लखनऊ: सपा के पूर्व विधायक जवाहर पंडित की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे बीजेपी के पूर्व एमएलए उदय भान करवरिया जेल से रिहा होंगे. कारागार विभाग ने उदयभान की समय से पहले रिहाई का शासनादेश जारी कर दिया है.
प्रयागराज में वर्ष 1996 में सपा के पूर्व विधायक जवाहर पंडित की हत्या के मामले में उदयभान करवरिया व अन्य के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ था. 4 नवंबर, 2019 को उन्हें उम्र कैद की सजा हुई थी. बीते दिनों प्रयागराज के डीएम व एसएसपी ने पूर्व विधायक करवरिया की समयपूर्व रिहाई की संस्तुति की थी.
पूर्व एमएलए उदय भान करवरिया की समय से पहले रिहाई का क्या है कारण: दरअसल, कारागार में अच्छे आचरण व दया याचिका समिति की संस्तुति के आधार पर पूर्व विधायक उदयभान करवरिया की समय पूर्व रिहाई का निर्णय लिया गया है.
कारागार के शासनादेश में कहा गया है कि "यदि बंदी को किसी अन्य वाद में निरुद्ध न रखा जाना हो तो उसे शेष दंड की अवधि में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए एसएसपी व डीएम प्रयागराज के समक्ष दो जमानती तथा उतनी ही राशि का एक निजी मुचलका प्रस्तुत करने पर बंदी को कारागार से मुक्त कर दिया जाए."
वर्ष 2018 में यूपी सरकार ने इलाहाबाद सेशन कोर्ट में करवरिया के विरुद्ध दर्ज मुकदमे को वापस लेने की अर्जी दाखिल की थी. हालांकि सरकार के इस फैसले के खिलाफ जवाहर पंडित की पत्नी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इसके बाद कोर्ट ने मुकदमा जारी रखने के निर्देश दिए थे.
पहली बार इलाहाबाद में चली थी AK-47 रायफल: 13 अगस्त, 1996 को प्रयागराज के सिविल लाइंस में सपा के पूर्व विधायक जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित को दिनदहाड़े गोलियों से भून दिया गया था. यह पहली बार था, जब इलाहाबाद में एके-47 की गूंजी थी. हत्या का आरोप करवरिया बंधुओं पर लगा था.
बालू के ठेकों की लड़ाई में चली थी गोलियां: इस हत्याकांड में कपिलमुनि करवरिया, उनके भाई उदयभान करवरिया, सूरजभान करवरिया व उनके रिश्तेदार रामचंद्र उर्फ कल्लू नामजद हुए थे. करवरिया बंधुओं और जवाहर पंडित के बीच बालू के ठेकों को लेकर अदावत थी. 1993 में जब यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी और जवाहर पंडित विधायक बने तो बालू के ठेकों पर जवाहर के ही कब्जे हो गए और करवरिया बंधुओं का धंधा शांत हो गया था.
गेस्ट हाउस कांड के बाद जवाहर की हत्या करने का करवरिया बंधुओं ने ठाना था: वर्ष 1996 में गेस्ट हाउस कांड के बाद सपा की सरकार गिर गई थी. सपा के सत्ता से बाहर होते ही जवाहर पंडित का वर्चस्व कम पड़ने लगा और इसी का फायदा उठाने के लिए करवरिया बंधुओं ने उसे ठिकाने लगाने की ठान ली थी.
13 अगस्त 1996 को जवाहर पंडित को सिविल लाइन में AK-47 से छलनी कर दिया गया था. इसके बाद राजनीति में तीनों भाइयों का रसूख बढ़ता गया. कपिलमुनि करवरिया बीएसपी सांसद, उदयभान बीजेपी से विधायक व सूरजभान बीएसपी से एमएलसी बने.
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