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लहसुन मसाला है या सब्जी? कानूनी पेंच में उलझी बिक्री, हाई कोर्ट ने बताया लहसुन है... - garlic spice or vegetable case

लहसुन सब्जी है या फिर मसाला यह विवाद लंबे समय से चल रहा था. इस पर इंदौर हाई कोर्ट ने रिव्यू पिटीशन पर फैसला सुनाते हुए कहा कि, ''सिंगल बेंच का आदेश सही था. लहसुन को किसान कहीं भी बचने के लिए स्वतंत्र हैं.''

GARLIC SPICE OR VEGETABLE CASE
लहसुन पर हाईकोर्ट का फैसला (ETV Bharat Graphics)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 11, 2024, 2:04 PM IST

Updated : Aug 11, 2024, 4:42 PM IST

इंदौर: आमतौर पर हर प्रकार की सब्जियों में स्वाद बढ़ाने वाला लहसुन सब्जी है या मसाला? इसे लेकर मध्य प्रदेश में लंबी कानूनी लड़ाई चल रही है. स्थिति यह है कि मंडी बोर्ड, आलू प्याज कमीशन एसोसिएशन और हाई कोर्ट के बीच कई सालों से विचाराधीन इस मामले के चलते प्रदेश के किसान लहसुन की फसल सब्जी मंडी के अलावा कृषि उपज मंडी में बेचने को मजबूर हैं. हालांकि, हाल ही में इस मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट इंदौर ने किसानों को अपनी सुविधा के अनुसार कृषि उपज मंडी या फिर सब्जी मंडी में अपनी सुविधा के अनुसार बेचने की सहूलियत देने का फैसला किया है.

लहसुन मसाला है या सब्जी (ETV Bharat)

लहसुन व्यापारी मुकेश सोमानी ने कृषि उपज मंडी बोर्ड में की अपील

गौरतलब है, मध्य प्रदेश के कृषि उपज मंडी उपविधि अधिनियम 1972 के अंतर्गत अनाज फल और सब्जी को बेचने की जो व्यवस्था है, उसमें लहसुन को मसाले की सूची में रखा गया है. हालांकि, आम उपयोग में लहसुन सब्जी ही है. जिसे अन्य सब्जियों की तरह प्रदेश की मंडियों में नीलामी के जरिए बेचा जाता है. इसलिए कानूनी प्रक्रिया में उलझा लहसुन 2007 में मंदसौर के लहसुन व्यापारी मुकेश सोमानी ने कृषि उपज मंडी बोर्ड में अपील की थी कि लहसुन को कृषि उपज मंडी में बेचा जाए.

मंडी बोर्ड ने लहसुन की खरीदी को किया ऐच्छिक

इस मामले में जब दूसरे पक्ष आलू प्याज कमीशन एसोसिएशन ने सब्जी मंडी में खुली बोली के जरिए ही खरीदने की वर्षों पुरानी व्यवस्था बताते हुए अपना पक्ष रखा, तो मंडी बोर्ड ने लहसुन की खरीदी को ऐच्छिक कर दिया था. मंडी बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ फिर अपील की गई कि लहसुन की तरह फिर अन्य कृषि उपज मसाले को भी सब्जी मंडी में बेचने की मांग की जा सकती है. इस आधार पर फिर प्रमुख सचिव ने लहसुन को कृषि उपज मंडी में ही खरीदने के आदेश दिए.

इंदौर हाई कोर्ट की डबल बेंच का फैसला

इससे परेशान सब्जी मंडी के लहसुन व्यापारियों ने प्रमुख सचिव के आदेश के खिलाफ इंदौर हाई कोर्ट में अपील की. इस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने फिर आदेश दिया कि लहसुन को किसान कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र हैं. हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ मुकेश सोमानी की ओर से डबल बेंच में अपील की गई जिसमें हाई कोर्ट की डबल बेंच ने लहसुन को कृषि उपज मानते हुए उसे सब्जी मंडी में बेचने की व्यवस्था खत्म करके पूर्व में प्रमुख सचिव मध्य प्रदेश शासन द्वारा दिए गए आदेश को यथावत रखा.

रिव्यू पिटीशन में हाई कोर्ट ने दिया ये फैसला

इसके बाद फिर आलू प्याज कमिशन एसोसिएशन ने हाई कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल किया. जिसमें हाई कोर्ट ने अब यह व्यवस्था दी, कि किसान अपनी सुविधा के अनुसार लहसुन की फसल को कृषि उपज मंडी के अलावा सब्जी मंडी में व्यापारियों को अपनी उपज बेच सकेगा. इस मामले में आलू प्याज कमीशन एसोसिएशन के वकील अजय बागड़िया ने बताया, "कोर्ट ने रिव्यू पिटीशन स्वीकार करके शासन को निर्देश दिए हैं, कि किसान लहसुन को कृषि उपज मंडी के अलावा सब्जी मंडी में भी बेचने के लिए स्वतंत्र हैं."

