झालावाड़ : पर्यावरण प्रदूषण रोकने और लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए आयरन लेडीज ऑफ झालावाड़ ग्रुप की ओर से मंदिर परिसर में पहली बार इको फ्रेंडली गणेश बनाओ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इसमें 5 से 10 वर्षीय छात्रों ने मिट्टी, क्ले, हल्दी, मैदा, चावल, गोबर की सहायता से विभिन्न मुद्राओं वाले श्री गणेश की प्रतिमाओं का निर्माण किया. इस प्रतियोगिता में छात्रों में काफी उत्साह से भाग लिया. उन्होंने प्रतिमाओं का विभिन्न रंगों और आर्टिफिशियल ज्वेलरी से श्रंगार भी किया. इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा बनाने के लिए संस्था की सचिव कंचन गुप्ता ने छात्रों को प्रेरित भी किया. प्रतियोगिता में कनिष्ठ वर्ग में मानुषी सोनी और वरिष्ठ वर्ग में उडुपी शर्मा ने प्रथम स्थान प्राप्त किया.
इको फ्रेंडली गणेश बनाओ प्रतियोगिता : संस्था की अध्यक्ष पुष्पलता दुबे ने बताया कि आजकल लोग पर्यावरण प्रदूषण को लेकर मिट्टी के गणेश जी की स्थापना करने के बारे में सोचते हैं. ऐसे में पर्यावरण के प्रति बच्चों को जागरूक करने और भारतीय संस्कृति से जोड़ने के लिए इस बार इको फ्रेंडली गणेश बनाओ प्रतियोगिता का आयोजन उनके ग्रुप की ओर से किया गया था. इसमें छात्रों ने काफी उत्साह से भाग लिया. छात्रों ने भगवान गणेश की विभिन्न मुद्राओं वाली इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं को बनाकर उन्हें श्रगारित किया. इन प्रतिमाओं को 10 दिन बाद पानी में विसर्जित कर मिट्टी को पेड़ों में डाला जा सकता है.
अनंत चतुर्दशी पर गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन : संस्था के सचिव व प्रशिक्षक कंचन गुप्ता ने कहा कि आजकल इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा आटे, मैदा, हल्दी, गोबर और मिट्टी से तैयार की जा सकती है. शाडू मिट्टी की गणेश प्रतिमा इको फ्रेंडली होती है, जो बिना रंग-रोगन के एकदम सादी मूर्ति होती है. इस मिट्टी को पानी से गूंथा जाता है. मिट्टी न तो अधिक गीली होनी चाहिए और न अधिक सूखी. बता दें कि शनिवार को पूरे जिले में गणेश चतुर्थी की धूम है. 10 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार के मौके पर लोग घरों में गणपति की स्थापना करते हैं. वहीं, 10 दिनों के बाद अनंत चतुर्दशी पर गणेश प्रतिमाओं के पानी में विसर्जन करने की परंपरा चली आ रही है. इस बार भी पूरे जिले में बड़े स्तर पर गणेश पांडालों को सजाया गया है.