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KGMU की प्रिसिजन मेडिसिन कांफ्रेंस में ICU में बेहतर इलाज के दिए गए गुर

केजीएमयू में क्रिटीकल केयर विभाग में तीन दिवसीय प्रिसिजन मेडिसिन एवं इंटेंसिव केयर कांफ्रेंस (Precision Medicine Conference) की शुरूआत बुधवार से हुई. इस दौरान कार्यशाला के पहले दिन विशेषज्ञों ने 'पर्सनलाइज्ड मैकेनिकल वेंटिलेशन इन आईसीयू' विषय पर चर्चा हुई.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 8, 2024, 10:32 AM IST

लखनऊ : किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के क्रिटीकल केयर विभाग में तीन दिवसीय प्रिसिजन मेडिसिन एवं इंटेंसिव केयर कांफ्रेंस (पीएमआईसी) की शुरुआत बुधवार को की गई, हालांकि इसकी औपचारिक शुरुआत गुरुवार को उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक करेंगे. कार्यशाला के पहले दिन विशेषज्ञों ने 'पर्सनलाइज्ड मैकेनिकल वेंटिलेशन इन आईसीयू' विषय पर मरीज को बेहतर इलाज देने के सुझाव दिए.

मरीज को इलाज देने संबंधित जानकारी साझा की : क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष, प्रो. अविनाश अग्रवाल ने बताया कि कैंसर संस्थान में निश्चेतना विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. इंदुबाला मौर्या ने आईसीयू में मैकेनिकल वेंटीलेशन की शुरूआत कैसे करें इसका बुनियादी सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया. एसजीपीजीआई में क्रिटीकल केयर मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जितेन्द्र सिंह चहर ने वेंटिलेटर पर मरीज की निगरानी कैसे करें इसकी बारीकियां बताईं. लोहिया संस्थान में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के डॉ. हेमंत कुमार ने हाइपरसोनिक श्वसन विफलता वाले मरीज को वेंटिलेटर पर इलाज देने संबंधित जानकारी साझा की. इसके अलावा कार्यशाला में शामिल डॉ. मुस्तहसीन मलिक, डॉ. हैदर अब्बास, डॉ. अंबुज यादव, डॉ. अंकित कुमार, डॉ. सचिन कुमार, डॉ. जिया अरशद, डॉ. मधुमिता, डॉ. डीके पटेल आदि ने भी गंभीर मरीजों को इलाज देने संबंधित बारीकियों को साझा किया.


54.21 लाख लोगों को खिलाई जाएगी फाइलेरिया रोधी दवा : लोगों को फाइलेरिया बीमारी से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से 10 से 28 फरवरी तक सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान चलाया जाएगा. अभियान को सफल बनाने के लिए 5400 टीमें लगाई गई हैं. टीम में शामिल कार्यकर्ता बनाए गए बूथों व लोगों के घर-घर जाकर अपने सामने फाइलेरिया रोधी दवा आइवरमेक्टिन, डाईइथाइल कार्बामाजिन और एल्बेन्डाजोल खिलाएंगे. साथ ही लोगों को इस बीमारी से बचाव को लेकर जागरूक करेंगे. यह जानकारी बुधवार को अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. आरएन सिंह ने दी. उन्होंने बताया कि जिले की करीब 54.21 लाख आबादी को दवा खिलाने का लक्ष्य है.

ग्रामीण क्षेत्र में फाइलेरिया के मरीज अधिक : डॉ. आरएन ने बताया कि जिले में करीब ढाई हजार मरीज फाइलेरिया बीमारी से ग्रसित हैं. सबसे अधिक मरीजों की संख्या माल, मलिहाबाद और मोहनलालगंज क्षेत्र में है. दवा सेवन कराने के लिए सभी मेडिकल कॉलेजों, चिकित्सालयों के अलावा लखनऊ विश्वविद्यालय, पराग डेरी, ज्ञान डेरी तथा अमूल डेरी में बूथ भी लगाए जाएंगे.

दवा खाने के बाद ये लक्षण दिखे तो घबराएं नहीं : नोडल अधिकारी डॉ. गोपीलाल ने बताया कि दवा सेवन के बाद कुछ व्यक्तियों में जी मिचलाना, चक्कर आना और उल्टी आने की समस्या हो सकती है. इससे घबराने के जरूरत नहीं है. इसका मतलब है कि शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद थे और दवा सेवन के बाद शरीर में फाइलेरिया परजीवियों की मृत्यु होने के परिणामस्वरूप यह प्रतिक्रिया हुई है. जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. रितु श्रीवास्तव ने कहा कि शरीर मे फाइलेरिया के लक्षण 10 से 15 साल बाद दिखाई देते हैं. लिहाजा ये दवा दो साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रूप से बीमार को छोड़कर सभी को खानी है.

