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बूंदी के पूर्व नरेश राव सूरजमल हाड़ा के घुटनों तक आते थे हाथ, इसलिए दी थी आजानुबाहु की उपाधि - Surajamal Haada Ki Chhatari

एयरपोर्ट निर्माण के लिए कोटा बूंदी सीमा पर तुलसी गांव में तोड़ी गई राव सूरजमल की छतरी अपने आप एक इतिहास समेटे हुए है. इस जगह ही राव सूरजमल वीरगति को प्राप्त हुए थे.

History of Rao Surajmal
बूंदी नरेश राव सूरजमल हाड़ा की छतरी (Photo ETV Bharat Bundi)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 28, 2024, 6:19 PM IST

बूंदी: कोटा में एयरपोर्ट निर्माण कार्य के लिए जिस राव सूरजमल हाड़ा की छतरी तोड़ी गई, उनका गौरवशाली इतिहास रहा है. राव सूरजमल के हाथ घुटनों तक आते थे, इसलिए उन्हें आजानुबाहु की उपाधि दी गई थी. वे राव रतन सिंह से युद्ध करते हुए हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे. हाड़ा की छतरी का इतिहास भी गौरवशाली रहा है.

इंटेक कन्वीनर राजकुमार दाधीच ने बताया कि राजा राव सूरजमल हाड़ा बूंदी रियासत के 9 वें शासक थे. छतरी का निर्माण 1527 से 1531 में तुलसी गांव के निकट करवाया गया था. यह छतरी राव सूरजमल हाड़ा की है. यहां राणा सांगा के पुत्र रतन सिंह व राव नारायणदास के पुत्र सूरजमल हाड़ा के मध्य युद्ध हुआ था. चारण साहित्य के अनुसार राव सूरजमल के हाथ घुटनों तक आते थे, इसलिए उन्हें आजानुबाहु कहा जाता था. राव सूरजमल की बहन सूजा बाई का विवाह रतन सिंह से सम्पन हुआ था. बूंदी-मेवाड़ सीमावर्ती राज्य होने से सर्वाधिक वैवाहिक संबंध भी इनमें ही होते थे तथा छोटी सी बातों में युद्ध भी हो जाते थे.

पढ़ें: राव सूरजमल हाड़ा की छतरी तोड़ने के विरोध में सड़क पर उतरी करणी सेना

इंटेक कन्वीनर राजकुमार दाधीच ने बताया कि चारण साहित्य के अनुसार एक समय राव सूरजमल ने राणा रतन सिंह के साथ किसी बात को लेकर मजाक कर दिया. वह मजाक राणा रतन सिंह को चुभ गया. वे उसे भुला न सके. राणा रतन सिंह ने उसे स्वयं का अपमान समझ उसका प्रतिशोध लेने की ठान ली. वे शिकार के बहाने बूंदी आए और राव सूरजमल को अकेले ही तुलसी के जंगलों में शिकार के लिए ले गए. यहां रतन सिंह ने पहले ही कुछ सेना छिपा रखी थी. तुलसी के जंगलों में जैसे ही सूरजमल शिकार की होदी में चढ़ने लगे, तभी उन पर सैनिकों ने तीरों व भालों से प्रहार कर दिया. घायल बूंदी नरेश मूर्छित होकर गिर पड़े. तभी रतन सिंह उनके सामने आकर कहने लगे कि क्या यही है बूंदी का शेर.... कुछ क्षणों में सूरजमल की मूर्च्छा टूटी व घायल राव सूरजमल ने रतन सिंह पर कटार से प्रहार कर वध कर दिया. उनके साथी सैनिकों को मारकर स्वयं भी वीरगति को प्राप्त हुए.

चौदह बीघा में फैली थी छतरी: दाधीच ने बताया कि राव सूरजमल हाड़ा की छतरी के नाम 14 बिस्वा परिसर था और 13 बीघा जमीन बल्लोप में खातेदारी अधिकार में दर्ज है. इस जमीन पर भी लंबे समय से लोगों का अवैध कब्जा है.

यह भी पढ़ें: राव सूरजमल की छतरी तोड़ने का मामला पकड़ रहा तूल, धर्मेंद्र राठोड़ पहुंचे जायजा लेने

ऐसे शुरू हुआ विवाद: कोटा-बूंदी जिले की सरहद पर तुलसी गांव स्थित 600 साल पुरानी बूंदी नरेश राव सूरजमल हाड़ा की छतरी को केडीए ने ध्वस्त कर दिया. 20 सितंबर सुबह 11 बजे की गई इस कार्रवाई का गांव वालों को पता नहीं चला. केडीए का जत्था जब लौट कर आया तो ग्रामीणों को इसका पता चला. कोटा एयरपोर्ट की जद में आई छतरी को ध्वस्त करने पर ग्रामीण राजपूत समाज,करणी सेना व जनप्रतिनिधियों ने गहरा आक्रोश जताया है. वहीं इस घटना को लेकर पूर्व राज परिवार ने भी भारी रोष व्याप्त है. पूर्व राज परिवार के सदस्य इज्जयराज सिंह, महाराव वंशवर्धन सिंह, भंवर जितेंद्र सिंह, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह दिया कुमारी व बूंदी विधायक हरिमोहन शर्मा ने घटना पर नाराजगी जताई थी.

