पटना: बिहार में 24 साल के बाद 5 महिलाओं ने सांसदी का चुनाव जीता हैं. यह महिलाएं अब लोकसभा में बिहार की आवाज को बुलंद करेंगी. लोजपा रामविलास के टिकट पर समस्तीपुर से जीतने वाली शांभवी चौधरी देश की सबसे युवा महिला सांसद बन गईं हैं. इसके अलावे मीसा भारती, लवली आनंद, वीणा देवी और विजयालक्ष्मी कुशवाहा संसद में आधी आबादी की आवाज बुलंद करेंगी.
महिलाओं का वोटिंग परसेंटेज बढ़ा: वहीं, महिलाओं के वोटिंग परसेंटेज की बात करे तो बिहार में महिलाओं ने पहले पहले चरण को छोड़कर हर चरण में पुरुषों के मुकाबले अधिक वोट किया है. 18 लोकसभा सीटों पर महिलाओं ने पुरुष के मुकाबले 10% से अधिक वोट किया है. महिलाओं की ताकत का ही असर है कि इस बार 3 दर्जन से अधिक महिला उम्मीदवारों में पांच की जीत हुई है. एक तरफ जहां राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं सांसदों की संख्या घटी है तो बिहार की महिलाओं ने लोकसभा में अपनी संख्या बढ़ाई है.
40 सीटों पर 10 महिला उम्मीदवार: लोकसभा चुनाव में बिहार में 40 सीटों पर प्रमुख दलों की ओर से 10 महिला उम्मीदवार को टिकट दिया गया था. जदयू ने दो महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारा था और दोनों जीत गई. सिवान से विजयलक्ष्मी तो शिवहर से लवली आनंद. वहीं, लोजपा रामविलास ने भी दो महिला उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा था और दोनों चुनाव जीत गयी. देश में सबसे कम उम्र की महिला सांसद शांभवी चौधरी समस्तीपुर से चुनाव जीती हैं तो वीणा सिंह वैशाली से. वीणा सिंह 2019 में भी लोजपा के टिकट पर चुनाव जीती थी.
राजद से एक महिला उम्मीदवार जीतीं: वहीं, महा गठबंधन की तरफ से राजद ने 6 महिला उम्मीदवार को टिकट दिया था, लेकिन केवल एक लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती पाटलिपुत्र से चुनाव जीत. बाकि पाई पांच महिला उम्मीदवार चुनाव हार गई. प्रमुख दलों में बीजेपी, कांग्रेस और वाम दलों ने इस बार एक भी महिला को टिकट नहीं दिया. निर्दलीय कई महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में थी और उसमें से सिवान से बाहुबली शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने कड़ी टक्कर दी और दूसरे स्थान पर रहीं. उनके कारण ही राजद के उम्मीदवार तीसरे स्थान पर सिवान में रहे.
2019 में केवल 3 जीत पाई: वही मुंगेर से राजद की अनीता देवी ने जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को कड़ी टक्कर दी. शिवहर में भी राजद की रितु जायसवाल ने लवली आनंद को कड़ी टक्कर दी और दोनों स्थान पर राजद के उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहीं. 2019 में 56 महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में थी और उसमें से केवल तीन जीत पाई. इस बार 39 महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में थी और पांच ने जीत हासिल की है. तीन महिला उम्मीदवार दूसरे नंबर पर भी रही.
2004 में 3 महिला सांसद चुनी गई: 2004 लोकसभा चुनाव में बिहार से 3 महिला सांसद चुनी गई थी. सहरसा से रंजीता रंजन, आरा से कांति सिंह और सासाराम से मीरा कुमार कांग्रेस की दो और राजद की एक महिला सांसद चुनी गई थी. 2009 में बिहार से चार महिला सांसद लोकसभा पहुंची थी. शिवहर से रमा देवी उजियारपुर से अश्वमेघ देवी, आरा से मीना सिंह और सासाराम से मीरा कुमार चुनाव जीतने वाली महिला सांसद थी. 2014 में बिहार से तीन महिला सांसद लोकसभा पहुंची थी, उसमें रमा देवी शिवहर से, वीणा सिंह मुंगेर से चुनाव जीती.
2019 के मुकाबले 4 महिला सांसद कम: वहीं, 2019 में भी बिहार से तीन महिला सांसद चुनी गई . शिवहर से बीजेपी के टिकट पर रमा देवी, जदयू के टिकट पर सिवान से कविता सिंह, लोजपा के टिकट पर वैशाली से वीणा सिंह शामिल थी. अब 2024 में जदयू की दो, लोजपा रामविलास की दो और राजद की एक महिला सांसद चुनी गई हैं. बिहार में तो महिला सांसद बढ़ गई, लेकिन 2019 के मुकाबले देश स्तर पर चार महिला सांसद इस बार कम गई है.
