जोधपुर. आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा अब उम्मीदवारों की घोषणा में भी आगे रहना चाहती है. ऐसे में कभी भी भाजपा की पहली सूची आ सकती है. वहीं, राजस्थान में भी लगभग नाम तय हो चुके हैं. जोधपुर से खुद के तीसरी बार चुनाव लड़ने के संकेत पहले ही केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत दे चुके हैं. इसी बीच गुरुवार को उन्होंने जल्द ही शुभ समाचार मिलने की बात कही थी. ऐसे में अगर भाजपा फिर से शेखावत को मैदान में उतारती है तो फिर कांग्रेस उम्मीदवार कौन होगा? हालांकि, कांग्रेस केंद्रीय नेतृत्व ने भी उम्मीदवारों के पैनल बना लिए हैं. पार्टी सूत्रों की मानें तो इस बार जोधपुर लोकसभा क्षेत्र से किसी विश्नोई या राजपूत प्रत्याशी को मैदान में उतारा जा सकता है. वहीं, इस बार वैभव गहलोत की जगह पैनल में लूणी के पूर्व विधायक महेंद्र सिंह विश्नोई और बाड़मेर जैसलमेर के पूर्व सांसद मानवेंद्र सिंह जसोल का नाम सामने आया है.
इस सीट चुनाव लड़ सकते हैं वैभव गहलोत : साथ ही कहा जा रहा है कि वैभव गहलोत अबकी जालोर सिरोही क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं. क्षेत्र के सियासी जानकारों की मानें तो राजपूत के सामने राजपूत उम्मीदवार देने से मुकाबला दिलचस्प हो सकता है, क्योंकि यह लोकसभा क्षेत्र राजपूत बाहुल्य है. साल 2014 के अपने पहले चुनाव में शेखावत का चंद्रेश कुमारी से मुकाबला हुआ था तो 2019 में वैभव गहलोत को कांग्रेस ने मैदान में उतारा था, लेकिन ये दोनों ही प्रत्याशी शेखावत को मात देने में पूरी तरह से विफल रहे थे.
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शेखावत को चुनौती दे सकते हैं जसोल : सियासी जानकारों की मानें तो अगर भाजपा तीसरी बार गजेंद्र सिंह शेखावत को मैदान में उतारती है तो ऐसी स्थिति में कांग्रेस मानवेंद्र सिंह जसोल को अपना प्रत्याशी बना सकती है. भले ही चुनाव मोदी के नाम पर लड़ा जाएगा, लेकिन जसोल को लेकर राजपूतों में सिंपैथी है. ऐसे में वो शेखावत को चुनौती देने में भी सक्षम है, क्योंकि वसुंधरा राजे की वजह से ही वो भाजपा से अलग हुए थे. हालांकि, जसोल दो बार चुनाव हार चुके हैं. ऐसे में समाज का बड़ा तबका उनका सपोर्ट कर सकता है. उनके पिता जसवंत सिंह जसोल भी जोधपुर से एक बार सांसद हर चुके हैं. उनको लेकर आज भी यहां के लोगों में श्रद्धा का भाव है. दूसरी ओर शेखावत को लेकर स्थानीय नेताओं में भी खींचतान की स्थिति बनी हुई है. शेरगढ़ विधायक बाबूसिंह राठौड़ हो या फिर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खिंवसर किसी से शेखावत के मधुर संबंध नहीं है. ऐसे में इसका फायदा भी जसोल को मिल सकता है.
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कांग्रेस विश्नोई पर भी लगा सकती है दांव : कांग्रेस अगर युवा प्रत्याशी को मैदान में उतारने को लेकर अगर विचार करती है तो फिर लूणी के पूर्व विधायक महेंद्र सिंह विश्नोई पर दांव लगा सकती है. उनका नाम भी पैनल में है. वहीं, उनको मैदान में उतार कर पार्टी जातिय समीकरण बैठाने की कोशिश करेगी. पार्टी की सोच है कि भाजपा से पहले जसवंतसिंह विश्नोई दो बार सांसद रहे चुके हैं. ऐसे में इस लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस के परंपरागत मतदाता जैसे अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति के अलावा जाट व विश्नोई का समीकरण भी बनाया जा सकता है. इसके अलावा युवा वोटरों के भी जुड़ने की संभावना है. हालांकि, जसवंतसिंह विश्नोई 2008 के परिसिमन के बाद हुए 2009 का चुनाव हार गए थे, क्योंकि इस चुनाव में जाट विश्नोई बाहुल्य इलाके पाली में चले गए थे. उसके बाद से ये सीट राजपूत बाहुल्य ही हो गई, जिसके चलते 2009 में गहलोत पूर्व राजपरिवार की बेटी चंद्रेश कुमारी को हिमाचल से यहां लेकर आए थे, वो चुनाव जीत भी गई थी, लेकिन 15 साल में मतदाताओं की संख्या बढ़ने के बाद पार्टी नए समीकरण पर गौर कर सकती है.
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उचियारड़ा और पातावत भी दावेदार : कांग्रेस में मानवेंद्र सिंह जसोल के अलावा प्रदेश कांग्रेस के महासचिव करण सिंह उचियारड़ा और कुंभ सिंह पातावत भी बतौर राजपूत दावेदार हैं. दोनों स्थानीय भी हैं. जसोल को बाहरी भी बताया जा सकता है. पातावत गहलोत के करीबी है तो उचियारड़ा सचिन पायलट के खास हैं. पायलट की चली तो उनका नंबर लग सकता है. कांग्रेस के लोगों का कहना है कि मजबूत राजपूत ही यहां भाजपा को चुनौती दे सकता है.
तीन विश्नोई, 4 राजपूत बाहुल्य विस क्षेत्र : जोधपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल आठ विधानसभा क्षेत्र हैं. इनमें सात पर भाजपा के विधायक हैं. एक मात्र सीट सरदारपुरा पर अशोक गहलोत चुनाव जीते हैं. आठ विधानसभा क्षेत्र में फलौदी, लोहावट व लूणी विश्नोई बाहुल्य है. इसी तरह से पोकरण, लोहावट, शेरगढ़, सरदारपुरा राजपूत बाहुल्य हैं, लेकिन वर्तमान में फलौदी से भाजपा के पब्बाराम विश्नोई विधायक हैं, जबकि पोकरण, शेरगढ़ व लोहावट से राजपूत विधायक हैं. 2018 में फलौदी, लूणी व लोहावट से विश्नोई विधायक थे, सिर्फ शेरगढ़ से राजपूत विधायक था.