ETV Bharat / state

मवेशियों में तेजी से फैल रहा खुरपका-मुंहपका रोग, जानिए कितनी खतरनाक है ये बीमारी? - Foot And Mouth Disease - FOOT AND MOUTH DISEASE

Foot And Mouth Disease On Cattle in Nainital उत्तराखंड के बिंदुखत्ता क्षेत्र में कुछ मवेशियों में मुंहपका और खुरपका बीमारी सामने आया है. जिसे लेकर पशुपालन विभाग अलर्ट हो गया है और टीकाकरण पर जोर दे रहा है. ऐसे में जानते हैं किया है खुरपका-मुंहपका रोग और क्या होते हैं लक्षण...

FOOT AND MOUTH DISEASE
मवेशियों में खुरपका-मुंहपका रोग
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 5, 2024, 8:03 PM IST

Updated : Apr 5, 2024, 10:34 PM IST

मवेशियों में तेजी से फैल रहा खुरपका-मुंहपका रोग

हल्द्वानी: गर्मी का मौसम शुरू होते ही मवेशी संक्रामक बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं. इन संक्रामक रोगों को रोकने के लिए पशुपालन विभाग मवेशियों में टीकाकरण अभियान चला रहा है. नैनीताल जिले के बिंदुखत्ता क्षेत्र में इन दिनों मवेशियों में खुरपका और मुंहपका रोग फैल रहा है. ऐसे में पशु चिकित्सा विभाग ने मवेशियों का टीकाकरण शुरू कर दिया है.

दरअसल, बिंदुखत्ता क्षेत्र में कुछ मवेशियों में मुंहपका और खुरपका रोग लगने पर पशुपालन विभाग अलर्ट पर है. फिलहाल, पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कुछ मामले उनके संज्ञान में आए हैं, लेकिन टीकाकरण का कार्य चल रहा है. लोगों को इस बीमारी से सावधानी बरतने की जरूरत है. मवेशियों का टीकाकरण करने के साथ ही पशुपालकों को रोग के लक्षण और बचाव की जानकारी दी जा रही है.

हल्द्वानी के पशु चिकित्सा अधिकारी आरके पाठक ने बताया कि बिंदुखत्ता क्षेत्र में कुछ मवेशियों में संक्रमण की शिकायत सामने आई है. डॉक्टरों की टीम मवेशियों का इलाज कर रहे हैं. साथ ही टीकाकरण का कार्यक्रम भी चल रहा है. कई बार देखने में आता है कि लोग अपने मवेशियों को गर्भधारण और दूध देने के अवस्था में टीकाकरण से बचते हैं, जिसके चलते कुछ मवेशियों में इस तरह के लक्षण सामने आते हैं.

उन्होंने बताया जा रहा है कि जानवरों के मुंह में छाले और जख्म बन रहे हैं, जिससे वो चारा नहीं खा पा रहे हैं. साथ ही जानवरों को 104 डिग्री तक का बुखार आ रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि अगर इस तरह की बीमारी जानवर में सामने आती है तो बीमार मवेशियों के संपर्क में आने से बचाने के लिए अन्य जानवरों को उनसे अलग रखें.

मुंहपका और खुरपका बीमारी के लक्षण: इस बीमारी में मवेशी के मुंह से अत्यधिक लार का टपकता है. जीभ और तलवे पर छालों में उभार आता है, जो बाद में फट कर घाव में बदल जाते हैं. इसके साथ ही मवेशियों को तेज बुखार आता है. खुरों के बीच में घाव होता है. जिसकी वजह से पशु लंगड़ा कर चलता है या फिर चलना बंद कर देता है.

मुंह में घावों की वजह से पशु भोजन लेना और जुगाली करना बंद कर देता है. जिससे वो कमजोर हो जाता है. दूध उत्पादन में करीब 80 फीसदी की गिरावट आती है. गाभिन मवेशियों के गर्भपात और बच्चा मरा हुआ पैदा हो सकता है. वहीं, बछड़ों में अत्यधिक बुखार आने के बाद बिना किसी लक्षण के उसकी मौत हो जाती है.