यह भी पढ़ें : लखनऊ के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय को नेशनल मेडिकल कमीशन की ओर से मिली बड़ी उपलब्धि

यह भी पढ़ें : KGMU LUCKNOW : आड़े तिरछे दांतों से भी हो सकता है मुंह का कैंसर, बचाव के लिए करना होगा यह काम

लखनऊ : किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के क्रिटीकल केयर विभाग में तीन दिवसीय प्रिसिजन मेडिसिन एवं इंटेंसिव केयर कांफ्रेंस (पीएमआईसी) की शुरुआत बुधवार को की गई, हालांकि इसकी औपचारिक शुरुआत गुरुवार को उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक करेंगे. कार्यशाला के पहले दिन विशेषज्ञों ने 'पर्सनलाइज्ड मैकेनिकल वेंटिलेशन इन आईसीयू' विषय पर मरीज को बेहतर इलाज देने के सुझाव दिए.

मरीज को इलाज देने संबंधित जानकारी साझा की : क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष, प्रो. अविनाश अग्रवाल ने बताया कि कैंसर संस्थान में निश्चेतना विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. इंदुबाला मौर्या ने आईसीयू में मैकेनिकल वेंटीलेशन की शुरूआत कैसे करें इसका बुनियादी सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया. एसजीपीजीआई में क्रिटीकल केयर मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जितेन्द्र सिंह चहर ने वेंटिलेटर पर मरीज की निगरानी कैसे करें इसकी बारीकियां बताईं. लोहिया संस्थान में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के डॉ. हेमंत कुमार ने हाइपरसोनिक श्वसन विफलता वाले मरीज को वेंटिलेटर पर इलाज देने संबंधित जानकारी साझा की. इसके अलावा कार्यशाला में शामिल डॉ. मुस्तहसीन मलिक, डॉ. हैदर अब्बास, डॉ. अंबुज यादव, डॉ. अंकित कुमार, डॉ. सचिन कुमार, डॉ. जिया अरशद, डॉ. मधुमिता, डॉ. डीके पटेल आदि ने भी गंभीर मरीजों को इलाज देने संबंधित बारीकियों को साझा किया.


54.21 लाख लोगों को खिलाई जाएगी फाइलेरिया रोधी दवा : लोगों को फाइलेरिया बीमारी से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से 10 से 28 फरवरी तक सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान चलाया जाएगा. अभियान को सफल बनाने के लिए 5400 टीमें लगाई गई हैं. टीम में शामिल कार्यकर्ता बनाए गए बूथों व लोगों के घर-घर जाकर अपने सामने फाइलेरिया रोधी दवा आइवरमेक्टिन, डाईइथाइल कार्बामाजिन और एल्बेन्डाजोल खिलाएंगे. साथ ही लोगों को इस बीमारी से बचाव को लेकर जागरूक करेंगे. यह जानकारी बुधवार को अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. आरएन सिंह ने दी. उन्होंने बताया कि जिले की करीब 54.21 लाख आबादी को दवा खिलाने का लक्ष्य है.

ग्रामीण क्षेत्र में फाइलेरिया के मरीज अधिक : डॉ. आरएन ने बताया कि जिले में करीब ढाई हजार मरीज फाइलेरिया बीमारी से ग्रसित हैं. सबसे अधिक मरीजों की संख्या माल, मलिहाबाद और मोहनलालगंज क्षेत्र में है. दवा सेवन कराने के लिए सभी मेडिकल कॉलेजों, चिकित्सालयों के अलावा लखनऊ विश्वविद्यालय, पराग डेरी, ज्ञान डेरी तथा अमूल डेरी में बूथ भी लगाए जाएंगे.

दवा खाने के बाद ये लक्षण दिखे तो घबराएं नहीं : नोडल अधिकारी डॉ. गोपीलाल ने बताया कि दवा सेवन के बाद कुछ व्यक्तियों में जी मिचलाना, चक्कर आना और उल्टी आने की समस्या हो सकती है. इससे घबराने के जरूरत नहीं है. इसका मतलब है कि शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद थे और दवा सेवन के बाद शरीर में फाइलेरिया परजीवियों की मृत्यु होने के परिणामस्वरूप यह प्रतिक्रिया हुई है. जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. रितु श्रीवास्तव ने कहा कि शरीर मे फाइलेरिया के लक्षण 10 से 15 साल बाद दिखाई देते हैं. लिहाजा ये दवा दो साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रूप से बीमार को छोड़कर सभी को खानी है.

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