महिलाओं ने अधिक मतदान किया: बिहार में सात चरणों में हुए लोकसभा चुनाव में पहले चरण को छोड़कर शेष सभी 6 चरणों में महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले अधिक मतदान किया है. पहले चरण में चार लोकसभा सीटों पर चुनाव हुआ था उसमें से तीन लोकसभा सीटों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का कम वोटिंग हुआ. पहले चरण में पुरुषों ने 49.59% तो महिलाओं ने 48.90% वोटिंग किया है. जबकि दूसरे चरण में पुरुषों ने 56.41% वोटिंग किया जबकि महिलाओं ने 62.73%, तीसरे चरण में पुरुषों ने 53.57% तो महिलाओं ने 65.20% वोटिंग किया है.
कुछ ऐसा रहा वोटिंग प्रतिशत: वहीं, चौथे चरण में पुरुषों ने 54.39% वोटिंग किया तो महिलाओं ने 62.47 प्रतिशत वोटिंग किया है. 5 वें चरण में पुरुषों ने 52.42 प्रतिशत वोटिंग किया तो महिलाओं ने 61.58% छठे चरण में पुरुषों ने 51.95% वोटिंग किया तो महिलाओं ने 62.5% और 2024 लोकसभा चुनाव में पुरुषों ने 53.06% वोट किया. जबकि महिलाओं ने 61.23% पुरुषों के मुकाबले करीब 8% महिलाओं ने अधिक वोटिंग किया है. जबकि 2019 में पुरुषों ने 55.52% जबकि महिलाओं ने 59.58% यानी कि करीब 4% अधिक वोट किया था.
39 महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ीं: पटना कॉलेज के पूर्व प्राचार्य एनके चौधरी का कहना है कि नीतीश कुमार ने 2006 में बिहार में पंचायत में 50% आरक्षण महिलाओं के लिए दिया था और उसका असर अब दिखने लगा है. ऐसे महिलाओं का प्रदर्शन बहुत बेहतर नहीं रहा है. 2004 से 2019 तक के चुनाव में देखे तो 163 महिलाओं ने भाग्य आजमाया था और उसमें से अधिकांश उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. लेकिन अब बेहतर स्थिति देखने को मिल रही है. इस चुनाव में केवल 39 महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ी थी और उसमें से पांच महिला सांसद चुनी गई हैं.
"बिहार में 40 सीटों में महिलाओं की हिस्सेदारी 10% से अधिक हो गई है. यह शुभ संकेत है, क्योंकि 2029 में महिलाओं को टिकट देना दलों के लिए मजबूरी हो जाएगा. इस बार बीजेपी ने बिहार में महिलाओं को एक भी टिकट नहीं दिया जबकि भाजपा ने ही महिला आरक्षण की पहल की थी. बीजेपी ने लोकसभा और राज्यसभा से आरक्षण बिल पास भी करवाया है. ऐसे में बीजेपी का यह रुख कहीं से भी उचित नहीं है और बिहार में बीजेपी के नुकसान के पीछ का यह भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है." - एनके चौधरी, पूर्व प्राचार्य, पटना कॉलेज
2024 में महिलाओं ने की 8% अधिक वोटिंग: बिहार में 2010 के बाद से लगातार महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है. साल 2020 विधानसभा चुनाव में भी महिलाओं ने जमकर वोटिंग किया था और उससे पहले 2019 लोकसभा चुनाव में भी महिलाओं ने करीब चार प्रतिशत अधिक वोटिंग किया था. अब एक बार फिर से महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले 8% अधिक वोटिंग किया है और लोकसभा में अपनी दमदार उपस्थिति भी दर्ज कराई है.
महिलाओं आरक्षण से बढ़ेगा दबदबा: यह तब हुआ है जब राष्ट्रीय स्तर पर महिला उम्मीदवार इस बार कम संख्या में चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंची हैं. राजनीतिक जानकार भी कहते हैं कि बिहार में राजनीति में बढ़ते महिलाओं के प्रभाव का असर आने वाले विधानसभा चुनाव में भी दिखेगा और जब 2029 से महिलाओं के लिए आरक्षण लागू हो जाएगा तब इनका दबदबा और बढ़ेगा.
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