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पूर्व एमएलसी कमलेश पाठक की गैंगस्टर में जमानत रद्द, हाईकोर्ट ने ऐसे अपराधी को नहीं किया जा सकता रिहा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व एमएलसी कमलेश पाठक की गैंगस्टर मुकदमे में जमानत याचिका रद्द कर दी है. 37 मुकदमों का लंबा अपराधी इतिहास देखते हुए हाईकोर्ट ने कहा, जमानत का आधार नहीं है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 20, 2024, 10:36 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूर्व एमएलसी कमलेश पाठक के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत औरैया में दर्ज मुकदमे में उसे जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कमलेश पाठक के लंबे अपराधी के इतिहास को देखते हुए उसे जमानत पाने का हकदार नहीं माना. हालांकि कोर्ट ने कमलेश के खिलाफ दर्ज गैंगस्टर के मुकदमे का विचारण वरीयता के आधार पर करने का स्पेशल कोर्ट एमपी एमएलए को निर्देश दिया है.

कमलेश के जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने कहा कि जो लोग समाज के संरक्षक हैं तथा एमपी, एमएलए, एमएलसी आदि हैं, उन पर जनता के प्रति बड़ी जिम्मेदारी है.उनसे यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह अपराध में शामिल होकर समाज को नुकसान पहुंचाए. पाठक के खिलाफ औरैया थाने में 11 जुलाई 2020 को गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. हत्या और हत्या के प्रयास सहित तमाम अन्य गंभीर धाराओं में दर्ज दो मुकदमों को आधार बनाते हुए गैंगस्टर एक्ट का यह मुकदमा कायम किया गया.

गैंग के साथ मिलकर फैलाता दहशतः आरोप है कि कमलेश पाठक का काम अपने गैंग के सदस्यों के साथ मिलकर रंगदारी, फिरौती वसूलने, सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करने, लोगों पर हमला करने, फायरिंग करने आदि की घटनाओं को अंजाम देकर आर्थिक लाभ लेना है और अपनी दहशत कायम रखना है. पाठ के खिलाफ पहले से कई आपराधिक मामले लंबित है, जिनमें उसे कभी सजा नहीं हो पाई. क्योंकि उसके भय के कारण कोई सामने नहीं आता. सरकार में अपनी स्थिति का फायदा उठाकर उसने कई मुकदमों को समाप्त करवा लिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दी थी अपीलः कमलेश पाठक ने औरैया के आर्य नगर स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर की जमीन के लिए अधिवक्ता मंजुल चौबे और उसकी बहन सुधा चौबे की हत्या कर दी थी. जिसकी वजह से समाज में उसका भय और दहशत और अधिक बढ़ गया है. कमलेश पाठक का पहला जमानत प्रार्थना पत्र हाई कोर्ट द्वारा ख़ारिज किया जा चुका है. जिसके खिलाफ विशेष अपील भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उसने हाईकोर्ट में दोबारा जमानत प्रार्थना पत्र दाखिल किया.

कमलेश पाठक पर 37 मुकदमेः कमलेश पाठक के वकीलों का कहना था कि वह 14 जुलाई 2020 से जेल में बंद है. पूर्व एमएलसी रहा है और मुकदमे का ट्रायल अब तक पूरा नहीं हो सका है. 16 में से सिर्फ 6 गवाहों के बयान हुए हैं. याची सभी मामलों में जमानत पर है. उसके खिलाफ कुल 37 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से वह आठ मुकदमों में बरी हो चुका है. 13 मुकदमों में फाइनल रिपोर्ट लग गई है. सात मुकदमे राज्य सरकार ने वापस कर लिए हैं. दो मुकदमे में से कोई नोटिस या समन नहीं प्राप्त हुआ हैं तथा दो मुकदमे एनएसए के तहत दर्ज है. जबकि चार मुकदमों में ट्रायल अभी चल रहा है.

