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अशोक गहलोत बोले- राजनीति की पहली सीढ़ी है छात्रसंघ चुनाव, जल्द चुनाव करवाने का फैसला लें सीएम भजनलाल

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भजन लाल शर्मा सरकार से मांग की है कि प्रदेश में भी अविलंब छात्रसंघ चुनाव करवाए जाएं.

Former Chief Minister Ashok Gehlot
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Photo ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 29, 2024, 6:38 PM IST

जयपुर: दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव संपन्न होने के बाद अब राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव बहाल करवाने को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को बयान जारी कर सरकार से मांग की है कि प्रदेश में भी अविलंब छात्रसंघ चुनाव करवाए जाएं.

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बयान जारी कर कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव होने के बाद राजस्थान के छात्रनेता भी राज्य सरकार से छात्रसंघ चुनाव बहाल करने की उम्मीद कर रहे हैं. हमारी सरकार ने विधानसभा चुनाव की तैयारियों एवं आचार संहिता के कारण चुनावी वर्ष में छात्रसंघ चुनावों को रोका था. पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा भी छात्रसंघ चुनावों पर प्रतिबंध लगाया गया था. इसे हमारी सरकार आने पर युवाओं के हित एवं लोकतंत्र में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए पुन: बहाल किया गया था. वे बोले, छात्रसंघ चुनाव राजनीति की पहली सीढ़ी की तरह है. इसमें हार-जीत के कोई मायने नहीं हैं. इनमें भाग लेने से ही विद्यार्थियों की राजनीतिक समझ बढ़ती है.

पढ़ें: पूर्व सीएम अशोक गहलोत बोले- पीएम मोदी चढ़ाते हैं अजमेर दरगाह में चादर, उनकी पार्टी के लोग केस कर फैला रहे भ्रम

गहलोत खुद भी लड़े छात्रसंघ चुनाव: गहलोत ने कहा कि 1972-73 में मैं खुद छात्रसंघ चुनाव लड़ा पर हार गया था. इसके बावजूद राजनीति में आगे बढ़ा. राजस्थान की वर्तमान राजनीति में पूर्व विधानसभा स्पीकर डॉ.सीपी जोशी, विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी, राजेंद्र राठौड़, रघु शर्मा, महेश जोशी, प्रताप सिंह खाचरियावास, हरीश चौधरी, राजकुमार शर्मा, हनुमान बेनीवाल, महेंद्र चौधरी, मनीष यादव, मुकेश भाकर, विकास चौधरी, रामनिवास गावड़िया, कालीचरण सर्राफ, श्रीचंद कृपलानी, अशोक लाहोटी, अरुण चतुर्वेदी समेत तमाम विधायक और पूर्व विधायक छात्रसंघ से ही निकले हैं.

युवाओं की लोकतंत्र में भागीदारी होगी मजबूत: उन्होंने कहा, पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत अरुण जेटली, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी छात्रसंघ की राजनीति से निकले हैं. राज्य सरकार को लोकतंत्र में युवाओं की भागीदारी और अधिक मजबूत करने एवं राजस्थान के बेहतर भविष्य के लिए छात्रसंघ चुनावों को बहाल करना चाहिए. उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से व्यक्तिगत रूप से अपील की है कि युवाओं के हित में यह फैसला अविलंब लेना चाहिए.

जयपुर: दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव संपन्न होने के बाद अब राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव बहाल करवाने को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को बयान जारी कर सरकार से मांग की है कि प्रदेश में भी अविलंब छात्रसंघ चुनाव करवाए जाएं.

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बयान जारी कर कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव होने के बाद राजस्थान के छात्रनेता भी राज्य सरकार से छात्रसंघ चुनाव बहाल करने की उम्मीद कर रहे हैं. हमारी सरकार ने विधानसभा चुनाव की तैयारियों एवं आचार संहिता के कारण चुनावी वर्ष में छात्रसंघ चुनावों को रोका था. पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा भी छात्रसंघ चुनावों पर प्रतिबंध लगाया गया था. इसे हमारी सरकार आने पर युवाओं के हित एवं लोकतंत्र में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए पुन: बहाल किया गया था. वे बोले, छात्रसंघ चुनाव राजनीति की पहली सीढ़ी की तरह है. इसमें हार-जीत के कोई मायने नहीं हैं. इनमें भाग लेने से ही विद्यार्थियों की राजनीतिक समझ बढ़ती है.

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गहलोत खुद भी लड़े छात्रसंघ चुनाव: गहलोत ने कहा कि 1972-73 में मैं खुद छात्रसंघ चुनाव लड़ा पर हार गया था. इसके बावजूद राजनीति में आगे बढ़ा. राजस्थान की वर्तमान राजनीति में पूर्व विधानसभा स्पीकर डॉ.सीपी जोशी, विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी, राजेंद्र राठौड़, रघु शर्मा, महेश जोशी, प्रताप सिंह खाचरियावास, हरीश चौधरी, राजकुमार शर्मा, हनुमान बेनीवाल, महेंद्र चौधरी, मनीष यादव, मुकेश भाकर, विकास चौधरी, रामनिवास गावड़िया, कालीचरण सर्राफ, श्रीचंद कृपलानी, अशोक लाहोटी, अरुण चतुर्वेदी समेत तमाम विधायक और पूर्व विधायक छात्रसंघ से ही निकले हैं.

युवाओं की लोकतंत्र में भागीदारी होगी मजबूत: उन्होंने कहा, पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत अरुण जेटली, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी छात्रसंघ की राजनीति से निकले हैं. राज्य सरकार को लोकतंत्र में युवाओं की भागीदारी और अधिक मजबूत करने एवं राजस्थान के बेहतर भविष्य के लिए छात्रसंघ चुनावों को बहाल करना चाहिए. उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से व्यक्तिगत रूप से अपील की है कि युवाओं के हित में यह फैसला अविलंब लेना चाहिए.

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