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पूर्वांचल में दुग्ध क्रांति लाएगी बनास डेरी, 5.50 लाख दूध उत्पादक परिवारों को होगा फायदा होगा - अमूल बनास डेयरी

वाराणसी बनास डेरी (Varanasi Banas Dairy) पूर्वांचल में दुग्ध क्रांति लाने की तैयारी कर रही है. इससे साढ़े पांच लाख दुग्ध उत्पादक परिवारों को फायदा होगा. 23 फरवरी 2024 को अमूल बनास डेयरी प्लांट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करेंगे.

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Etv Bharat Varanasi Banas Dairy वाराणसी बनास डेरी अमूल बनास डेयरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 14, 2024, 8:24 PM IST

Updated : Feb 14, 2024, 9:42 PM IST

वाराणसी: पूर्वांचल क्षेत्र में विकास को एक नई गति प्रदान करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने 13 दिसंबर 2021 को बनास काशी संकुल की आधारशिला रखी थी. इस परियोजना को 2 साल में पूरा भी कर लिया गया और 23 फरवरी 2024 को अमूल बनास डेयरी प्लांट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करेंगे. 1,00,000 से अधिक वाराणसी एवं पूर्वांचल के गोपालक और किसानों के इस जन-समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी उपस्थित रहेंगी. इस कार्यक्रम की थीम 'पूर्वांचल के विकास में सहकार का प्रयास' है और इसमे प्रधानमंत्री पूर्वांचल के विकास की कुछ अन्य परियोजनाओं की भी चर्चा एवं लोकार्पण करेंगे.

वर्तमान में यूपी में बनास डेरी का दूध का कारोबार 47 जिलों (7 पूर्वाचल में) के 4,600 गांवों में फैला हुआ है. यह दूध संग्रहण अगले साल तक 70 जिलों के 7,000 गांवों तक विस्तारित हो जाएगा. इसमें पूर्वाचल में 15 नए जिलों का विस्तार भी शामिल है. पूर्वांचल में 600 से ज्यादा समितियां चालू हैं. इनकी संख्या वर्ष के अंत तक बढ़कर 2,600 हो जाएगी. बनास डेरी मौजूदा समय में यूपी में 3.5 लाख दूध उत्पादकों के साथ काम कर रही है. इनमें से 58 हजार दूध उत्पादक पूर्वांचल एंव वाराणसी के हैं. गांवों में व्यापक काम करके, बनास डेरी यूपी में 2 लाख अतिरिक्त दुग्ध उत्पादक परिवारों को जोड़ेगी. इनमें से 1 लाख पूर्वांचल और वाराणसी के अन्य जिलों से आएंगे.

पूर्वांचल में शुरू हुये विकास के अंतर्गत वर्तमान में ख़ुशीपुर, चोलापुर, मिर्ज़ापुर, ग़ाज़ीपुर और दूबेपुर में 5 चिलिंग सेंटर काम कर रहे हैं और अगले महीने तक 8 और चालू हो जाएंगे. यूपी में कुल मिलाकर, 29 चिलिंग सेंटर चालू हैं और साल के अंत तक यह बढ़कर 50 हो जाएंगे. इस बुनियादी ढांचे के माध्यम से वर्तमान में उत्तर प्रदेश से 19 लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक दूध एकत्रित किया जा रहा है. इसमें औसतन 3 लाख लीटर प्रतिदिन दूध पूर्वांचल और वाराणसी से आ रहा है. उत्तर प्रदेश में इस साल के अंत तक यह संख्या बढ़कर प्रतिदिन 25 लाख लीटर हो जाएगी, जिसमें 7 लाख लीटर प्रतिदिन वाराणसी और पूर्वांचल से आएगा.

