बस्तर: इस बार 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी का पर्व है. इसकी तैयारियां पूरे देश में शुरू हो चुकी है. इस बीच बस्तर में भी मूर्तिकार गणेश जी की प्रतिमा को अंतिम रूप दे रहे हैं. बस्तर संभाग के पंखाजूर के मूर्तिकारों ने भगवान गणेश की प्रतिमा बनानी शुरू कर दी है. पिछले 45 साल से बस्तर में आकर गणपति की प्रतिमा तैयार करने वाले मूर्तिकारों ने बताया कि बस्तर में उनकी ओर से तैयार की जाने वाली प्रतिमाओं की मांग हमेशा रहती है. यही कारण है कि वे पिछले चार दशकों से बस्तर में आकर प्रतिमा तैयार कर रहे हैं.
यहां की मूर्ति का ओडिशा में भी डिमांड: बस्तर में इस साल गणेश प्रतिमा बनाने के लिए 8 मूर्तिकार एक साथ काम कर रहे हैं. ताकि जल्द से जल्द गणपति की प्रतिमाओं को तैयार किया जा सके. पखांजूर के मूर्तिकारों की ओर से बनाई जाने वाली प्रतिमाएं बस्तर जिले के अलावा बस्तर संभाग के अन्य जिलों के साथ ही पड़ोसी राज्य ओडिशा तक में जाती है. यहां के लोगों में भी मूर्ति की खास डिमांड होती है.
जानिए क्या कहते हैं मूर्तिकार: बस्तर के मूर्तिकारों का कहना है, हम गणेश प्रतिमा को रंगने के लिए इको फ्रेंडली रंग का उपयोग कर रहे हैं. मूर्तियों का निर्माण बस्तर और कोलकाता की मिट्टी से किया जा रहा है. कोलकाता की मिट्टी से मूर्तियों में दरारें नहीं पड़ती है. चिकनाई बनी रहती है और कोलकाता की मिट्टी के उपयोग के बगैर मूर्ति नहीं बनाई जा सकती.
प्रतिमाओं को सजाने के लिए वस्तुएं कोलकाता से ही मंगाई जाती है. इस साल मूर्तियों की कीमत ढाई हजार से लेकर 15 हजार रुपये तक है. बड़ी मूर्तियों की कीमत करीब 35-40 हजार रुपये है. हर साल बड़ी संख्या में इसकी बिक्री होती है. मूर्ति बनाने में लगने वाली निर्माण सामग्री की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. इस साल मूर्तियों के रेट में करीब 5 से 10 फीसदी की बढ़ोत्तरी होगी."
"कम उम्र से मूर्ति बनाने का काम कर रहा हूं. इंदौर, उत्तरप्रदेश, दिल्ली जैसे जगहों में रहकर मूर्ति बनाने का काम किया है. मूर्ति बनाने के लिए लकड़ी, कीला, मिट्टी, रस्सी, सुतली और भी अन्य सामग्रियों का इस्तेमाल होता है. मूर्ति में चेहरे के अलावा बाकी हिस्सा बस्तर की मिट्टी से बनाया जाता है. चेहरा कोलकाता की मिट्टी से बनता है क्योंकि फिनिशिंग उस मिट्टी से काफी अच्छा होती है." -सुनील पाल, मूर्तिकार
तीन माह रहकर तैयार करते हैं मूर्ति: प्रतिमा निर्माण को लेकर मूर्तिकार मंजीत सरकार ने कहा, "करीब डेढ़ दो महीने से बस्तर पहुंचे हैं. 50 मूर्ति बना लिए हैं. बारिश के कारण भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. मूर्तियों का काफी ऑर्डर मिल रहा है. एक माह का समय बचा है. इन मूर्तियों का निर्माण बस्तर और कोलकाता की मिट्टी से किया जा रहा है." एक अन्य मूर्तिकार चंदन बलसार ने कहा, "मूर्ति बनाने के लिए काफी मेहनत लगता है. सुबह 6 बजे काम शुरू होता है. रात के 12 बजे तक हम मूर्ति तैयार करते रहते हैं. इस बीच बारिश से काफी परेशानी भी होती है. शुरुआती तौर पर मिट्टी, पैरा, लकड़ी का इस्तेमाल होता है और अंतिम रंग रोगन के समय पेंट जैसे अन्य सामग्री भी इस्तेमाल किया जाता है."
"करीब 26 सालों से यहां मूर्ति स्थापित कर रहे हैं. इस बार 27वां साल है. इको फ्रेंडली गणेश मूर्ति स्थापित करने की योजना बनाए हैं. साथ ही पंडाल भी इको फ्रेंडली बनाया जाएगा. इस साल का मूर्ति 14 फीट की है. लालबाग के राजा के रूप में बिठाया जा रहा है. शहर के बालाजी वार्ड में 2 महीने पहले से गणेश चतुर्थी की तैयारी की जाती है. सब बड़े से लेकर छोटे इसमें अपना सहयोग देते हैं. इस समिति में हर दिन 11 दिनों तक अलग-अलग पूजा होती है. अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित करते हैं." -करण बजाज, गणेश समिति सदस्य
मूर्तिकारों के लिए नहीं जारी हुई कोई गाइडलाइन: इन दिनों बस्तर शहर के लालबाग से लेकर कुम्हारपारा रोड सहित करीब आधा दर्जन जगहों पर गणपति की मूर्तियों को तैयार किया जा रहा है. सबसे अधिक आकर्षण वाली मूर्ति कुम्हड़ाकोट इलाके में पंखाजूर के मूर्तिकारों द्वारा बनाई जाने वाली मूर्तियां होती है. वहीं, दूसरी ओर जिला प्रशासन ने अब तक मूर्तियों को बनाने के लिए कोई गाइडलाइन जारी नहीं किया है. इसको लेकर मूर्तिकार थोड़े असमंजस में हैं. इस समय ओडिशा के मूर्तिकारों ने 2 फीट से लेकर 15 फीट तक की मूर्ति तैयार की है.