बूंदी: कोटा में एयरपोर्ट निर्माण कार्य के लिए जिस राव सूरजमल हाड़ा की छतरी तोड़ी गई, उनका गौरवशाली इतिहास रहा है. राव सूरजमल के हाथ घुटनों तक आते थे, इसलिए उन्हें आजानुबाहु की उपाधि दी गई थी. वे राव रतन सिंह से युद्ध करते हुए हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे. हाड़ा की छतरी का इतिहास भी गौरवशाली रहा है.

इंटेक कन्वीनर राजकुमार दाधीच ने बताया कि राजा राव सूरजमल हाड़ा बूंदी रियासत के 9 वें शासक थे. छतरी का निर्माण 1527 से 1531 में तुलसी गांव के निकट करवाया गया था. यह छतरी राव सूरजमल हाड़ा की है. यहां राणा सांगा के पुत्र रतन सिंह व राव नारायणदास के पुत्र सूरजमल हाड़ा के मध्य युद्ध हुआ था. चारण साहित्य के अनुसार राव सूरजमल के हाथ घुटनों तक आते थे, इसलिए उन्हें आजानुबाहु कहा जाता था. राव सूरजमल की बहन सूजा बाई का विवाह रतन सिंह से सम्पन हुआ था. बूंदी-मेवाड़ सीमावर्ती राज्य होने से सर्वाधिक वैवाहिक संबंध भी इनमें ही होते थे तथा छोटी सी बातों में युद्ध भी हो जाते थे.

पढ़ें: राव सूरजमल हाड़ा की छतरी तोड़ने के विरोध में सड़क पर उतरी करणी सेना

इंटेक कन्वीनर राजकुमार दाधीच ने बताया कि चारण साहित्य के अनुसार एक समय राव सूरजमल ने राणा रतन सिंह के साथ किसी बात को लेकर मजाक कर दिया. वह मजाक राणा रतन सिंह को चुभ गया. वे उसे भुला न सके. राणा रतन सिंह ने उसे स्वयं का अपमान समझ उसका प्रतिशोध लेने की ठान ली. वे शिकार के बहाने बूंदी आए और राव सूरजमल को अकेले ही तुलसी के जंगलों में शिकार के लिए ले गए. यहां रतन सिंह ने पहले ही कुछ सेना छिपा रखी थी. तुलसी के जंगलों में जैसे ही सूरजमल शिकार की होदी में चढ़ने लगे, तभी उन पर सैनिकों ने तीरों व भालों से प्रहार कर दिया. घायल बूंदी नरेश मूर्छित होकर गिर पड़े. तभी रतन सिंह उनके सामने आकर कहने लगे कि क्या यही है बूंदी का शेर.... कुछ क्षणों में सूरजमल की मूर्च्छा टूटी व घायल राव सूरजमल ने रतन सिंह पर कटार से प्रहार कर वध कर दिया. उनके साथी सैनिकों को मारकर स्वयं भी वीरगति को प्राप्त हुए.

चौदह बीघा में फैली थी छतरी: दाधीच ने बताया कि राव सूरजमल हाड़ा की छतरी के नाम 14 बिस्वा परिसर था और 13 बीघा जमीन बल्लोप में खातेदारी अधिकार में दर्ज है. इस जमीन पर भी लंबे समय से लोगों का अवैध कब्जा है.

यह भी पढ़ें: राव सूरजमल की छतरी तोड़ने का मामला पकड़ रहा तूल, धर्मेंद्र राठोड़ पहुंचे जायजा लेने

ऐसे शुरू हुआ विवाद: कोटा-बूंदी जिले की सरहद पर तुलसी गांव स्थित 600 साल पुरानी बूंदी नरेश राव सूरजमल हाड़ा की छतरी को केडीए ने ध्वस्त कर दिया. 20 सितंबर सुबह 11 बजे की गई इस कार्रवाई का गांव वालों को पता नहीं चला. केडीए का जत्था जब लौट कर आया तो ग्रामीणों को इसका पता चला. कोटा एयरपोर्ट की जद में आई छतरी को ध्वस्त करने पर ग्रामीण राजपूत समाज,करणी सेना व जनप्रतिनिधियों ने गहरा आक्रोश जताया है. वहीं इस घटना को लेकर पूर्व राज परिवार ने भी भारी रोष व्याप्त है. पूर्व राज परिवार के सदस्य इज्जयराज सिंह, महाराव वंशवर्धन सिंह, भंवर जितेंद्र सिंह, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह दिया कुमारी व बूंदी विधायक हरिमोहन शर्मा ने घटना पर नाराजगी जताई थी.

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