बनास काशी संकुल 30 एकड़ में फैला हुआ है, यह 8 LLPD (लाख लीटर प्रति दिन) का दूध प्रोसेसिंग संयंत्र है. इस परियोजना को 622 करोड़ रुपये की कुल लागत में स्थापित किया गया है़. सस्टेनेबिलिटी की दिशा में प्रयास करते हुए इस प्लांट मे 4 LLPD (लाख लीटर प्रति दिन) का ETP और 1 MW (मेगावाट) का रूफटॉप सोलर प्लांट भी स्थापित किया गया है़.

छोटे एवं सीमांत किसानों की आय का स्तर बढ़ाने के लिए डेरी व्यवसाय एक उपयुक्त साधन है. बनास डेरी अपने वाराणसी प्लांट के जरिए 750 लोगों को प्रत्यक्ष और 81,000 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से को रोजगार दे रही है. इसमें दूध उत्पादक और किसान भी शामिल हैं. वाराणसी की प्रसिद्ध मिठाइयां, जिसमें लौंगलता और काशी का लाल पेड़ा शामिल है का भी इस संयंत्र में स्वचालन के साथ स्वच्छतापूर्वक निर्माण किया जाएगा. अमूल ब्रांड के तहत राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाया जाऐगा. इस संयंत्र से विभिन्न मिठाइयों को बेहतर शेल्फ-लाइफ, ताजगी और उपभोक्ता सुविधा के लिए सिंगल सर्व पैक में भी बनाया जा रहा है.

किसानों और पशु-पालन श्रमिकों के बीच पशु-पालन ज्ञान और जागरूकता विकसित करने के लिए, पूर्वांचल के 150 से अधिक स्थानीय किसानों का पालनपुर गुजरात में 6 दिवसीय कक्षा और फील्ड प्रशिक्षण आयोजित किया गया था. 150 उच्च गुणवत्ता वाली गिर गायें, पूर्वांचल के किसानों को उपहार में दी गईं और यूपी से साहीवाल, लाल सिंधी और गंगातीरी और गुजरात से गिर की सर्वोत्तम स्थानीय गाय की नस्लों से भ्रूण तैयार करके दिये गये. अपनी विस्तार सेवाओं के माध्यम से, बनास डेरी वैज्ञानिक पशुपालन, टीकाकरण और बीमारी की रोकथाम, एथनोवेट, पशु पोषण और पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में स्थानीय पशुपालको को ज्ञान प्रदान कर रही है.

ये भी पढ़ें- काशी विश्वनाथ मंदिर 8 घंटे तक रहेगा बंद, प्रशासन ने लिया फैसला, जानिए क्यों किया गया ऐसा

वाराणसी: पूर्वांचल क्षेत्र में विकास को एक नई गति प्रदान करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने 13 दिसंबर 2021 को बनास काशी संकुल की आधारशिला रखी थी. इस परियोजना को 2 साल में पूरा भी कर लिया गया और 23 फरवरी 2024 को अमूल बनास डेयरी प्लांट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करेंगे. 1,00,000 से अधिक वाराणसी एवं पूर्वांचल के गोपालक और किसानों के इस जन-समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी उपस्थित रहेंगी. इस कार्यक्रम की थीम 'पूर्वांचल के विकास में सहकार का प्रयास' है और इसमे प्रधानमंत्री पूर्वांचल के विकास की कुछ अन्य परियोजनाओं की भी चर्चा एवं लोकार्पण करेंगे.

वर्तमान में यूपी में बनास डेरी का दूध का कारोबार 47 जिलों (7 पूर्वाचल में) के 4,600 गांवों में फैला हुआ है. यह दूध संग्रहण अगले साल तक 70 जिलों के 7,000 गांवों तक विस्तारित हो जाएगा. इसमें पूर्वाचल में 15 नए जिलों का विस्तार भी शामिल है. पूर्वांचल में 600 से ज्यादा समितियां चालू हैं. इनकी संख्या वर्ष के अंत तक बढ़कर 2,600 हो जाएगी. बनास डेरी मौजूदा समय में यूपी में 3.5 लाख दूध उत्पादकों के साथ काम कर रही है. इनमें से 58 हजार दूध उत्पादक पूर्वांचल एंव वाराणसी के हैं. गांवों में व्यापक काम करके, बनास डेरी यूपी में 2 लाख अतिरिक्त दुग्ध उत्पादक परिवारों को जोड़ेगी. इनमें से 1 लाख पूर्वांचल और वाराणसी के अन्य जिलों से आएंगे.

