गोरखपुर: जिले की आमी नदी में हजारों मछलियों के मरने और कानपुर में कछुओं की मौत को लेकर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने प्रदेश की योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने सोशल मीडिया पर सवाल उठाते हुए भाजपा सरकार को सामाजिक और पारिस्थितिकी पर्यावरण को बनाए रखने में असफल बताया है. अखिलेश ने कहा कि भाजपा सरकार राजनीतिक वातावरण को तो प्रदूषित कर चुकी ही है, उससे सामाजिक और पारिस्थितिकी पर्यावरण भी संभल नहीं रहा. जिसका नतीजा है कि कछुए और मछलियों की भी मौत हो रही है.
दुर्गंध से आसपास के ग्रामीण परेशानः उनवल कस्बे के पास आमी नदी में बड़ी संख्या में मरी हुई मछलियां कई दिनों से पाई जा रही हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जब-जब गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण में स्थापित फैक्ट्री का गंदा पानी इसमें छोड़ा जाता है. ऐसी घटनाएं यहां बढ़ जाती हैं. जिसकी वजह से तेज दुर्गंध उठने लगा है. नदी के किनारे बसे गांवों के लोगों को जानवरों के लिए भी चारा-पानी का संकट आ गया है. वहीं, इस बीच कुछ मछुआरों के लिए यहां आपदा में अवसर दिखाई देने लगा है. नदी में मरीं मछलियों को बाहर निकालकर सुखा रहे हैं. जिसे तीन-चार दिन बाद गोरखपुर की मंडी में बेचने की तैयारी है.
मरी मछलियां पिकअप में ले जा रहे मछुआरेः स्थानीय लोगों का कहना है कि मछलियां पिकअप पर लादकर मंडी में भी बेचने के लिए ले जाई जा रही हैं, जो लोगों के लिए जान का खतरा है. आमी नदी के पानी से दुर्गंध उठने की वजह से खजनी तहसील क्षेत्र के गांव छताई, पांडेपुरा, मंझरिया, सोहरा, बेलडॉड़, ढढौना, भलुआन, कुड़ाभरत, भरवलिया, मखानी, लमती, जरलही, जमौली, भुसउल, गोरसैरा, सरसोपार आदि गांवों के लोग परेशान हैं.
गोरखपुर में सैकड़ों मछलियों और कानपुर में 200 से अधिक कछुओं की मौत चिंताजनक है। ये केवल मछली-कछुओं की मौत का सवाल नहीं है बल्कि जल से संबद्ध ‘जीवन-चक्र’ का संकट है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 3, 2024
वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण को लेकर भाजपा सरकार की उदासीनता ही इसकी मुख्य वजह है। अपनी भ्रष्ट नीतियों से भाजपा… pic.twitter.com/7JxGyaAJXU
एनजीटी के आदेश की भी अवहेलनाः करीब 11 जगहों पर जाल डालकर बड़ी संख्या में मरीं मछलियों को नदी से बाहर निकाला गया है. ग्रामीणों ने बताया कि नदी में लंबे अरसे से फैक्टरियों का केमिकल वाला दूषित पानी गिराया जाता है. इसको लेकर तमाम आंदोलन और धरना-प्रदर्शन हुए हैं. इसके बाद फैक्टरियों से निकलने वाले गंदे पानी के शोधन के लिए मशीन लगाने की बात हुई, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. मामला एनजीटी में गया तो नदी में कचरा युक्त पानी नहीं गिराने और किनारे पौधरोपण कराने का निर्देश दिया गया. प्रशासन ने एनजीटी को बता दिया कि नमामि गंगे परियोजना में शामिल कर नदी को स्वच्छ और निर्मल बनाया जाएगा. लेकिन इस पर आज तक अमल नहीं किया गया.
56 फैक्ट्री का नदी में गिरता है पानीः गीडा में लगी फैक्टरियों का जहरीला पानी आमी नदी में गिरता है, इससे कोई इंकार नहीं कर सकता. गीडा प्रशासन ने इस दिशा में आज तक कोई ठोस काम नहीं किया है. वर्ष 2021-22 में प्रदूषण विभाग द्वारा की गई जांच में आमी नदी में करीब 7.50 एमएलडी पानी गिरता हुआ पाया गया था. रात 12:00 से लेकर सुबह 4:00 बजे तक नदी में अत्यधिक प्रदूषित पानी गिरता है. गीडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी अनुज मलिक कहती है कि करीब छोटी-बड़ी 56 फैक्ट्री का ढाई से तीन एमएलडी पानी नदी में गिरता है, जिसके शोधन के लिए सीईटीपी स्थापित करने की प्रक्रिया तेज हुई है. इसकी स्थापना से निश्चित रूप से प्रदूषित पानी को नदियों में गिरने से रोका जा सकेगा. फिलहाल मछलियां कैसे मरी हैं, इसकी स्थिति प्रदूषण विभाग ही बता पाएगा.