कोटा : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जयपुर में आयोजित कार्यक्रम में पार्वती-कालीसिंध-चंबल ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (PKC-ERCP) के पहले चरण का शिलान्यास कर दिया है. इस प्रोजेक्ट का निर्माण पूरी तरह से हाइब्रिड एन्युटी मॉडल (HAM) के तहत करवाया जा रहा है. इस परियोजना के तहत हाड़ौती क्षेत्र में लगभग 8000 करोड़ रुपये की लागत से निर्माण कार्य किए जाएंगे.
इनमें से अधिकांश काम के टेंडर पहले ही अवार्ड किए जा चुके हैं. इस योजना के तहत हाड़ौती में दो बड़े बैराज बारां जिले में बनाए जा रहे हैं. इसके अलावा चंबल नदी पर 2.280 किलोमीटर लंबा एक्वाडक्ट (पानी ले जाने वाला पुल) भी बनाया जाएगा, जिससे पानी नदी के पार पहुंचाया जा सकेगा. यह परियोजना के पहले चरण के तीन पैकेजों के रूप में पूरी की जा रही है.
परियोजना के तहत करीब 1010 करोड़ रुपये की लागत से नोनेरा बैराज का निर्माण पूरा हो चुका है. इसी के तहत सवाई माधोपुर जिले के ईसरदा में एक अलग डैम भी तैयार हो रहा है. इसके अलावा पंपिंग, फीडर कैनाल, एक्वाडक्ट और सुरंग जैसी संरचनाएं भी बनाई जा रही हैं, जो इस परियोजना को और अधिक प्रभावी बनाएंगी.
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पंपिंग, फीडर कैनाल, एक्वाडक्ट और सुरंग का निर्माण : इस परियोजना के लिए एक अलग कॉरपोरेशन बनाया गया है, जिसका मुख्यालय जयपुर में है. कोटा और बारां में प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंटेशन यूनिट (PIU) भी स्थापित की गई है. कोटा पीआईयू के जनरल मैनेजर पीके गुप्ता ने बताया कि उनके पास नोनेरा से मेज नदी तक फीडर कैनाल के जरिए पानी पहुंचाने वाले पैकेज की जिम्मेदारी है.
उन्होंने बताया कि इस पैकेज का निर्माण हाइब्रिड एन्युटी मॉडल के तहत मेगा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड(MEIL) द्वारा किया जाएगा. इसमें नोनेरा डैम के नजदीक एबरा गांव से पंपिंग करके पानी फीडर कैनाल में डाला जाएगा. यह पानी पीपल्दा और सेमल गांव से होकर कोटा जिले में पहुंचेगा. इसके बाद चंबल नदी में एक्वाडक्ट के जरिए बूंदी जिले के गोहाटा गांव तक ले जाया जाएगा. वहां से खरायता गांव के नजदीक मेज नदी में यह पानी फीडर कैनाल के माध्यम से डाला जाएगा.
कूल नदी से कालीसिंध तक पानी लाने की योजना : नदियों को जोड़ने की इस योजना के तहत कूल नदी से पार्वती और पार्वती से कालीसिंध नदी तक पानी लाने की डिजाइन पर काम किया जा रहा है. फिलहाल इन संरचनाओं के निर्माण के टेंडर जारी नहीं किए गए हैं. बारां पीआईयू के जीएम राहुल सिंह बागावत ने बताया कि महलपुर और रामगढ़ बैराज के निर्माण का टेंडर जारी किया गया है. हालांकि, रामगढ़ से महलपुर और महलपुर से नोनेरा तक पानी ले जाने के लिए बनने वाले फीडर कैनाल के टेंडर अभी जारी नहीं हुए हैं. इन सभी कार्यों को मुख्यालय स्तर पर ही तय किया जा रहा है और टेंडरिंग भी वहीं से की जा रही है.
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हाइब्रिड एन्युटी मॉडल (HAM) में कार्य प्रक्रिया : PKC-ERCP परियोजना के पहले फेज को तीन पैकेज में विभाजित किया गया है और इसका निर्माण हाइब्रिड एन्युटी मॉडल (HAM) के तहत किया जा रहा है. इस मॉडल में सरकार संविदा पूरी होने तक निर्माणकर्ता को कुल लागत का 40% भुगतान करती है, जो किस्तों में दिया जाता है. शेष 60% राशि 20 से 25 वर्षों में सालाना किस्तों के रूप में दी जाती है. इसमें बैराज और फीडर कैनाल का निर्माण पूरा होने के बाद शेष राशि मिलने तक ऑपरेशन और मेंटेनेंस का काम भी निर्माणकर्ता फर्म को देखना होता है. इसके लिए निर्माणकर्ता फर्म बैंक लोन के जरिए निर्माण कार्य करती है.
नोनेरा से पानी की सप्लाई में लगेगा समय : कोटा जिले में कालीसिंध नदी पर बनाए गए नोनेरा बैराज को PKC-ERCP परियोजना के तहत ही निर्मित किया गया है. इस बैराज में स्काडा सिस्टम के जरिए सितंबर महीने में गेटों की टेस्टिंग की गई थी. इसमें बारी-बारी से 27 गेट खोलकर पानी छोड़ा गया था. नोनेरा बैराज में 226 एमक्यूएम पानी संग्रहित किया जाएगा, जिसमें से 54 एमक्यूएम पानी की आपूर्ति पीएचईडी को की जाएगी. इसे बूंदी और कोटा के छह कस्बों और 749 गांवों तक पाइपलाइन के जरिए पहुंचाया जाएगा. इसके लिए ट्यूबवेल और पानी की पाइपलाइन सिस्टम का निर्माण कार्य पीएचईडी कर रहा है. हालांकि, इस कार्य को पूरा करने में अभी दो साल का समय और लग सकता है.
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परियोजना का महत्व : PKC-ERCP परियोजना राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर साबित होगी. यह परियोजना न केवल सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी, बल्कि क्षेत्र के गांवों और कस्बों को पीने का पानी भी उपलब्ध कराएगी.
इसके अलावा नदियों को जोड़ने की यह योजना राज्य में जल प्रबंधन और कृषि उत्पादन में सुधार करने में मददगार साबित होगी. इस परियोजना के जरिए हजारों किसानों को राहत मिलेगी और जल संकट से जूझ रहे क्षेत्रों में नई संभावनाएं खुलेंगी.
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