प्रयागराज : सपा ने लोकसभा चुनाव में बेहतर परिणाम हासिल करने की उम्मीद में कांग्रेस से गठबंधन किया है, लेकिन अखिलेश से उनके अपने विधायक दूर होते जा रहे हैं. जिसका नतीजा मंगलवार को राज्यसभा चुनाव के मतदान में दिखा, जहां खुलकर क्रॉस वोटिंगहुई. इस बीच मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे कुंवर रेवती रमण सिंह ने भी अखिलेश से नाराजगी जाहिर कर दी है. हालांकि अभी उन्होंने पार्टी छोड़ने की बात नहीं की है, लेकिन किसी दूसरे दल से बेहतर विकल्प मिलने पर उनके साथ जाने का संकेत जरूर दिया है.
राज्यसभा चुनाव ने समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. जहां सपा के 8 विधायकों ने भाजपा के पक्ष में मतदान कर दिया. लखनऊ में क्रॉस वोटिंग हुई तो प्रयागराज में समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे कुंवर रेवती रमण सिंह का दर्द छलका है. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव सपा के नेताओं को एकजुट नहीं रख पा रहे हैं. अखिलेश की संवादहीनता और व्यवहार की वजह से तमाम नेताओं ने पार्टी से दूरी बना ली है.
प्रयागराज की इलाहाबाद लोकसभा सीट से दो बार के सांसद और करछना विधानसभा क्षेत्र से 7 बार के विधायक रहे रेवती रमण सिंह का कहना है अखिलेश यादव किसी की नहीं सुनते सिर्फ अपने मन की करते हैं. जिसका नतीजा है कि एक तरफ वे पार्टी को मजबूत करने के लिए दूसरे दलों से गठबंधन करते हैं तो दूसरी तरफ उनके पार्टी के नेता ही उनसे नहीं संभलते हैं. वे दूसरे दलों में जा रहे हैं जिसका उदाहरण राज्यसभा चुनाव के मतदान में सभी के सामने आ गया है.
ढाई साल से बात तक नहीं हुई
कुंवर रेवती रमण सिंह का कहना है कि वे अखिलेश यादव को अपने बच्चे की तरह मानते हैं लेकिन उन्होंने उनसे ढाई साल से बात तक नहीं की है. ऐसे में पूरी पार्टी के कार्यकर्ताओं को कैसे साधेंगे और कैसे सत्ता से मुकाबला करेंगे. रेवती रमण ने कहा कि समाजवादी पार्टी को आगे बढ़ाने में उन्होंने अपना खून पसीना लगाया, लेकिन अखिलेश ने उनकी लोकसभा सीट कांग्रेस गठबंधन को देने से पहले एक बार भी उनसे बात तक नहीं की है. उन्होंने अखिलेश यादव पर संवादहीनता का आरोप लगाते हुए कहा कि बातचीत न करने की वजह से ही तमाम नेता दूर होते जा रहे है. इसके साथ ही रेवती रमण सिंह ने कहाकि अखिलेश यादव ने जब उनसे ढाई साल से बात नहीं की तो सोचिये कि जो आम नेता होंगे, उनके साथ अखिलेश यादव का कैसा बर्ताव होगा.
पार्टी ने अनदेखी से हैं नाराज
रेवती रमण सिंह ने भाजपा सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे डॉ. मुरली मनोहर जोशी जैसे कद्दावर नेता को चुनाव में हराया था. रेवती रमण और उनके बेटे उज्जवल रमण को भी पार्टी में अलग-थलग कर दिया गया है. अखिलेश ने पहले रेवती रमण सिंह को महासचिव पद से हटाया, उसके बाद पिछली बार राज्यसभा चुनाव में भी उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया गया. इसके साथ ही इलाहाबाद लोकसभा सीट को समझौते के तहत कांग्रेस के लिए छोड़ दिए जाने के फैसले से रेवती रमण और ज्यादा नाराज हो गए. क्योंकि रेवती रमण इलाहाबाद संसदीय सीट से अपने बेटे उज्जवल रमण को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी में थे, लेकिन इस लोकसभा सीट को कांग्रेस के खाते में दिए जाने के बाद से सपा के पुराने नेता पार्टी से नाता तोड़ने की सोच रहे हैं.
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