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'बिजली-पानी-शौचालय के नहीं इंतजाम, बाहर जाने पर मिलती हैं गालियां', राजस्थान के मूर्तिकारों का दर्द, बोले- बहुत परेशानी में बनाते हैं मूर्ति - Ganesh Chaturthi 2024

राजस्थान के 5 परिवार कई सालों से बागपत में रहकर मूर्तियां बनाते हैं. उन्हें यहां कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसके बावजूद वे अपने हुनर से मूर्तियों को नया आकार देते हैं. उनकी बनाई मूर्तियां यूपी के अलावा अन्य राज्यों में जाती हैं.

कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे मूर्तिकार.
कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे मूर्तिकार. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 1, 2024, 11:10 AM IST

मूर्तिकारों ने बताई अपनी परेशानी. (Video Credit; ETV Bharat)

बागपत : इस बार गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाई जानी है. पूरे देश में यह त्यौहार त्साह के साथ मनाया जाता है. महाराष्ट्र में इस पर्व की खासी धूम रहती है. त्यौहार पर लोग अपने घरों में बप्पा को विराजमान करते हैं. उनकी पूजा करते हैं. भगवान गणेश की इन मूर्तियों को तैयार करने में मूर्तिकार काफी समय पहले ही जुट जाते हैं. वे पानी, शौचालय समेत तमाम तरह की परेशानियों को झेलते हुए लोगों के पर्व को खास बनाने के लिए दिन-रात लगे रहते हैं. कुछ ऐसे ही मूर्तिकारों से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. उन्होंने खुलकर अपनी परेशानियां बताईं.

जिले के बड़ौत कस्बे में राजस्थान के 5 परिवार करीब 12 साल से डेरा डाले हैं. वे लक्ष्मी-गणेश समेत कई तरह की मूर्तियां बनाते हैं. उन्हें ये हुनर अपने पूर्वजों से मिला है. उनकी कई पीढ़ियां मूर्तियां बनाने का काम करती रहीं हैं. वे इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. उनके हाथों से तैयार किए गए बप्पा यूपी ही नहीं बल्कि दिल्ली-हरियाणा में भी विराजते हैं. इस वर्ष भी ये कलाकार बागपत में बप्पा की मूर्ति तैयार करने में जुटे हैं.

पूर्वज से मिला हुनर, मूर्तियां बनाकर करते हैं गुजारा : मूर्तिकार नारायण ने बताया कि हम बचपन से ही मूर्तियों को बनाते हैं. हम लोग राजस्थान के रहन वाले हैं. हमारी बनाई मूर्तियां दिल्ली में भी जाती हैं. मूर्तिकार हीमाराम ने बताया कि हम कई साल से यहां रह रहे हैं. राजस्थान में हमारी जमीन नहीं है. इस वजह से हम यहां मूर्तियों को बनाकर अपना गुजारा करते हैं. यहां न तो यहां शौचालय की सुविधा है और न ही पानी की व्यवस्था है. हमारे दादा-परदादा भी यही काम करते हैं.

बहुत मुसीबत झेल रहे : हीमाराम ने बताया कि हम चाहते हैं कि बच्चा कोई और काम करें लेकिन मजबूरी में यह काम करना पड़ता है. सरकार से हमारी मांग है कि हमारे रहने, पानी और शौचालय आदि का इंतजाम किया जाए. शौचालय के बाहर जाना पड़ता है. इससे कई बार लोग गालियां भी देते हैं. मूर्तिकार जमुना ने बताया परिवार में काफी लोग इस काम में लगे हैं. हम लोग बहुत मुसीबत में रहते हैं. यहां लाइट-पानी नहीं है. मूर्तियों का काम नहीं होता तो राजस्थान जाकर वहां खेती करते हैं.

महिला मूर्तिकार अंजलि ने बताया कि मूर्तियों को काफी लेकर लेकर जाते हैं. हम लोग राजस्थान से यहां आकर यह काम करते हैं. यहां काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बिजली, पानी से लेकर अन्य समस्याओं से भी जूझना पड़ता है. कोई खोज-खबर लेने वाला नहीं है.

यह भी पढ़ें : दुबई से लखनऊ आ रहे प्लेन में एयर होस्टेस से बदसलूकी, शराबी यात्री ने किया हंगामा, कराची में लैंडिंग की चेतावनी पर माना

मूर्तिकारों ने बताई अपनी परेशानी. (Video Credit; ETV Bharat)

बागपत : इस बार गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाई जानी है. पूरे देश में यह त्यौहार त्साह के साथ मनाया जाता है. महाराष्ट्र में इस पर्व की खासी धूम रहती है. त्यौहार पर लोग अपने घरों में बप्पा को विराजमान करते हैं. उनकी पूजा करते हैं. भगवान गणेश की इन मूर्तियों को तैयार करने में मूर्तिकार काफी समय पहले ही जुट जाते हैं. वे पानी, शौचालय समेत तमाम तरह की परेशानियों को झेलते हुए लोगों के पर्व को खास बनाने के लिए दिन-रात लगे रहते हैं. कुछ ऐसे ही मूर्तिकारों से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. उन्होंने खुलकर अपनी परेशानियां बताईं.

जिले के बड़ौत कस्बे में राजस्थान के 5 परिवार करीब 12 साल से डेरा डाले हैं. वे लक्ष्मी-गणेश समेत कई तरह की मूर्तियां बनाते हैं. उन्हें ये हुनर अपने पूर्वजों से मिला है. उनकी कई पीढ़ियां मूर्तियां बनाने का काम करती रहीं हैं. वे इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. उनके हाथों से तैयार किए गए बप्पा यूपी ही नहीं बल्कि दिल्ली-हरियाणा में भी विराजते हैं. इस वर्ष भी ये कलाकार बागपत में बप्पा की मूर्ति तैयार करने में जुटे हैं.

पूर्वज से मिला हुनर, मूर्तियां बनाकर करते हैं गुजारा : मूर्तिकार नारायण ने बताया कि हम बचपन से ही मूर्तियों को बनाते हैं. हम लोग राजस्थान के रहन वाले हैं. हमारी बनाई मूर्तियां दिल्ली में भी जाती हैं. मूर्तिकार हीमाराम ने बताया कि हम कई साल से यहां रह रहे हैं. राजस्थान में हमारी जमीन नहीं है. इस वजह से हम यहां मूर्तियों को बनाकर अपना गुजारा करते हैं. यहां न तो यहां शौचालय की सुविधा है और न ही पानी की व्यवस्था है. हमारे दादा-परदादा भी यही काम करते हैं.

बहुत मुसीबत झेल रहे : हीमाराम ने बताया कि हम चाहते हैं कि बच्चा कोई और काम करें लेकिन मजबूरी में यह काम करना पड़ता है. सरकार से हमारी मांग है कि हमारे रहने, पानी और शौचालय आदि का इंतजाम किया जाए. शौचालय के बाहर जाना पड़ता है. इससे कई बार लोग गालियां भी देते हैं. मूर्तिकार जमुना ने बताया परिवार में काफी लोग इस काम में लगे हैं. हम लोग बहुत मुसीबत में रहते हैं. यहां लाइट-पानी नहीं है. मूर्तियों का काम नहीं होता तो राजस्थान जाकर वहां खेती करते हैं.

महिला मूर्तिकार अंजलि ने बताया कि मूर्तियों को काफी लेकर लेकर जाते हैं. हम लोग राजस्थान से यहां आकर यह काम करते हैं. यहां काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बिजली, पानी से लेकर अन्य समस्याओं से भी जूझना पड़ता है. कोई खोज-खबर लेने वाला नहीं है.

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