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उत्तराखंड में वनाग्नि पर काबू पाने का फार्मूला तय, सैटेलाइट सेंसर होगा मददगार, इंसेंटिव को भी प्लान में किया शामिल - Uttarakhand Forest Fire - UTTARAKHAND FOREST FIRE

forest fire in uttarakhand, Plan to stop forest fire in Uttarakhand उत्तराखंड वन विभाग ने वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया है. इसके लिए वन विभाग ने पिछले 10 साल के आंकड़े जमा किये हैं. इसके साथ ही वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए युवा मंगल दल या महिला मंगल दलों को भी इंसेंटिव दिया जाएगा.

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उत्तराखंड में वनाग्नि पर काबू पाने का फार्मूला तय
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 4, 2024, 7:14 PM IST

Updated : Apr 7, 2024, 6:33 PM IST

उत्तराखंड में वनाग्नि पर काबू पाने का फार्मूला तय

देहरादून: उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाओं को लेकर इस बार संवेदनशीलता पिछले सालों की तुलना में काफी ज्यादा है. इसकी वजह ग्लोबल वार्मिंग को माना जा रहा है. खास बात यह है कि वन विभाग ने वनाग्नि की संवेदनशीलता को देखते हुए इस बार पिछले 10 सालों के फॉरेस्ट फायर के रिकॉर्ड पर अपनी प्लानिंग तय की है. आम लोगों को भी फॉरेस्ट फायर से जोड़कर घटनाओं को कम करने के प्रयास किये जा रहे हैं.

उत्तराखंड में पिछले 10 सालों के दौरान जंगलों में लगी आग के आंकड़े अब भविष्य में आग की घटनाओं को रोकने में मददगार साबित होंगे. वन विभाग ने पुराने सभी आंकड़ों को इकट्ठा करते हुए आगामी वनाग्नि की संभावनाओं को देखते हुए अपना एक्शन प्लान तैयार किया है. इस दौरान राज्य में अब तक हुई विभिन्न घटनाओं को देखते हुए संवेदनशील क्षेत्रों को भी चिन्हित किया गया है. इसमें खास तौर पर चीड़ बाहुल्य क्षेत्र में निगरानी बढ़ाने की व्यवस्था की गई है. वन विभाग के क्रू स्टेशन को मजबूत करने के लिए कर्मचारियों की उचित संख्या को यहां तैनात किया गया है.

वन विभाग की कोशिश आग लगने की घटना के अलर्ट के बाद कम से कम समय में उसे बुझाने की है. इसमें सैटेलाइट सेंसर से मिलने वाले अलर्ट पर वन विभाग काम करेगा. क्रू स्टेशन पर प्रशिक्षित कर्मचारियों की तैनाती का काम भी पूरा कर लिया गया है. वन विभाग की मानें तो पिछले 3 साल के आंकड़ों के लिहाज से इस साल अब तक जो घटनाएं हुई हैं उनकी संख्या कम है, लेकिन आने वाले दिनों में इन घटनाओं में इजाफा हो सकता है, इसलिए अतिरिक्त तैयारी की गई है.

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उत्तराखंड में वनाग्नि

उत्तराखंड वन विभाग ने सक्रिय वन पंचायत को भी जंगलों में आग लगने की घटनाओं के लिए यह जिम्मेदारी देने का फैसला किया है. इसके अलावा महिला मंगल दल और युवा मंगल दल भी वन विभाग के साथ मिलकर आग लगने की घटनाओं को काम करने का प्रयास करेंगे. वन विभाग की तरफ से इसके लिए आवश्यक धनराशि दी जा रही है. युवा मंगल दल या महिला मंगल दल के साथ वन पंचायत को भी इंसेंटिव देने का फैसला लिया गया है.

उत्तराखंड में 1 नवंबर से लगातार वन विभाग आग लगने की घटनाओं के आंकड़े जुटा रहा है. 1 नवंबर से आज तक प्रदेश में कुल 46 आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं. इसमें अब तक किसी भी व्यक्ति के घायल या मृत्यु की कोई क्षति नहीं हुई है. राज्य में इन घटनाओं में अब तक 48.93 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है. वन विभाग की मानें तो प्रदेश में आग लगने की जो घटनाएं होती हैं उसमें दो से तीन प्रतिशत क्षेत्र ही प्रभावित होता है. वन विभाग अधिकतर क्षेत्र में आग लगने की घटनाओं को रोकने में कामयाब रहता है.

