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मजदूर दिवस को "बोरे-बासी दिवस" के रूप में मनाने कांग्रेस सरकार ने की थी शुरुआत - appeal to people to eat bore basi - APPEAL TO PEOPLE TO EAT BORE BASI

Labour Day 2024, International Workers Day, May Day, May 1 साल 2018 में जब कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ में बनी तब भूपेश बघेल ने 1 मई के दिन बोरे बासी दिवस मनाने का ऐलान किया. बोरे बासी दिवस के दिन नेता से लेकर अफसर तक बोरे बासी खाते पिछली सरकार में नजर आए. भूपेश बघेल ने एक बार फिर लोगों से बोरे बासी खाने की अपील की है.

Labour Day 2024
बोरे बासी दिवस मनाने की अपील
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 30, 2024, 10:10 PM IST

Updated : May 1, 2024, 8:55 AM IST

बोरे बासी दिवस मनाने की अपील

रायपुर: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया है. वीडियो में पूर्व मुख्यमंत्री ने 1 मई मजदूर दिवस को "बोरे-बासी दिवस" के रूप में मनाने की शुरुआत को जारी रखने की अपील लोगों से की है. कांग्रेस सरकार में 1 मई को "बोरे-बासी" खाते हुए नेता, मंत्री, सांसद, विधायक, आईएएस, आईपीएस सहित सभी अधिकारी कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड किया था. अब सरकार बदल चुकी है. सवाल ये उठने लगा है कि क्या बोरे बासी परंपरा इस साल जारी रहेगी.

भूपेश बघेल ने लिखा ''बोरे बासी'' जारी रखने को लेकर खत: भूपेश बघेल ने अपने खत के जरिए कहा है कि साथियों एक मई को मजदूर दिवस है हम सब मिलकर पहले की तरह इस बार भी बोरे बासी खान का जन अभियान करेंगे. इस अभियान से श्रिमिकों के खाने पीने और जीवन जीने का जो तरीका है उसको सम्मान मिलता है. हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम इस परंपरा को बरकरार रखें. दीपक बैज ने भी बोरे बासी परंपरा को निभाए जाने को लेकर एक खत लिखा है. डिप्टी सीएम अरुण साव ने साफ किया है कि हम दिखावा नहीं काम में विश्वास करते हैं.

बोरे बासी दिवस मनाने की अपील


''कल अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस है. उस दिन आम और मेहनतकश लोगों की तरह किसान और मजदूरों के भोजन को सम्मान देने का दिन है. बोरे बासी मनाने का दिन है. जो परंपरा हमने शुरु की थी उसे जारी रखने का दिन है. सभी लोग कल बोरे बासी खाएं और उसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर जरुर पोस्ट करें''. - भूपेश बघेल, पूर्व मुख्यमंत्री

''हम लोगों ने सभी पार्टी कार्यकर्ताओं, प्रदेश की जनता, प्रदेश के मजदूरों को लिखित संदेश भेजा है कि वो बारे बासी खाकर मजदूरों का सम्मान करें. जिस प्रकार से हमारी कांग्रेस सरकार ने पिछले 5 सालों में छत्तीसगढ़ की संस्कृति परंपरा को जिंदा रखा, तीज, पोला या अन्य त्योहार हों उसको मनाया है. उसी तरह से बोरे बासी की परंपरा को भी आगे बढ़ाया जाए. जो परंपरा हमने शुरु की थी उस परंपरा को ये उद्योपतियों की सरकार हमसे छीनना चाहती है. 1 मई को मजदूर दिवस है हम सब मिलकर बोरे बासी खाएंगे और मजदूर किसानों को ये संदेश देंगे कि हम उनका सम्मान करते हैं''. - दीपक बैज, पीसीसी चीफ, छत्तीसगढ़


''हमारी सरकार काम करने पर भरोसा करती है. कांग्रेस पार्टी ने दिखावा किया. लोगों को ठगने का काम किया. लोगों में भ्रम फैलाने काम कांग्रेस ने किया है.वास्तविक रूप से छत्तीसगढ़ की संस्कृति और सभ्यता को आगे बढ़ाने उसे संरक्षित करने काम हमारी सरकार लगातार कर रही है''. - अरुण साव, उपमुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़


''यदि कांग्रेस मजदूर दिवस को बोरे वासी दिवस के रूप में मनाने की बात कर रही है तो उसे एक अच्छा सुझाव माना जाना चाहिए. बोर बासी खाना छत्तीसगढ़ की परंपरा रही है. गांव देहात से जुड़ी बात है. यह बरसों से होते आ रहा है. यह कोई नई बात नहीं है. छत्तीसगढ़ की अस्मिता, संस्कृति को लेकर, रीति रिवाज को लेकर यदि कोई बात होती है तो उस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए उसका स्वागत करना चाहिए''. - उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार, रायपुर


''बोरे बासी खाए जाने का प्रचलन काफी पुराना है. बोरे और वासी दोनों में थोड़ा सा अंतर होता है. बोरे वह होता है जो पके हुए चावल को तुरंत पानी में डाला जाता है. फिर दही और प्याज के साथ खाया जाता है. दूसरा बासी वह होता है जिसे मिट्टी के बर्तन में चावल को पानी में डुबो दिया जाता है. रात को डुबोने के बाद उसे सुबह के वक्त नमक और प्याज मिर्ची के साथ खाते हैं''. - डॉक्टर सारिका श्रीवास्तव, न्यूट्रिशनिस्ट



चुनावी मौसम में बोरे बासी पर तकरार: बोरे बासी सेहत के लिए हेल्दी होता है ये हम सभी जानते हैं. देश में मौसम चुनावी है लिहाजा कांग्रेस ने बोरे बासी परंपरा को लेकर जरूर एक तरह से बीजेपी पर वार किया है. अरुण साव ने जरूर साफ कर दिया है कि उनकी सरकार दिखावा नहीं काम करने वाली सरकार है.