कृषि उपज मंडी में किसान को होती है यें परेशानियां

लहसुन को कृषि उपज मंडी में बेचने पर किसानों को परेशानी यह है, कि उन्हें जब तक उनकी उपज बिक न जाए तब तक सुरक्षा के लिहाज से फसल के साथ रहना पड़ता है. फसल बिकने के एक-दो दिन बाद उसके खाते में मंडी बोर्ड द्वारा आरटीजीएस किया जाता है. जिससे किसान को बाजार की दर से अपनी उपज का पूरा दम मिल जाता है. वहीं सब्जी मंडी में व्यापारियों को फसल बेचने की स्थिति में 2% आढ़त प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष तौर पर किसानों को ही चुकाना पड़ता है. हालांकि यह प्रथा सब्जी मंडी में बंद किया जाना बताया गया है. वहीं सब्जी मंडी के व्यापारियों का कहना है कि 2% आढ़त व्यापारियों के लेनदेन में होता है. किसान से उसका लेना देना नहीं है.

सब्जी मंडी में व्यापारी तय करतें है फसल के दाम

सब्जी मंडी में लहसुन खरीदने के दौरान मंडी के व्यापारी न केवल उपज की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं, बल्कि किसान को मंडी में उपज बिकने तक रहने खाने और सोने आदि की पूरी व्यवस्था उपलब्ध कराते हैं. हालांकि, इस व्यवस्था में लहसुन के भाव और बोली तय करना व्यापारियों पर निर्भर करता है. जिसमें कई बार किसान की फसल के कम दाम लगाए जाते हैं और किसान को अपनी ही उपज के पूरे दाम मिलने को लेकर शंका रहती है, हालांकि बोली और नीलामी के दौरान किस पर निर्भर करता है कि वह अपनी उपज बेचना चाहता है अथवा नहीं.

यहां पढ़ें...

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18000 से 20000 रुपए क्विंटल हुए लहसुन के दाम

दरअसल, मध्य प्रदेश में फिलहाल 15 से 20000 क्विंटल लहसुन की आवक नीमच, मंदसौर, छिंदवाड़ा, भोपाल, बदनावर के अलावा इंदौर के विभिन्न इलाकों से होती है. जिसकी अधिकांश खरीदी मंदसौर और नीमच मंडी में होती है.

इंदौर: आमतौर पर हर प्रकार की सब्जियों में स्वाद बढ़ाने वाला लहसुन सब्जी है या मसाला? इसे लेकर मध्य प्रदेश में लंबी कानूनी लड़ाई चल रही है. स्थिति यह है कि मंडी बोर्ड, आलू प्याज कमीशन एसोसिएशन और हाई कोर्ट के बीच कई सालों से विचाराधीन इस मामले के चलते प्रदेश के किसान लहसुन की फसल सब्जी मंडी के अलावा कृषि उपज मंडी में बेचने को मजबूर हैं. हालांकि, हाल ही में इस मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट इंदौर ने किसानों को अपनी सुविधा के अनुसार कृषि उपज मंडी या फिर सब्जी मंडी में अपनी सुविधा के अनुसार बेचने की सहूलियत देने का फैसला किया है.

लहसुन मसाला है या सब्जी (ETV Bharat)

लहसुन व्यापारी मुकेश सोमानी ने कृषि उपज मंडी बोर्ड में की अपील

गौरतलब है, मध्य प्रदेश के कृषि उपज मंडी उपविधि अधिनियम 1972 के अंतर्गत अनाज फल और सब्जी को बेचने की जो व्यवस्था है, उसमें लहसुन को मसाले की सूची में रखा गया है. हालांकि, आम उपयोग में लहसुन सब्जी ही है. जिसे अन्य सब्जियों की तरह प्रदेश की मंडियों में नीलामी के जरिए बेचा जाता है. इसलिए कानूनी प्रक्रिया में उलझा लहसुन 2007 में मंदसौर के लहसुन व्यापारी मुकेश सोमानी ने कृषि उपज मंडी बोर्ड में अपील की थी कि लहसुन को कृषि उपज मंडी में बेचा जाए.

