बीकानेर. शहर के शिवबाड़ी क्षेत्र में गंगेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का पांच दिवसीय महोत्सव आज यानी 27 जून से शुरू होगा. अंजनशलाका और प्रतिष्ठा महोत्सव कार्यक्रम को लेकर तैयारियां की जा रही है. गुजरात के मंदिरों में मिलने वाली द्रविड़ शैली में बना यह पार्श्वनाथ मंदिर कई मायनों में खास है.
महोत्सव की तैयारियों को संभाल रहे जिनेश्वर युवक परिषद के सचिव मनीष नाहटा बताते हैं कि इस मंदिर की विशेषता यह है कि देश में एकमात्र ऐसा मंदिर है जो सर्प के 108 फनों पर खड़ा है. इन फनों के नीचे भगवान पार्श्वनाथ की 108 प्रतिमाएं है.
बनने में लगे 12 साल : नाहटा कहते हैं कि दिन-रात हजारों श्रमिकों ने मंदिर के जीर्णोद्वार के काम में 12 साल का समय लगाया. सफेद संगमरमर से बने मंदिर में उड़ीसा और सिरोही के कारीगरों ने बहुत ही बारीकी से नक्काशी का काम किया है. भगवान पार्श्वनाथ मंदिर में भगवान पार्श्वनाथ की 21 इंच की प्रतिमा के अलावा भगवान शांतिनाथ और नेमीनाथ की मूर्तियों की प्रतिष्ठा 30 जून को होगी.
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देश विदेश से श्रद्धालु पहुंच रहे बीकानेर : खरतरगच्छ संघ के आचार्य पीयूष सागर के सानिध्य में होने वाले प्रतिष्ठा समारोह में जैन धर्म के 36 साधु-साध्वी शामिल होंगे. 70x70 के साइज में तैयार मंदिर के परिक्रमा मार्ग पर जैन धर्म की वरघोड़ा यात्रा की झांकियां सजाई गई हैं. इस वरघोड़ा यात्रा में एक ओर जहां जैन साधु महात्मा खड़े हैं, वहीं दूसरी ओर हाथी घोड़ों सहित आमजन और राजकुमार भी इसमें दिखाए गए हैं. मुसरफ ने बताया कि 18 जैन मुनि और 18 साध्वीवृंद के सानिध्य में सात शिखर वाले भगवान गंगेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर का पांच दिवसीय अंजनशलाका व प्रतिष्ठा महोत्सव आयोजित होगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए देश-विदेश से श्रद्धालु बीकानेर पहुंचे हैं.
आठ नई प्रतिमाएं भी होगी स्थापित : जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ ने बताया कि प्राचीन गंगेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर में भगवान पार्श्वनाथ भगवान, भगवान शांतिनाथ और भगवान नेमीनाथ की पुरानी प्रतिमाएं दोबारा स्थापित की गई है. वहीं अब आदिनाथ भगवान, महावीर स्वामी, शंखेश्वर पार्श्वनाथ, नाकोड़ा पार्श्वनाथ, गौतम स्वामी, मणिधारी जिनचंद्रसूरिश्वरजी, माता पद्मावती, नाकोड़ा भैरव की प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा 30 जून को होगी.