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बोरे बासी दिवस मनाने की अपील

रायपुर: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया है. वीडियो में पूर्व मुख्यमंत्री ने 1 मई मजदूर दिवस को "बोरे-बासी दिवस" के रूप में मनाने की शुरुआत को जारी रखने की अपील लोगों से की है. कांग्रेस सरकार में 1 मई को "बोरे-बासी" खाते हुए नेता, मंत्री, सांसद, विधायक, आईएएस, आईपीएस सहित सभी अधिकारी कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड किया था. अब सरकार बदल चुकी है. सवाल ये उठने लगा है कि क्या बोरे बासी परंपरा इस साल जारी रहेगी.

भूपेश बघेल ने लिखा ''बोरे बासी'' जारी रखने को लेकर खत: भूपेश बघेल ने अपने खत के जरिए कहा है कि साथियों एक मई को मजदूर दिवस है हम सब मिलकर पहले की तरह इस बार भी बोरे बासी खान का जन अभियान करेंगे. इस अभियान से श्रिमिकों के खाने पीने और जीवन जीने का जो तरीका है उसको सम्मान मिलता है. हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम इस परंपरा को बरकरार रखें. दीपक बैज ने भी बोरे बासी परंपरा को निभाए जाने को लेकर एक खत लिखा है. डिप्टी सीएम अरुण साव ने साफ किया है कि हम दिखावा नहीं काम में विश्वास करते हैं.

बोरे बासी दिवस मनाने की अपील


''कल अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस है. उस दिन आम और मेहनतकश लोगों की तरह किसान और मजदूरों के भोजन को सम्मान देने का दिन है. बोरे बासी मनाने का दिन है. जो परंपरा हमने शुरु की थी उसे जारी रखने का दिन है. सभी लोग कल बोरे बासी खाएं और उसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर जरुर पोस्ट करें''. - भूपेश बघेल, पूर्व मुख्यमंत्री

''हम लोगों ने सभी पार्टी कार्यकर्ताओं, प्रदेश की जनता, प्रदेश के मजदूरों को लिखित संदेश भेजा है कि वो बारे बासी खाकर मजदूरों का सम्मान करें. जिस प्रकार से हमारी कांग्रेस सरकार ने पिछले 5 सालों में छत्तीसगढ़ की संस्कृति परंपरा को जिंदा रखा, तीज, पोला या अन्य त्योहार हों उसको मनाया है. उसी तरह से बोरे बासी की परंपरा को भी आगे बढ़ाया जाए. जो परंपरा हमने शुरु की थी उस परंपरा को ये उद्योपतियों की सरकार हमसे छीनना चाहती है. 1 मई को मजदूर दिवस है हम सब मिलकर बोरे बासी खाएंगे और मजदूर किसानों को ये संदेश देंगे कि हम उनका सम्मान करते हैं''. - दीपक बैज, पीसीसी चीफ, छत्तीसगढ़


''हमारी सरकार काम करने पर भरोसा करती है. कांग्रेस पार्टी ने दिखावा किया. लोगों को ठगने का काम किया. लोगों में भ्रम फैलाने काम कांग्रेस ने किया है.वास्तविक रूप से छत्तीसगढ़ की संस्कृति और सभ्यता को आगे बढ़ाने उसे संरक्षित करने काम हमारी सरकार लगातार कर रही है''. - अरुण साव, उपमुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़


''यदि कांग्रेस मजदूर दिवस को बोरे वासी दिवस के रूप में मनाने की बात कर रही है तो उसे एक अच्छा सुझाव माना जाना चाहिए. बोर बासी खाना छत्तीसगढ़ की परंपरा रही है. गांव देहात से जुड़ी बात है. यह बरसों से होते आ रहा है. यह कोई नई बात नहीं है. छत्तीसगढ़ की अस्मिता, संस्कृति को लेकर, रीति रिवाज को लेकर यदि कोई बात होती है तो उस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए उसका स्वागत करना चाहिए''. - उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार, रायपुर


''बोरे बासी खाए जाने का प्रचलन काफी पुराना है. बोरे और वासी दोनों में थोड़ा सा अंतर होता है. बोरे वह होता है जो पके हुए चावल को तुरंत पानी में डाला जाता है. फिर दही और प्याज के साथ खाया जाता है. दूसरा बासी वह होता है जिसे मिट्टी के बर्तन में चावल को पानी में डुबो दिया जाता है. रात को डुबोने के बाद उसे सुबह के वक्त नमक और प्याज मिर्ची के साथ खाते हैं''. - डॉक्टर सारिका श्रीवास्तव, न्यूट्रिशनिस्ट



चुनावी मौसम में बोरे बासी पर तकरार: बोरे बासी सेहत के लिए हेल्दी होता है ये हम सभी जानते हैं. देश में मौसम चुनावी है लिहाजा कांग्रेस ने बोरे बासी परंपरा को लेकर जरूर एक तरह से बीजेपी पर वार किया है. अरुण साव ने जरूर साफ कर दिया है कि उनकी सरकार दिखावा नहीं काम करने वाली सरकार है.

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Last Updated : May 1, 2024, 8:55 AM IST
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