मंडी बोर्ड ने लहसुन की खरीदी को किया ऐच्छिक

इस मामले में जब दूसरे पक्ष आलू प्याज कमीशन एसोसिएशन ने सब्जी मंडी में खुली बोली के जरिए ही खरीदने की वर्षों पुरानी व्यवस्था बताते हुए अपना पक्ष रखा, तो मंडी बोर्ड ने लहसुन की खरीदी को ऐच्छिक कर दिया था. मंडी बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ फिर अपील की गई कि लहसुन की तरह फिर अन्य कृषि उपज मसाले को भी सब्जी मंडी में बेचने की मांग की जा सकती है. इस आधार पर फिर प्रमुख सचिव ने लहसुन को कृषि उपज मंडी में ही खरीदने के आदेश दिए.

इंदौर हाई कोर्ट की डबल बेंच का फैसला

इससे परेशान सब्जी मंडी के लहसुन व्यापारियों ने प्रमुख सचिव के आदेश के खिलाफ इंदौर हाई कोर्ट में अपील की. इस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने फिर आदेश दिया कि लहसुन को किसान कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र हैं. हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ मुकेश सोमानी की ओर से डबल बेंच में अपील की गई जिसमें हाई कोर्ट की डबल बेंच ने लहसुन को कृषि उपज मानते हुए उसे सब्जी मंडी में बेचने की व्यवस्था खत्म करके पूर्व में प्रमुख सचिव मध्य प्रदेश शासन द्वारा दिए गए आदेश को यथावत रखा.

रिव्यू पिटीशन में हाई कोर्ट ने दिया ये फैसला

इसके बाद फिर आलू प्याज कमिशन एसोसिएशन ने हाई कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल किया. जिसमें हाई कोर्ट ने अब यह व्यवस्था दी, कि किसान अपनी सुविधा के अनुसार लहसुन की फसल को कृषि उपज मंडी के अलावा सब्जी मंडी में व्यापारियों को अपनी उपज बेच सकेगा. इस मामले में आलू प्याज कमीशन एसोसिएशन के वकील अजय बागड़िया ने बताया, "कोर्ट ने रिव्यू पिटीशन स्वीकार करके शासन को निर्देश दिए हैं, कि किसान लहसुन को कृषि उपज मंडी के अलावा सब्जी मंडी में भी बेचने के लिए स्वतंत्र हैं."

कृषि उपज मंडी में किसान को होती है यें परेशानियां

लहसुन को कृषि उपज मंडी में बेचने पर किसानों को परेशानी यह है, कि उन्हें जब तक उनकी उपज बिक न जाए तब तक सुरक्षा के लिहाज से फसल के साथ रहना पड़ता है. फसल बिकने के एक-दो दिन बाद उसके खाते में मंडी बोर्ड द्वारा आरटीजीएस किया जाता है. जिससे किसान को बाजार की दर से अपनी उपज का पूरा दम मिल जाता है. वहीं सब्जी मंडी में व्यापारियों को फसल बेचने की स्थिति में 2% आढ़त प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष तौर पर किसानों को ही चुकाना पड़ता है. हालांकि यह प्रथा सब्जी मंडी में बंद किया जाना बताया गया है. वहीं सब्जी मंडी के व्यापारियों का कहना है कि 2% आढ़त व्यापारियों के लेनदेन में होता है. किसान से उसका लेना देना नहीं है.

सब्जी मंडी में व्यापारी तय करतें है फसल के दाम

सब्जी मंडी में लहसुन खरीदने के दौरान मंडी के व्यापारी न केवल उपज की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं, बल्कि किसान को मंडी में उपज बिकने तक रहने खाने और सोने आदि की पूरी व्यवस्था उपलब्ध कराते हैं. हालांकि, इस व्यवस्था में लहसुन के भाव और बोली तय करना व्यापारियों पर निर्भर करता है. जिसमें कई बार किसान की फसल के कम दाम लगाए जाते हैं और किसान को अपनी ही उपज के पूरे दाम मिलने को लेकर शंका रहती है, हालांकि बोली और नीलामी के दौरान किस पर निर्भर करता है कि वह अपनी उपज बेचना चाहता है अथवा नहीं.

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18000 से 20000 रुपए क्विंटल हुए लहसुन के दाम

दरअसल, मध्य प्रदेश में फिलहाल 15 से 20000 क्विंटल लहसुन की आवक नीमच, मंदसौर, छिंदवाड़ा, भोपाल, बदनावर के अलावा इंदौर के विभिन्न इलाकों से होती है. जिसकी अधिकांश खरीदी मंदसौर और नीमच मंडी में होती है.

Last Updated : Aug 11, 2024, 4:42 PM IST
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