कोर्ट ने गैंगस्टर मुकदमे का ट्रायल जल्द पूरा करने का दिया निर्देशः जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए मंजुल चौबे के परिवार की ओर से उपस्थित अधिवक्ता और सरकारी वकील का कहना था कि याची के प्रभाव का अंदाजा लगाया जा सकता है कि 13 मुकदमों में उसने फाइनल रिपोर्ट लगवा ली है, जिनमें हत्या, फिरौती, हत्या का प्रयास जैसे गंभीर मुकदमे भी शामिल है. यदि उसे जमानत पर रिहा किया जाता है तो वह गवाहों व साक्ष्यों को प्रभावित कर सकता है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की जिरह को सुनने के बाद जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया तथा उसके खिलाफ दर्ज गैंगस्टर के मुकदमे का ट्रायल वरीयता के आधार पर पूरा करने का निर्देश दिया है.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूर्व एमएलसी कमलेश पाठक के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत औरैया में दर्ज मुकदमे में उसे जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कमलेश पाठक के लंबे अपराधी के इतिहास को देखते हुए उसे जमानत पाने का हकदार नहीं माना. हालांकि कोर्ट ने कमलेश के खिलाफ दर्ज गैंगस्टर के मुकदमे का विचारण वरीयता के आधार पर करने का स्पेशल कोर्ट एमपी एमएलए को निर्देश दिया है.

कमलेश के जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने कहा कि जो लोग समाज के संरक्षक हैं तथा एमपी, एमएलए, एमएलसी आदि हैं, उन पर जनता के प्रति बड़ी जिम्मेदारी है.उनसे यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह अपराध में शामिल होकर समाज को नुकसान पहुंचाए. पाठक के खिलाफ औरैया थाने में 11 जुलाई 2020 को गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. हत्या और हत्या के प्रयास सहित तमाम अन्य गंभीर धाराओं में दर्ज दो मुकदमों को आधार बनाते हुए गैंगस्टर एक्ट का यह मुकदमा कायम किया गया.

गैंग के साथ मिलकर फैलाता दहशतः आरोप है कि कमलेश पाठक का काम अपने गैंग के सदस्यों के साथ मिलकर रंगदारी, फिरौती वसूलने, सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करने, लोगों पर हमला करने, फायरिंग करने आदि की घटनाओं को अंजाम देकर आर्थिक लाभ लेना है और अपनी दहशत कायम रखना है. पाठ के खिलाफ पहले से कई आपराधिक मामले लंबित है, जिनमें उसे कभी सजा नहीं हो पाई. क्योंकि उसके भय के कारण कोई सामने नहीं आता. सरकार में अपनी स्थिति का फायदा उठाकर उसने कई मुकदमों को समाप्त करवा लिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दी थी अपीलः कमलेश पाठक ने औरैया के आर्य नगर स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर की जमीन के लिए अधिवक्ता मंजुल चौबे और उसकी बहन सुधा चौबे की हत्या कर दी थी. जिसकी वजह से समाज में उसका भय और दहशत और अधिक बढ़ गया है. कमलेश पाठक का पहला जमानत प्रार्थना पत्र हाई कोर्ट द्वारा ख़ारिज किया जा चुका है. जिसके खिलाफ विशेष अपील भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उसने हाईकोर्ट में दोबारा जमानत प्रार्थना पत्र दाखिल किया.

कमलेश पाठक पर 37 मुकदमेः कमलेश पाठक के वकीलों का कहना था कि वह 14 जुलाई 2020 से जेल में बंद है. पूर्व एमएलसी रहा है और मुकदमे का ट्रायल अब तक पूरा नहीं हो सका है. 16 में से सिर्फ 6 गवाहों के बयान हुए हैं. याची सभी मामलों में जमानत पर है. उसके खिलाफ कुल 37 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से वह आठ मुकदमों में बरी हो चुका है. 13 मुकदमों में फाइनल रिपोर्ट लग गई है. सात मुकदमे राज्य सरकार ने वापस कर लिए हैं. दो मुकदमे में से कोई नोटिस या समन नहीं प्राप्त हुआ हैं तथा दो मुकदमे एनएसए के तहत दर्ज है. जबकि चार मुकदमों में ट्रायल अभी चल रहा है.

कोर्ट ने गैंगस्टर मुकदमे का ट्रायल जल्द पूरा करने का दिया निर्देशः जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए मंजुल चौबे के परिवार की ओर से उपस्थित अधिवक्ता और सरकारी वकील का कहना था कि याची के प्रभाव का अंदाजा लगाया जा सकता है कि 13 मुकदमों में उसने फाइनल रिपोर्ट लगवा ली है, जिनमें हत्या, फिरौती, हत्या का प्रयास जैसे गंभीर मुकदमे भी शामिल है. यदि उसे जमानत पर रिहा किया जाता है तो वह गवाहों व साक्ष्यों को प्रभावित कर सकता है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की जिरह को सुनने के बाद जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया तथा उसके खिलाफ दर्ज गैंगस्टर के मुकदमे का ट्रायल वरीयता के आधार पर पूरा करने का निर्देश दिया है.

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