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आईटीबीपी में सब इंस्पेक्टर बेटी ने पिता को दी मुखाग्नि, सिर मुंडाकर संपन्न कराए कर्मकांड

गाजीपुर के जमानिया तहसील के तियरी गांव का मामला. आईटीबीपी में सब इंस्पेक्टर है बेटी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Updated : 2 hours ago

पिता के लिए कर्मकांड करातीं गरिमा सिंह.
पिता के लिए कर्मकांड करातीं गरिमा सिंह. (Photo Credit: ETV Bharat)

गाजीपुर : बेटियां किसी भी मामले में बेटों से पीछे नहीं है. हालांकि पुरुष प्रधान समाज में कई ऐसे काम और संस्कार हैं जो महिलाओं के लिए प्रतिबंधित हैं. इसके बावजूद महिलाएं और बेटियां अब आगे आने लगी हैं. ऐसा है उदाहरण गाजीपुर जिले में देखने को मिला है. यहां एक बेटी ने अपने पिता की मौत के बाद अपना मुंडन कराया और मुखाग्नि भी दी. इस बात की चर्चा और सराहना क्षेत्र में हो रही है.


मामला गाजीपुर के जमानिया तहसील के तियरी गांव का है. यहां रहने वाली गरिमा सिंह आईटीबीपी में सब इंस्पेक्टर हैं. गरिमा के पिता विजयी यादव (70) की मौत 2 अक्टूबर को इलाज के दौरान हो गई थी. गरिमा का कोई भी भाई नहीं है. ऐसे में गरिमा ने पिता को मुखाग्नि दी और अपना मुंडन कराकर पिंडदान व अन्य कर्मकांड कराए.


बताया गया कि गरिमा अपने पिता के निधन के बाद प्रतिदिन मृत्यु संस्कार के तहत किए जाने वाले कर्मकांड के तहत प्रतिदिन सुबह-शाम पीपल के पेड़ के पास जाकर जल देने के साथ ही गरुड़ पुराण सुनने और अन्य धार्मिक रीति रिवाज को भी निभा रही हैं. भले ही वह अपनी पिता की बेटी हैं, लेकिन अपने इस कर्तव्य के चलते बेटे का फर्ज पूरा कर अन्य कई लोगों को भी एक नसीहत देने का काम किया है. गरिमा सिंह के इस काम की सराहना ग्रामीण और आसपास के गांवों के लोग भी कर रहे हैं.


गाजीपुर : बेटियां किसी भी मामले में बेटों से पीछे नहीं है. हालांकि पुरुष प्रधान समाज में कई ऐसे काम और संस्कार हैं जो महिलाओं के लिए प्रतिबंधित हैं. इसके बावजूद महिलाएं और बेटियां अब आगे आने लगी हैं. ऐसा है उदाहरण गाजीपुर जिले में देखने को मिला है. यहां एक बेटी ने अपने पिता की मौत के बाद अपना मुंडन कराया और मुखाग्नि भी दी. इस बात की चर्चा और सराहना क्षेत्र में हो रही है.


मामला गाजीपुर के जमानिया तहसील के तियरी गांव का है. यहां रहने वाली गरिमा सिंह आईटीबीपी में सब इंस्पेक्टर हैं. गरिमा के पिता विजयी यादव (70) की मौत 2 अक्टूबर को इलाज के दौरान हो गई थी. गरिमा का कोई भी भाई नहीं है. ऐसे में गरिमा ने पिता को मुखाग्नि दी और अपना मुंडन कराकर पिंडदान व अन्य कर्मकांड कराए.


बताया गया कि गरिमा अपने पिता के निधन के बाद प्रतिदिन मृत्यु संस्कार के तहत किए जाने वाले कर्मकांड के तहत प्रतिदिन सुबह-शाम पीपल के पेड़ के पास जाकर जल देने के साथ ही गरुड़ पुराण सुनने और अन्य धार्मिक रीति रिवाज को भी निभा रही हैं. भले ही वह अपनी पिता की बेटी हैं, लेकिन अपने इस कर्तव्य के चलते बेटे का फर्ज पूरा कर अन्य कई लोगों को भी एक नसीहत देने का काम किया है. गरिमा सिंह के इस काम की सराहना ग्रामीण और आसपास के गांवों के लोग भी कर रहे हैं.


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Last Updated : 2 hours ago
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