कुशीनगर : राज्यसभा चुनाव में मंगलवार को जहां पाला बदल कर कई विधायकों ने सपा प्रमुख को झटका दिया. वहीं कुशीनगर के हाटा से पूर्व राज्यमंत्री व पूर्व विधायक राधेश्याम सिंह ने भी खुद की उपेक्षा पर घोर निराशा जताई है. मीडिया के सामने आकर पूर्व मंत्री ने नाराजगी जताते हुए अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत से आज तक (32 साल) साथ देने का जिक्र किया. वहीं, खुद को पार्टी में उपेक्षित होने की बात भी कही.
चुनाव लड़ाने का पार्टी ने दिया था आश्वासन : किसान नेता के नाम से पुकारे जाने वाले सपा सरकार में पूर्व मंत्री रहे राधेश्याम सिंह ने मीडिया के सामने अपनी पीड़ा कही. उनका कहना है कि देवरिया की लोकसभा सीट से उन्हें लड़ाने का पार्टी ने आश्वासन दिया था. लेकिन इस सीट को गठबंधन में कांग्रेस को सौंप दिया गया. समाजवादी पार्टी और इसके संस्थापक स्व. मुलायम सिंह यादव के प्रति 32 वर्षों की अगाध निष्ठा के बावजूद उन्हें मुकम्मल जगह कभी नहीं मिली, जिसके वह हकदार थे. उन्होंने कहा कि सपा प्रमुख ने दो साल पहले कहा था कि देवरिया से सांसद का चुनाव लड़ाएंगे. मुझे वहां का प्रभारी भी बना दिया गया. वह लगातार मेहनत कर रहे थे लेकिन, अंतिम दौर में यह सीट कांग्रेस को दे दी गई. पहले भी कुशीनगर से आश्वासन देने के बाद भी टिकट नहीं दिया गया. खड्डा व कुशीनगर से विधानसभा का टिकट कहने के बाद भी नहीं दिया गया. उन्होंने सवाल किया है कि बार-बार एक आदमी का इम्तिहान क्यों?
किसानों से पूछकर लूंगा निर्णय : उन्होंने कहा कि मैं भी कई बार विधायक रहा. 'नेता जी' ने जहां उंगली रख दी, उनका वोट नहीं गया. सपा नेता ने कहा कि अपनी बात राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने मीडिया के जरिए रखी है. अपने अगले राजनीतिक कदम के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि किसानों ने उन्हें पहली बार निर्दल विधायक बनाया था. उन्हीं की लड़ाई लड़ता रहा हूं. जल्द ही किसान पंचायत बुलाऊंगा, उसमें किसानों से पूछकर अगले राजनीतिक कदम का निर्णय लूंगा.
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