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पूर्व मंत्री बच्चा सिंह का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन, वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर हुआ अंतिम संस्कार - Bachha Singh Funeral

Bachha singh passed away.उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर के मणिकर्णिका घाट पर पूर्व मंत्री बच्चा सिंह का अंतिम संस्कार किया गया. भतीजे अभिषेक सिंह ने मुखाग्नि दी. इस दौरान परिवार के कई सदस्य मौजूद रहे.

Bachha Singh Funeral
वाराणसी में पूर्व मंत्री बच्चा सिंह की अंत्येष्टि में मौजूद परिजन. (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 30, 2024, 1:40 PM IST

धनबादः पूर्व मंत्री बच्चा सिंह का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया. मंगलवार को वाराणसी (यूपी) के मणिकर्णिका घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया. भतीजे अभिषेक सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी. इस मौके पर परिवार के अन्य कई सदस्य मौजूद थे. बताते चलें कि सोमवार को पूर्व मंत्री बच्चा सिंह का एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया था. वह पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे.

वाराणसी में पूर्व मंत्री बच्चा सिंह की अंत्येष्टि में मौजूद परिजन. (वीडियो-ईटीवी भारत)

धनबाद में राजकीय सम्मान के साथ दी गई थी विदाई

निधन के बाद उनका पार्थिव शरीर सरायढेला स्थित सूर्यदेव नगर आवास लाया गया था, जहां जिला प्रशासन की तरफ से राजकीय सम्मान के साथ विदाई दी गई थी. इस दौरान उन्हें बंदूकों की सलामी दी गई. वहीं परिवार के सदस्यों और कोयलांचल के लोगों ने अंतिम दर्शन किए थे.इसके बाद बच्चा सिंह का पार्थिव शरीर मंगलवार को वाराणसी के मणिकर्णिका घाट लाया गया, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया.

सूर्यदेव के निधन के बाद सिंह मेंशन की कमान संभाली थी

बता दें कि मजदूर नेता और झरिया के विधायक रहे सूर्यदेव सिंह के निधन के बाद बच्चा सिंह ने सिंह मेंशन की कमान संभाली थी. बच्चा सिंह सूर्यदेव सिंह से छोटे थे. सूर्यदेव सिंह के निधन के बाद साल 1991 में झरिया सीट से बच्चा सिंह ने उपचुनाव लड़ा था. पूर्व प्रधानमंत्री चंदशेखर की पार्टी से वह प्रत्याशी थे. लेकिन आबो देवी ने उन्हें चुनाव में हरा दिया था.आबो देवी राजद से चुनाव लड़ी थीं. इसके बाद फिर 1995 में बच्चा सिंह फिर से चंद्रशेखर की पार्टी से चुनाव लड़े, लेकिन एक बार उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.

वर्ष 2000 में झरिया से बने से विधायक

समता पार्टी में शामिल के बाद उन्होंने फिर 2000 में चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई. इस चुनाव में वह सफल हुए और जीत हासिल की. समता और भाजपा में तालमेल था.जिस कारण चुनाव में बच्चा सिंह को लाभ मिला था. विधायक बनने के बाद बाबूलाल मरांडी की सरकार में बच्चा सिंह को नगर विकास मंत्री बनाया गया था. बाबूलाल की सरकार में डोमिसाइल नीति लाई गई, जिसका उन्होंने जमकर विरोध किया था. साथ ही इसके विरोध में आंदोलन भी किया था.

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वाराणसी में पूर्व मंत्री बच्चा सिंह की अंत्येष्टि में मौजूद परिजन. (वीडियो-ईटीवी भारत)

धनबाद में राजकीय सम्मान के साथ दी गई थी विदाई

निधन के बाद उनका पार्थिव शरीर सरायढेला स्थित सूर्यदेव नगर आवास लाया गया था, जहां जिला प्रशासन की तरफ से राजकीय सम्मान के साथ विदाई दी गई थी. इस दौरान उन्हें बंदूकों की सलामी दी गई. वहीं परिवार के सदस्यों और कोयलांचल के लोगों ने अंतिम दर्शन किए थे.इसके बाद बच्चा सिंह का पार्थिव शरीर मंगलवार को वाराणसी के मणिकर्णिका घाट लाया गया, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया.

सूर्यदेव के निधन के बाद सिंह मेंशन की कमान संभाली थी

बता दें कि मजदूर नेता और झरिया के विधायक रहे सूर्यदेव सिंह के निधन के बाद बच्चा सिंह ने सिंह मेंशन की कमान संभाली थी. बच्चा सिंह सूर्यदेव सिंह से छोटे थे. सूर्यदेव सिंह के निधन के बाद साल 1991 में झरिया सीट से बच्चा सिंह ने उपचुनाव लड़ा था. पूर्व प्रधानमंत्री चंदशेखर की पार्टी से वह प्रत्याशी थे. लेकिन आबो देवी ने उन्हें चुनाव में हरा दिया था.आबो देवी राजद से चुनाव लड़ी थीं. इसके बाद फिर 1995 में बच्चा सिंह फिर से चंद्रशेखर की पार्टी से चुनाव लड़े, लेकिन एक बार उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.

वर्ष 2000 में झरिया से बने से विधायक

समता पार्टी में शामिल के बाद उन्होंने फिर 2000 में चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई. इस चुनाव में वह सफल हुए और जीत हासिल की. समता और भाजपा में तालमेल था.जिस कारण चुनाव में बच्चा सिंह को लाभ मिला था. विधायक बनने के बाद बाबूलाल मरांडी की सरकार में बच्चा सिंह को नगर विकास मंत्री बनाया गया था. बाबूलाल की सरकार में डोमिसाइल नीति लाई गई, जिसका उन्होंने जमकर विरोध किया था. साथ ही इसके विरोध में आंदोलन भी किया था.

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