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मुनस्यारी में तैयार किया गया उत्तराखंड का पहला बुरांश गार्डन, वन अनुसंधान केंद्र ने संरक्षित की 35 प्रजातियां - Buransh Garden in Uttarakhand

Buransh Garden in Uttarakhand, Forest Research Center Munsiyari मुनस्यारी में उत्तराखंड का पहला बुरांश उद्यान तैयार किया गया है. इस बुरांश उद्यान में 35 प्रजातियों को संरक्षित किया गया है. उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र मुनस्यारी ने इस बुरांश उद्यान को तैयार किया है.

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उत्तराखंड का पहला बुरांश गार्डन (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 13, 2024, 6:23 PM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड वन विभाग की अनुसंधान विंग ने पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी में बुरांश (रोडोडेंड्रोन) प्रजातियों को समर्पित एक अनूठा उद्यान विकसित किया है. यह उद्यान पूरे भारतीय हिमालय क्षेत्र और देश में बुरांश प्रजातियों को समर्पित पहला उद्यान है. इस उद्यान को उत्तराखंड सरकार के वित्त पोषण के तहत अनुसंधान विंग द्वारा चार वर्षों के अथक प्रयासों के बाद विकसित किया है.

यह उद्यान एक हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है. इसमें बुरांश की 35 प्रजातियों को संरक्षित किया गया है. जिसमें उत्तराखंड में पाई जाने वाली बुरांश की 5 प्रजातियां रोडोडेंड्रोन आर्बोरियम (बुरांश), रोडोडेंड्रोन कैपानुलेटम, रोडोडेंड्रोन बार्बाटम, रोडोडेंड्रोन एन्थोपोगोन और रोडोडेंड्रोन लेपिडोटम भी शामिल हैं. वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने बताया रोडोडेंड्रोन उद्यान की स्थापना का मुख्य उद्देश्य इन आकर्षक पौधों की प्रजातियों का संरक्षण, बुरांश प्रजातियों के विषय में वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना है. इन प्रजातियों के पारिस्थितिक और आर्थिक महत्व के बारे में आम जनता के मध्य जागरूकता को बढ़ावा देना है.

बुरांश (रोडोडेंड्रोन आर्थोरियम) विश्व में पायी जाने वाली सभी रोडोडेंड्रोन प्रजातियों में सबसे बड़ा है. यह उत्तराखंड का राज्य वृक्ष, नेपाल का राष्ट्रीय वृक्ष और नागालैंड का राज्य फूल है. इसके फूलों का उपयोग 'शरबत' बनाने के लिए किया जाता है. जिसमें प्रतिउपचायक, सूजनरोधी और विषाणुरोधी गुण पाए जाते हैं. हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र में रोडोडेंड्रोन प्रजातियां कीस्टोन प्रजाति के रूप में कार्य करती है. पुष्पण के समय बुरांश प्रजातियां जंगलों को मंत्रमुग्ध कर देने वाला रंग प्रदान करती है. साथ ही बड़ी संख्या में पक्षियों और अन्य परागणकों को आकर्षित करती है. इसके अलावा, बुरांश प्रजातियां स्थानीय समुदायों की आर्थिकी को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.

इस उद्यान में प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत द्वारा बुरांश पर लिखी गई एक कविता भी प्रदर्शित की गई है. यह उनकी एकमात्र कविता थी जो कि कुमाऊंनी भाषा में लिखी गई थी. इस कविता में, पंत ने रोडोडेंड्रोन के फूलों की जीवंत सुंदरता का सजीव वर्णन किया है. बुरांश को हिमालयी क्षेत्रों की प्राकृतिक सुंदरता, समृद्धि और भव्यता के रूपक के रूप में वर्णित किया
है.

पढे़ं- नैनीताल में महिलाएं तैयार कर रही बुरांस के फूल से नमक, विदेशों तक फैला स्वाद का जादू - Salt made from Burans Flower

हल्द्वानी: उत्तराखंड वन विभाग की अनुसंधान विंग ने पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी में बुरांश (रोडोडेंड्रोन) प्रजातियों को समर्पित एक अनूठा उद्यान विकसित किया है. यह उद्यान पूरे भारतीय हिमालय क्षेत्र और देश में बुरांश प्रजातियों को समर्पित पहला उद्यान है. इस उद्यान को उत्तराखंड सरकार के वित्त पोषण के तहत अनुसंधान विंग द्वारा चार वर्षों के अथक प्रयासों के बाद विकसित किया है.

यह उद्यान एक हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है. इसमें बुरांश की 35 प्रजातियों को संरक्षित किया गया है. जिसमें उत्तराखंड में पाई जाने वाली बुरांश की 5 प्रजातियां रोडोडेंड्रोन आर्बोरियम (बुरांश), रोडोडेंड्रोन कैपानुलेटम, रोडोडेंड्रोन बार्बाटम, रोडोडेंड्रोन एन्थोपोगोन और रोडोडेंड्रोन लेपिडोटम भी शामिल हैं. वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने बताया रोडोडेंड्रोन उद्यान की स्थापना का मुख्य उद्देश्य इन आकर्षक पौधों की प्रजातियों का संरक्षण, बुरांश प्रजातियों के विषय में वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना है. इन प्रजातियों के पारिस्थितिक और आर्थिक महत्व के बारे में आम जनता के मध्य जागरूकता को बढ़ावा देना है.

बुरांश (रोडोडेंड्रोन आर्थोरियम) विश्व में पायी जाने वाली सभी रोडोडेंड्रोन प्रजातियों में सबसे बड़ा है. यह उत्तराखंड का राज्य वृक्ष, नेपाल का राष्ट्रीय वृक्ष और नागालैंड का राज्य फूल है. इसके फूलों का उपयोग 'शरबत' बनाने के लिए किया जाता है. जिसमें प्रतिउपचायक, सूजनरोधी और विषाणुरोधी गुण पाए जाते हैं. हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र में रोडोडेंड्रोन प्रजातियां कीस्टोन प्रजाति के रूप में कार्य करती है. पुष्पण के समय बुरांश प्रजातियां जंगलों को मंत्रमुग्ध कर देने वाला रंग प्रदान करती है. साथ ही बड़ी संख्या में पक्षियों और अन्य परागणकों को आकर्षित करती है. इसके अलावा, बुरांश प्रजातियां स्थानीय समुदायों की आर्थिकी को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.

इस उद्यान में प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत द्वारा बुरांश पर लिखी गई एक कविता भी प्रदर्शित की गई है. यह उनकी एकमात्र कविता थी जो कि कुमाऊंनी भाषा में लिखी गई थी. इस कविता में, पंत ने रोडोडेंड्रोन के फूलों की जीवंत सुंदरता का सजीव वर्णन किया है. बुरांश को हिमालयी क्षेत्रों की प्राकृतिक सुंदरता, समृद्धि और भव्यता के रूपक के रूप में वर्णित किया
है.

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