रोकथाम के उपाय: पशुपालक को इस बीमारी को लेकर जागरूकता दिखाने की आवश्यकता है. तभी इस रोग का रोकथाम संभव है. नजदीकी सरकारी पशु चिकित्सा अधिकारी को संपर्क करें. प्रभावित मवेशियों के रोग का पता लगने पर तत्काल उसे अलग करें. दूध निकालने के पहले आदमी को अपना हाथ और मुंह साबुन से धोना चाहिए. अपने कपड़े बदलना चाहिए. क्योंकि, यह बीमारी इंसान से भी फैल सकता है.

ये भी पढ़ें-

मवेशियों में तेजी से फैल रहा खुरपका-मुंहपका रोग

हल्द्वानी: गर्मी का मौसम शुरू होते ही मवेशी संक्रामक बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं. इन संक्रामक रोगों को रोकने के लिए पशुपालन विभाग मवेशियों में टीकाकरण अभियान चला रहा है. नैनीताल जिले के बिंदुखत्ता क्षेत्र में इन दिनों मवेशियों में खुरपका और मुंहपका रोग फैल रहा है. ऐसे में पशु चिकित्सा विभाग ने मवेशियों का टीकाकरण शुरू कर दिया है.

दरअसल, बिंदुखत्ता क्षेत्र में कुछ मवेशियों में मुंहपका और खुरपका रोग लगने पर पशुपालन विभाग अलर्ट पर है. फिलहाल, पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कुछ मामले उनके संज्ञान में आए हैं, लेकिन टीकाकरण का कार्य चल रहा है. लोगों को इस बीमारी से सावधानी बरतने की जरूरत है. मवेशियों का टीकाकरण करने के साथ ही पशुपालकों को रोग के लक्षण और बचाव की जानकारी दी जा रही है.

हल्द्वानी के पशु चिकित्सा अधिकारी आरके पाठक ने बताया कि बिंदुखत्ता क्षेत्र में कुछ मवेशियों में संक्रमण की शिकायत सामने आई है. डॉक्टरों की टीम मवेशियों का इलाज कर रहे हैं. साथ ही टीकाकरण का कार्यक्रम भी चल रहा है. कई बार देखने में आता है कि लोग अपने मवेशियों को गर्भधारण और दूध देने के अवस्था में टीकाकरण से बचते हैं, जिसके चलते कुछ मवेशियों में इस तरह के लक्षण सामने आते हैं.

उन्होंने बताया जा रहा है कि जानवरों के मुंह में छाले और जख्म बन रहे हैं, जिससे वो चारा नहीं खा पा रहे हैं. साथ ही जानवरों को 104 डिग्री तक का बुखार आ रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि अगर इस तरह की बीमारी जानवर में सामने आती है तो बीमार मवेशियों के संपर्क में आने से बचाने के लिए अन्य जानवरों को उनसे अलग रखें.

मुंहपका और खुरपका बीमारी के लक्षण: इस बीमारी में मवेशी के मुंह से अत्यधिक लार का टपकता है. जीभ और तलवे पर छालों में उभार आता है, जो बाद में फट कर घाव में बदल जाते हैं. इसके साथ ही मवेशियों को तेज बुखार आता है. खुरों के बीच में घाव होता है. जिसकी वजह से पशु लंगड़ा कर चलता है या फिर चलना बंद कर देता है.

मुंह में घावों की वजह से पशु भोजन लेना और जुगाली करना बंद कर देता है. जिससे वो कमजोर हो जाता है. दूध उत्पादन में करीब 80 फीसदी की गिरावट आती है. गाभिन मवेशियों के गर्भपात और बच्चा मरा हुआ पैदा हो सकता है. वहीं, बछड़ों में अत्यधिक बुखार आने के बाद बिना किसी लक्षण के उसकी मौत हो जाती है.

रोकथाम के उपाय: पशुपालक को इस बीमारी को लेकर जागरूकता दिखाने की आवश्यकता है. तभी इस रोग का रोकथाम संभव है. नजदीकी सरकारी पशु चिकित्सा अधिकारी को संपर्क करें. प्रभावित मवेशियों के रोग का पता लगने पर तत्काल उसे अलग करें. दूध निकालने के पहले आदमी को अपना हाथ और मुंह साबुन से धोना चाहिए. अपने कपड़े बदलना चाहिए. क्योंकि, यह बीमारी इंसान से भी फैल सकता है.

ये भी पढ़ें-

Last Updated : Apr 5, 2024, 10:34 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.