पूर्वांचल में शुरू हुये विकास के अंतर्गत वर्तमान में ख़ुशीपुर, चोलापुर, मिर्ज़ापुर, ग़ाज़ीपुर और दूबेपुर में 5 चिलिंग सेंटर काम कर रहे हैं और अगले महीने तक 8 और चालू हो जाएंगे. यूपी में कुल मिलाकर, 29 चिलिंग सेंटर चालू हैं और साल के अंत तक यह बढ़कर 50 हो जाएंगे. इस बुनियादी ढांचे के माध्यम से वर्तमान में उत्तर प्रदेश से 19 लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक दूध एकत्रित किया जा रहा है. इसमें औसतन 3 लाख लीटर प्रतिदिन दूध पूर्वांचल और वाराणसी से आ रहा है. उत्तर प्रदेश में इस साल के अंत तक यह संख्या बढ़कर प्रतिदिन 25 लाख लीटर हो जाएगी, जिसमें 7 लाख लीटर प्रतिदिन वाराणसी और पूर्वांचल से आएगा.

बनास काशी संकुल 30 एकड़ में फैला हुआ है, यह 8 LLPD (लाख लीटर प्रति दिन) का दूध प्रोसेसिंग संयंत्र है. इस परियोजना को 622 करोड़ रुपये की कुल लागत में स्थापित किया गया है़. सस्टेनेबिलिटी की दिशा में प्रयास करते हुए इस प्लांट मे 4 LLPD (लाख लीटर प्रति दिन) का ETP और 1 MW (मेगावाट) का रूफटॉप सोलर प्लांट भी स्थापित किया गया है़.

छोटे एवं सीमांत किसानों की आय का स्तर बढ़ाने के लिए डेरी व्यवसाय एक उपयुक्त साधन है. बनास डेरी अपने वाराणसी प्लांट के जरिए 750 लोगों को प्रत्यक्ष और 81,000 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से को रोजगार दे रही है. इसमें दूध उत्पादक और किसान भी शामिल हैं. वाराणसी की प्रसिद्ध मिठाइयां, जिसमें लौंगलता और काशी का लाल पेड़ा शामिल है का भी इस संयंत्र में स्वचालन के साथ स्वच्छतापूर्वक निर्माण किया जाएगा. अमूल ब्रांड के तहत राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाया जाऐगा. इस संयंत्र से विभिन्न मिठाइयों को बेहतर शेल्फ-लाइफ, ताजगी और उपभोक्ता सुविधा के लिए सिंगल सर्व पैक में भी बनाया जा रहा है.

किसानों और पशु-पालन श्रमिकों के बीच पशु-पालन ज्ञान और जागरूकता विकसित करने के लिए, पूर्वांचल के 150 से अधिक स्थानीय किसानों का पालनपुर गुजरात में 6 दिवसीय कक्षा और फील्ड प्रशिक्षण आयोजित किया गया था. 150 उच्च गुणवत्ता वाली गिर गायें, पूर्वांचल के किसानों को उपहार में दी गईं और यूपी से साहीवाल, लाल सिंधी और गंगातीरी और गुजरात से गिर की सर्वोत्तम स्थानीय गाय की नस्लों से भ्रूण तैयार करके दिये गये. अपनी विस्तार सेवाओं के माध्यम से, बनास डेरी वैज्ञानिक पशुपालन, टीकाकरण और बीमारी की रोकथाम, एथनोवेट, पशु पोषण और पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में स्थानीय पशुपालको को ज्ञान प्रदान कर रही है.

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Last Updated : Feb 14, 2024, 9:42 PM IST
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