सरगुजा: गुरुवार से प्रदेश में धान तिहार शुरू हो रहा है. इस बीच सरगुजा में धान की गिरदावरी में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है. रकबे में गड़बड़ी को लेकर सरगुजा प्रशासन ने एक्शन लेना शुरू किया है. जिला स्तर पर दोबारा भूमि का सत्यापन किया जा रहा है. यहां तहसील स्तर पर हुए सत्यापन में 1909 हेक्टेयर भूमि धान के रकबे में दर्ज कर दी गई है जिसमे धान की फसल लगाई ही नही गई है. 106 हेक्टयर खाली भूमि और 1803 हेक्टेयर अन्य फसल की भूमि को भी धान के रकबे में दर्ज किया गया है.
दोबारा सत्यापन शुरू: इस मामले के खुलासे के बाद अब जिला प्रशासन ऐसी जमीनों का दोबारा सत्यापन कर रहा है. ऑनलाइन एप्लीकेशन के माध्यम से टीम फसल का सत्यापन कर रही है. इस एप में मौके पर जाने पर ही सही लैटिट्यूट-लॉन्गिट्यूट के आधार पर वेरिफिकेशन संभव है. फिलहाल गिरदावरी की इस गड़बड़ी को समय रहते पकड़ लिया गया है. इसे सुधारने के प्रयास भी शुरू के दिए गये हैं. वरना सरगुजा जिले में बिचौलिए 1909 हेक्टेयर भूमि के रिकार्ड के अनुसार बाहर का धान समिति में बेच देते और शासन से उतने धान का बोनस भी प्राप्त कर लेते. इससे शासन को बड़े राजस्व की हानि हो सकती थी.
रकबा सत्यापान के लिए पूरे जिले के 5 फीसदी रकबे का सत्यापन किया जा रहा है. इसमें एक एप के मध्यम से एप को ऑन करने पर लैटिट्यूट-लॉन्गिट्यूट खुद आ जाता है. इसमें हमको मौके पर जाना ही पड़ता है. वहां जाकर मौके पर देखा जा रहा है की धान है या नहीं. धान नहीं होने की स्थिति में उसमे नहीं लिखा जाता है. तीन प्रकार की फोटो अपलोड की जाती है. इससे सत्यापित हो जाता है. अभी कुल सत्यापन में 1900 हेक्टेयर में धान की फसल दर्ज है. जिसमे धान नहीं लगा है इसको केंसिल किया जाएगा. पहले गिरदावरी हुआ था उसी में ये हुआ सत्यापन चल रहा है: चित्रकान्त ध्रुव, खाद्य अधिकारी, सरगुजा
इस तरह की शिकायत प्रदेश के अन्य जिलों में भी है. ये अकेले सरगुजा ही मामला नहीं है. अब ये गलती है या जानबूझकर किया गया काम ये तो प्रशासन का आतंरिक विषय है. जिले के खाद्य अधिकारी टीम बनाकर दोबारा सत्यापन में लग गए हैं. गिरदावरी में हुई गड़बड़ी को सुधारा जा रहा है.