नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली एनसीआर में साइबर फ्रॉड के लगातार मामले सामने आ रहे हैं. मेहनत की गाढ़ी कमाई को लूटने के लिए साइबर ठग नए-नए हथकंडों का इस्तेमाल कर रहे हैं. लोगों को साइबर ठगों द्वारा लालच या फिर डर दिखाकर ऑनलाइन ठगी की जा रही है. साइबर फ्रॉड से बचने के लिए लोगों को जागरूक तो किया जा रहा है, लेकिन साइबर फ्रॉड के मामलों में कोई खास कमी नहीं देखी जा रही है.
बीते 9 महीने में गाजियाबाद में साइबर ठगी के करीब 350 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. इसमें तमाम ऐसे मामले हैं, जिसमें पीड़ित के साथ 5 लाख से अधिक की ठगी की गई है. टेलीग्राम पर टास्क देने और शेयर ट्रेडिंग के नाम पर लोगों के साथ सबसे अधिक ठगी की जा रही है.
अगर आपके साथ भी किसी भी प्रकार की साइबर ठगी होती है तो तुरंत इसकी शिकायत दर्ज कराएं. जितनी जल्दी शिकायत दर्ज होगी, पैसे के वापस मिलने की संभावना उतनी ही बढ़ जाएगी. वहीं दूसरी तरफ, शिकायत दर्ज करने में देरी या आनाकानी करने से ठगी की रकम वापस मिलने की संभावना कम हो जाती है.
साइबर फ्रॉड होता है तो तुरंत साइबर सेल या फिर संबंधित साइबर थाने में अपनी शिकायत दर्ज कराएं. 1930 पर कॉल करके भी अपने साथ हुए साइबर फ्रॉड की जानकारी दे सकते हैं. वहीं नेशनल साइबर क्राइम रिर्पोटिंग पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं. ऑनलाइन पोर्टल और साइबर थाने बैंक के नोडल से कनेक्ट होते हैं. शिकायत मिलने पर तत्काल बैंक के नोडल को सूचना चली जाती है. जिस खाते में साइबर फ्रॉड के बाद पैसा गया, उस खाते में मौजूद रकम को पुलिस फ्रीज कर देती है. इसके बाद न्यायालय से आदेश होने के बाद पीड़ित को पैसा वापस मिल जाता है.- सच्चिदानन्द, एडीसीपी क्राइम
कई बार ऐसा होता है कि साइबर ठगी करने के बाद साइबर ठग तुरंत पैसे को खाते से निकाल लेते हैं. ऐसी स्थिति में पैसा पीड़ित को वापस मिलना मुश्किल हो जाता है. यदि साइबर ठगी होने के तुरंत बाद शिकायत दर्ज करा दी जाती है, तो पुलिस तुरंत उस खाते को फ्रीज कर देती है, जिसमें ठगी के पैसे ट्रांसफर हुए होते हैं. कुल मिलाकर साइबर ठगी होने की स्थिति में तुरंत शिकायत दर्ज करना फायदेमंद साबित हो सकता है.
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