पढे़ं-Uttarakhand Forest Fire: वर्ल्ड बैंक भी देगा फंड, क्या 47 करोड़ के बजट से बुझेगी जंगलों की आग?

पढे़ं- Uttarakhand: तापमान में बढ़ोतरी के साथ बढ़ने लगीं फॉरेस्ट फायर की घटनाएं

उत्तराखंड में वनाग्नि पर काबू पाने का फार्मूला तय

देहरादून: उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाओं को लेकर इस बार संवेदनशीलता पिछले सालों की तुलना में काफी ज्यादा है. इसकी वजह ग्लोबल वार्मिंग को माना जा रहा है. खास बात यह है कि वन विभाग ने वनाग्नि की संवेदनशीलता को देखते हुए इस बार पिछले 10 सालों के फॉरेस्ट फायर के रिकॉर्ड पर अपनी प्लानिंग तय की है. आम लोगों को भी फॉरेस्ट फायर से जोड़कर घटनाओं को कम करने के प्रयास किये जा रहे हैं.

उत्तराखंड में पिछले 10 सालों के दौरान जंगलों में लगी आग के आंकड़े अब भविष्य में आग की घटनाओं को रोकने में मददगार साबित होंगे. वन विभाग ने पुराने सभी आंकड़ों को इकट्ठा करते हुए आगामी वनाग्नि की संभावनाओं को देखते हुए अपना एक्शन प्लान तैयार किया है. इस दौरान राज्य में अब तक हुई विभिन्न घटनाओं को देखते हुए संवेदनशील क्षेत्रों को भी चिन्हित किया गया है. इसमें खास तौर पर चीड़ बाहुल्य क्षेत्र में निगरानी बढ़ाने की व्यवस्था की गई है. वन विभाग के क्रू स्टेशन को मजबूत करने के लिए कर्मचारियों की उचित संख्या को यहां तैनात किया गया है.

वन विभाग की कोशिश आग लगने की घटना के अलर्ट के बाद कम से कम समय में उसे बुझाने की है. इसमें सैटेलाइट सेंसर से मिलने वाले अलर्ट पर वन विभाग काम करेगा. क्रू स्टेशन पर प्रशिक्षित कर्मचारियों की तैनाती का काम भी पूरा कर लिया गया है. वन विभाग की मानें तो पिछले 3 साल के आंकड़ों के लिहाज से इस साल अब तक जो घटनाएं हुई हैं उनकी संख्या कम है, लेकिन आने वाले दिनों में इन घटनाओं में इजाफा हो सकता है, इसलिए अतिरिक्त तैयारी की गई है.

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उत्तराखंड में वनाग्नि

उत्तराखंड वन विभाग ने सक्रिय वन पंचायत को भी जंगलों में आग लगने की घटनाओं के लिए यह जिम्मेदारी देने का फैसला किया है. इसके अलावा महिला मंगल दल और युवा मंगल दल भी वन विभाग के साथ मिलकर आग लगने की घटनाओं को काम करने का प्रयास करेंगे. वन विभाग की तरफ से इसके लिए आवश्यक धनराशि दी जा रही है. युवा मंगल दल या महिला मंगल दल के साथ वन पंचायत को भी इंसेंटिव देने का फैसला लिया गया है.

उत्तराखंड में 1 नवंबर से लगातार वन विभाग आग लगने की घटनाओं के आंकड़े जुटा रहा है. 1 नवंबर से आज तक प्रदेश में कुल 46 आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं. इसमें अब तक किसी भी व्यक्ति के घायल या मृत्यु की कोई क्षति नहीं हुई है. राज्य में इन घटनाओं में अब तक 48.93 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है. वन विभाग की मानें तो प्रदेश में आग लगने की जो घटनाएं होती हैं उसमें दो से तीन प्रतिशत क्षेत्र ही प्रभावित होता है. वन विभाग अधिकतर क्षेत्र में आग लगने की घटनाओं को रोकने में कामयाब रहता है.

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Last Updated : Apr 7, 2024, 6:33 PM IST
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