebrated on Dhanteras only?
धनतेरस पर ही क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस?, क्या संबंध है भगवान धनवंतरी का इस दिन से, जानें (CANVA)
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By ETV Bharat Lifestyle Team

Published : Oct 29, 2024, 6:00 AM IST

हैदराबाद : राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस हर साल धन्वंतरि जयंती पर मनाया जाता है, जिसे धनतेरस के नाम से भी जाना जाता है. यह दिन आयुर्वेद को भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में बढ़ावा देने और रोग की रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्धन में इसकी भूमिका को उजागर करने के लिए मनाया जाता है. आयुर्वेद मानवता की मूल स्वास्थ्य परंपरा है. यह केवल एक चिकित्सा प्रणाली नहीं है, बल्कि प्रकृति के साथ हमारे संबंध की पहचान है. यह स्वास्थ्य सेवा की एक प्रलेखित प्रणाली है, जहां बीमारी की रोकथाम और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने पर विचार किया जाता है.

आयुर्वेद दिवस का लक्ष्य आयुर्वेद और उसके अद्वितीय उपचार सिद्धांतों की शक्तियों पर ध्यान फोकस करना है. इसके अलावा इसका मकसद आयुर्वेद की क्षमता का उपयोग करके रोग और संबंधित मृत्यु दर को कम करने की दिशा में कार्य करना और समाज में चिकित्सा के आयुर्वेदिक सिद्धांतों को बढ़ावा देना भी है. यह दिन देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों के साथ मनाया जाता है. आयुष मंत्रालय 3-4 आयुर्वेद विशेषज्ञों को राष्ट्रीय धन्वंतरि आयुर्वेद पुरस्कार भी प्रदान करता है.

इतिहास और अहमियत
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान धन्वंतरि को देवताओं का चिकित्सक माना जाता है और इसलिए हर साल धन्वंतरि जयंती पर आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है. वेद और पुराणों में भगवान धन्वंतरि को देवताओं के चिकित्सक और आयुर्वेद के देवता के रूप में दर्शाया गया है. इसलिए आयुर्वेद के देवता की जयंती को आयुष मंत्रालय द्वारा "राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस" ​​के रूप में मनाया जाता है.

आयुर्वेद चिकित्सा की पारंपरिक प्रणाली है जिसकी उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी. यह समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए शरीर, मन और आत्मा में संतुलन प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करता है. आयुर्वेद शब्द दो संस्कृत शब्दों से लिया गया हैआयु, जिसका अर्थ है जीवन, और वेद, जिसका अर्थ है ज्ञान. इस प्रकार, आयुर्वेद शब्द जीवन के ज्ञान को दर्शाता है. भारत सरकार आयुर्वेदिक सिद्धांतों, औषधीय जड़ी-बूटियों और जीवनशैली प्रथाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 2016 से हर साल धनवंतरी जयंती (धनतेरस) पर आयुर्वेद दिवस मना रही है. भारत में, आयुर्वेद के ज्ञान का श्रेय भगवान ब्रह्मा से प्राप्त दिव्य चिकित्सक धनवंतरी को दिया जाता है.आयुर्वेद दिवस भगवान धनवंतरी के योगदान का सम्मान करता है, जिसका उद्देश्य आयुर्वेद के मूलभूत सिद्धांतों, उपचार प्रथाओं और जीवनशैली दृष्टिकोणों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है.

थीम
इस वर्ष की थीम, वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद नवाचार(Ayurveda Innovations for Global Health), वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दों को संबोधित करने के लिए आयुर्वेदिक नवाचार को बढ़ावा देने पर केंद्रित है.

मुख्य उद्देश्यों में शामिल हैं

नॉन कम्युनिकेबल डिजीज (एनसीडी) और एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध का मुकाबला करना.

जलवायु परिवर्तन, वृद्धावस्था और मानसिक स्वास्थ्य, और पोषण संबंधी डिसऑर्डर से संबंधित चुनौतियों का समाधान करना.

निवारक स्वास्थ्य और समग्र कल्याण पर जोर देना.

संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (united nations sustainable development goals) और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (Universal health coverage) दृष्टिकोण का समर्थन करना.

एक्टिविटी
आयुर्वेद का जश्न मनाने और इसके लाभों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए 21 अक्टूबर से 29 अक्टूबर 2024 तक कई कार्यक्रमों की योजना बनाई गई थी. गतिविधियों में वैश्विक जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए अभियान, स्वास्थ्य और कल्याण के प्रबंधन पर शैक्षिक व्याख्यान, सार्वजनिक रैलियाँ और निःशुल्क निदान शिविर शामिल थे. इस पहल का उद्देश्य समुदाय को शामिल करना और आयुर्वेदिक प्रथाओं की प्रभावकारिता को प्रदर्शित करना था. अभियान का समापन स्वास्थ्य और कल्याण के लिए आशीर्वाद मांगने वाले एक विशेष समारोह के साथ हुआ.

