भीलवाड़ा: आरसीए (राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन) की एडहॉक कमेटी ने संस्था में अनियमितता का आरोप लगाते हुए पूर्व पदाधिकारियों भवानी शंकर समोता, रामपाल शर्मा और राजेश भडाणा के खिलाफ जयपुर के ज्योति नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है. इस मामले में आरसीए के पूर्व कोषाध्यक्ष व लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा में आने वाले रामपाल शर्मा ने अपने आप को निर्दोष बताया है. उन्होंने सफाई दी है कि उन पर लगाए गए आरोप निराधार हैं, जांच में वे पूरा सहयोग करेंगे और जांच के बाद स्थिति पूरी तरह क्लीयर हो जाएगी.
शर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि वे पूरी तरह पाक साफ है. पुलिस की जांच में पूरा सहयोग करेंगे ताकि जल्द ही सच सामने आ सके. उन्होंने कहा कि 'मैं आरसीए में कोषाध्यक्ष के पद पर 24 फरवरी 2022 को निर्वाचित हुआ था. जनवरी 2023 में पदभार ग्रहण किया था. उसके बाद फरवरी 2024 तक मैं कोषाध्यक्ष के पद पर काम करता रहा. फिर 28 मार्च 2024 को सरकार ने आरसीए की कार्यकारिणी भंग कर दी. आरसीएए में कोषाध्यक्ष के पद पर मेरा कार्यकाल सिर्फ एक वर्ष रहा. इसमें सिर्फ (आरपीएल) राजस्थान प्रीमियर लीग का आयोजन हुआ'.
मेरे कार्यकाल में नहीं हुए टेंडर: शर्मा ने कहा कि 'आरसीए में जिन फर्मों के नाम दर्ज है, उनके टेंडर मेरे कार्यकाल में नहीं हुए और ना ही मैं टेंडर प्रक्रिया में हूं. उन्होंने कहा कि सरकार ने एडहॉक कमेटी बना रखी है. उस कमेटी ने क्या देखकर एफआईआर दर्ज करवाई. इसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है'.
सभी कामों में कोषाध्यक्ष का रोल नहीं होता: एफआईआर में सभी पदाधिकारियों के नाम है, लेकिन आरसीए में जितनी भी प्रक्रिया होती है, उसमें सभी में कोषाध्यक्ष का रोल नहीं होता है.उसके लिए एक कमेटी बनी हुई है. टेंडर प्रक्रिया सहित अन्य चीजों का निर्धारण कमेटी की ओर से किया जाता है ना कि किसी व्यक्ति द्वारा. उन्होंने स्पष्ट किया कि 'एफआईआर की जांच के दौरान जब भी मुझसे पूछताछ की जाएगी, मैं जांच में पूरा सहयोग करूंगा'.
बजट काउंसिल से पारित होता है: शर्मा ने कहा कि 'आरपीएल के बजट को हमने काउंसिल की ओर से पारित करवाया था. उसमें कितने लोगों का पेमेंट हुआ है, उसकी जानकारी मुझे नहीं है. आरसीए कार्यालय ही बता पाएगा. मेरे से अभी तक इस मामले में कुछ नहीं पूछा गया, लेकिन मुझे सरकार और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर पूरा विश्वास है. जांच के बाद इस मामले में दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा'.
क्रिकेट और राजनीति अलग अलग है: क्या आरसीए में अनियमितता के आरोपों से बचने के लिए आपने कांग्रेस का दामन छोड़ा था? इस सवाल के जवाब में रामपाल शर्मा ने कहा कि क्रिकेट एसोसिएशन में भाजपा व कांग्रेस दोनों के ही लोग हैं. भाजपा का काम अलग है और क्रिकेट एसोसिएशन का काम अलग है, इसलिए इसको राजनीति से जोड़ा जाना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि 'मैं आरसीए ही नहीं कोऑपरेटिव बैंक, कान्फेड व यूआईटी सहित काफी संस्थाओं में अध्यक्ष रहा हूं. इसलिए मुझे इस मामले में ज्यादा स्पष्टीकरण देने की जरूरत नहीं है. इस मामले में एडहॉक कमेटी को मुझसे जो सहयोग चाहिए होगा, उसमें मैं पूरा सहयोग करुंगा'.
रिकॉर्ड नहीं देने का आरोप निराधार: एडहॉक कमेटी ने आरोप लगाया है कि आरसीए के पदाधिकारियों ने रिकार्ड उपलब्ध नहीं करवाया. इस पर उन्होंने कहा कि आरोप निराधार है. क्योंकि क्रीड़ा परिषद ने फरवरी 2024 में ताले लगा दिए थे, इसलिए हमारे पास रिकॉर्ड नहीं है. उसके बाद में कभी आरसीए कार्यालय नहीं गया. उन्होंने कहा कि मैं अपने कार्यकाल में मेरे पास आने वाले एक एक दस्तावेज को देखकर ही काम को आगे बढ़ाता था.
यह राजनीतिक मुद्दा नहीं: उनसे पूछा गया कि क्या इस मामले को लेकर आला राजनेताओं से मुलाकात हुई है. इस पर रामपाल शर्मा ने कहा कि यह राजनीति का मुद्दा नहीं है. यह क्रिकेट ऐसोसिएशन है. इसमें वर्षों से आरोप- प्रत्यारोप चले आ रहे हैं. यह आरोप- प्रत्यारोप रूंगटा के जमाने से ही चल रहे हैं. उसके बाद ललित मोदी, सीपी जोशी व उसके बाद वैभव गहलोत आए हैं.