कानपुर: कहते हैं, कि किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले गणेश जी का नाम लेने से उस कार्य में आने वाले सारे विघ्न दूर हो जाते है. हर वर्ष गणेश भक्त गणेश महोत्सव का शायद इसीलिए इंतजार भी करते हैं. देशभर में इस बार गणेश महोत्सव में बप्पा के स्वागत को लेकर तैयारियां भी शुरू हो गई हैं. इस विशेष पर्व पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर उनकी विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. ऐसे में अब जैसे-जैसे गणेश चतुर्थी का समय नजदीक आता जा रहा है, वैसे ही सभी मूर्तिकार भी मूर्ति बनाने में लगे हुए हैं.
आज हम आपको एक ऐसे मूर्तिकार के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी मूर्ति कला का डंका कानपुर शहर ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बज रहा है. हम बात कर रहे हैं कानपुर के मूर्ति कलाकार आजाद की. जो कि अपनी इस कला के साथ-साथ एलएलबी की पढ़ाई भी कर रहे हैं. इस मूर्ति कलाकार के पास लोग सिर्फ मूर्ति खरीदने ही नहीं, बल्कि उसकी कला को सीखने के लिए भी आते हैं.
ईटीवी भारत संवाददाता से खास बातचीत के दौरान कानपुर के रहने वाले आजाद मूर्तिकार ने बताया, कि उन्हें बचपन से ही मूर्ति बनाने का बेहद शौक था. उन्होंने 18 साल की उम्र में सबसे पहली मूर्ति नवरात्रि के महापर्व पर मातारानी की बनाई थी. जिसकी काफी प्रशंसा भी हुई थी. वह मूर्ति लोगों को काफी पसंद भी आई थी. उसके बाद से उनकी मूर्ति बनाने के सफर की शुरुआत हुई और आज वह करीब 20 साल से नवरात्रि गणेश महोत्सव समेत अन्य पर्व पर मूर्तियां तैयार करते हैं. उन्होंने बताया कि, उनके पिता सिंचाई विभाग में थे और उनकी मृत्यु के बाद से परिवार के भरण-पोषण की सारी जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई थी. अपनी बढ़ती उम्र और पढ़ने की रुचि के साथ-साथ वह चित्रकला में भी माहिर होते गए. आज वह कानपुर शहर ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी एक चर्चित मूर्तिकार के नाम से जाने जाते हैं.
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कभी खुद के खर्चे के लिए करते थे संघर्ष अब कई लोगों को दे रहे रोजगार: ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान आजाद ने बताया, कि जब मैं छोटे था तब स्कूल जाते समय सड़क पर मूर्ति बनाने वाले लोगों को देखा करता था कि आखिर वह किस तरह से मूर्तियों को तैयार कर रहे हैं. इसके बाद मैं वहां से घर आकर खुद भी मिट्टी की मूर्तियां तैयार करता था. कुछ समय बाद मेरी इस मूर्ति बनाने की कला में निखार आने लगा. इसके बाद मैंने खुद से ही मूर्तियां तैयार कर उन्हें बेचना शुरू कर दिया. इससे धीरे-धीरे उनकी पढ़ाई और खर्चा भी पूरा होने लगा. आज उन्होंने कानपुर में एक बड़ा कारोबार स्थापित किया है. जहां पर वह कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.
आजाद की कला का विदेश में बज रहा डंका: आजाद ने बताया कि, कानपुर शहर ही नहीं बल्कि देश-विदेश से भी मूर्ति बनाने के आर्डर आते हैं. नवरात्रि,गणेश चतुर्थी के अलावा भी उन्हें पूरे वर्ष मूर्ति बनाने के आर्डर मिलते रहते हैं. उनके द्वारा तैयार की गई प्रतिमा साउथ अफ्रीका तक जहाज के माध्यम से गई है.उन्होंने बताया कि, इस बार उनके द्वारा खासतौर पर लालबाग के राजा की प्रतिमा तैयार की है.जिसकी लोगों के बीच काफी ज्यादा डिमांड भी देखने को मिल रही है. हालांकि, इस बार महंगाई को देखते हुए मूर्तियों के दामों में भी कुछ खास बढ़ोतरी हुई है. जिस वजह से लोगों को थोड़ी दिक्कत जरूर हो रही है. लेकिन इस बार भी गणेश चतुर्थी में पर उन्हें मूर्तियों को तैयार करने के काफी अच्छे आर्डर मिले हुए हैं. इस बार उन्होंने 2500 से लेकर 84000 रुपए तक की मूर्तियों को तैयार किया है.