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हैदराबाद : राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस हर साल धन्वंतरि जयंती पर मनाया जाता है, जिसे धनतेरस के नाम से भी जाना जाता है. यह दिन आयुर्वेद को भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में बढ़ावा देने और रोग की रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्धन में इसकी भूमिका को उजागर करने के लिए मनाया जाता है. आयुर्वेद मानवता की मूल स्वास्थ्य परंपरा है. यह केवल एक चिकित्सा प्रणाली नहीं है, बल्कि प्रकृति के साथ हमारे संबंध की पहचान है. यह स्वास्थ्य सेवा की एक प्रलेखित प्रणाली है, जहां बीमारी की रोकथाम और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने पर विचार किया जाता है.

आयुर्वेद दिवस का लक्ष्य आयुर्वेद और उसके अद्वितीय उपचार सिद्धांतों की शक्तियों पर ध्यान फोकस करना है. इसके अलावा इसका मकसद आयुर्वेद की क्षमता का उपयोग करके रोग और संबंधित मृत्यु दर को कम करने की दिशा में कार्य करना और समाज में चिकित्सा के आयुर्वेदिक सिद्धांतों को बढ़ावा देना भी है. यह दिन देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों के साथ मनाया जाता है. आयुष मंत्रालय 3-4 आयुर्वेद विशेषज्ञों को राष्ट्रीय धन्वंतरि आयुर्वेद पुरस्कार भी प्रदान करता है.

इतिहास और अहमियत
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान धन्वंतरि को देवताओं का चिकित्सक माना जाता है और इसलिए हर साल धन्वंतरि जयंती पर आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है. वेद और पुराणों में भगवान धन्वंतरि को देवताओं के चिकित्सक और आयुर्वेद के देवता के रूप में दर्शाया गया है. इसलिए आयुर्वेद के देवता की जयंती को आयुष मंत्रालय द्वारा "राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस" ​​के रूप में मनाया जाता है.

आयुर्वेद चिकित्सा की पारंपरिक प्रणाली है जिसकी उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी. यह समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए शरीर, मन और आत्मा में संतुलन प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करता है. आयुर्वेद शब्द दो संस्कृत शब्दों से लिया गया हैआयु, जिसका अर्थ है जीवन, और वेद, जिसका अर्थ है ज्ञान. इस प्रकार, आयुर्वेद शब्द जीवन के ज्ञान को दर्शाता है. भारत सरकार आयुर्वेदिक सिद्धांतों, औषधीय जड़ी-बूटियों और जीवनशैली प्रथाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 2016 से हर साल धनवंतरी जयंती (धनतेरस) पर आयुर्वेद दिवस मना रही है. भारत में, आयुर्वेद के ज्ञान का श्रेय भगवान ब्रह्मा से प्राप्त दिव्य चिकित्सक धनवंतरी को दिया जाता है.आयुर्वेद दिवस भगवान धनवंतरी के योगदान का सम्मान करता है, जिसका उद्देश्य आयुर्वेद के मूलभूत सिद्धांतों, उपचार प्रथाओं और जीवनशैली दृष्टिकोणों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है.

थीम
इस वर्ष की थीम, वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद नवाचार(Ayurveda Innovations for Global Health), वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दों को संबोधित करने के लिए आयुर्वेदिक नवाचार को बढ़ावा देने पर केंद्रित है.

मुख्य उद्देश्यों में शामिल हैं

नॉन कम्युनिकेबल डिजीज (एनसीडी) और एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध का मुकाबला करना.

जलवायु परिवर्तन, वृद्धावस्था और मानसिक स्वास्थ्य, और पोषण संबंधी डिसऑर्डर से संबंधित चुनौतियों का समाधान करना.

निवारक स्वास्थ्य और समग्र कल्याण पर जोर देना.

संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (united nations sustainable development goals) और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (Universal health coverage) दृष्टिकोण का समर्थन करना.

एक्टिविटी
आयुर्वेद का जश्न मनाने और इसके लाभों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए 21 अक्टूबर से 29 अक्टूबर 2024 तक कई कार्यक्रमों की योजना बनाई गई थी. गतिविधियों में वैश्विक जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए अभियान, स्वास्थ्य और कल्याण के प्रबंधन पर शैक्षिक व्याख्यान, सार्वजनिक रैलियाँ और निःशुल्क निदान शिविर शामिल थे. इस पहल का उद्देश्य समुदाय को शामिल करना और आयुर्वेदिक प्रथाओं की प्रभावकारिता को प्रदर्शित करना था. अभियान का समापन स्वास्थ्य और कल्याण के लिए आशीर्वाद मांगने वाले एक विशेष समारोह के साथ हुआ.

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