जयपुर. राजधानी के पौण्ड्रिक उद्यान, जय निवास उद्यान, नेहरू गार्डन और कई मंदिरों में ढोल-बाजे के साथ सैकड़ों जोड़ो का सांकेतिक विवाह हुआ. दरअसल, शीतलाष्टमी के अवसर पर गणगौर पूजने वाली महिलाओं की टोली अपने घर की नन्हीं बच्चियों को ईसर गणगौर का स्वरूप मानते हुए, उन्हें दूल्हा दुल्हन बनाकर बाग बगीचों की सैर कराने के लिए निकली. यहां दूल्हा-दुल्हन बनी बच्चियों का सांकेतिक विवाह रचाया गया और महिलाओं ने गणगौर माता के गीत गाते हुए सुहाग की लंबी उम्र की कामना की.
इसके साथ ही युवतियों ने अच्छे वर की कामना की. इस दौरान महिलाओं ने बताया कि उनके घर में होली के अगले दिन धुलंडी से गणगौर माता की पूजा की जा रही है और सोमवार को आठवें दिन सुबह गणगौर माता की पूजा के बाद, शीतलाष्टमी मनाई गई और शाम को गाजे बाजे के साथ छोटी बच्चियों को दूल्हा दुल्हन बनाकर बारात निकलते हुए यहां उनका विवाह रचाने के लिए आए हैं. ये बच्चियों भगवान शिव और माता पार्वती का स्वरूप है.
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वहीं, पर लकोटा क्षेत्र में रहने वाली एक अन्य महिला ने बताया कि यहां हर तीज त्योहार को उत्साह के साथ मनाया जाता है. गणगौर पूजने के लिए हर दिन सुबह भी बाग-बगीचों में जाकर जल भरकर घर ले जाते हैं और फिर ईसर गणगौर की पूजा करते हैं. शीतलाष्टमी के दिन विवाह के आयोजन की तरह ही गणगौर की बिंदोरी निकाली और उत्सव के तौर पर मिठाई बांटते हुए, इसे सेलिब्रेट कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि छोटी काशी की ये परंपराएं पुरानी हैं, लेकिन आज भी इन्हें रीति-रिवाज के साथ फॉलो किया जाता है.