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व्हाट्सएप, टेलीग्राम और E-mail से भी दर्ज करा सकेंगे FIR, 1 जुलाई से बदल जाएंगे ये नियम - New criminal laws

FIR Will be lodged through WhatsApp, 1 जुलाई को नई नए कानून लागू किए जाने वाले हैं. शनिवार को डीडवाना कुचामन जिले के अधिवक्ताओं को इन कानूनों की जानकारी दी गई.

अधिवक्ताओं को दी गई जानकारी
अधिवक्ताओं को दी गई जानकारी (ETV Bharat Kuchaman City)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 29, 2024, 7:49 PM IST

Updated : Jun 29, 2024, 8:17 PM IST

अधिवक्ताओं को दी गई जानकारी. (ETV Bharat Kuchaman City)

कुचामनसिटी. आगामी एक जुलाई से एफआईआर के लिए थाने की जरूरत नहीं होगी. आप व्हाट्सएप, टेलीग्राम या ई-मेल जैसे माध्यम से भी एफआईआर दर्ज करा सकेंगे. अब थाने से यह कहकर आपको टाला नहीं जा सकेगा कि संबंधित थाने में जाकर एफआईआर दर्ज करवाएं. ये कहना था एसीजेएम न्यायधीश सुंदर लाल खारोल का. उन्होंने डीडवाना कुचामन जिले के अधिवक्ताओं को देश में आगामी एक जुलाई से लागू होने वाले कानूनों की जानकारी दी.

ये किया गया बदलाव : वरिष्ठ सिविल न्यायधीश ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि पहली बार 'सामुदायिक सेवा' को दंड के रूप में बीएनएस की धारा 4 में शामिल किया है, ताकि जेलों की भीड़ कम हो. एसीजेएम न्यायधीश धर्मेंद्र पंवार ने बताया कि नए कानून लागू होने पर अपराध के लिए देश में कहीं भी एफआईआर दर्ज हो सकेगी. एफआईआर संबंधित थाने में स्वतः ट्रांसफर हो जाएगी और वहां एफआईआर को नंबर मिल जाएगा. संज्ञेय अपराध में थाने में माध्यम से दी गई सूचना के आधार पर एफआईआर दर्ज हो सकेगी. उन्होंने बताया कि व्हाट्सएप- टेलीग्राम सहित किसी भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से एफआईआर दर्ज हो सकेगी, जिसको लेकर ऑनलाइन दर्ज कराने के बाद तीन दिन के भीतर प्रार्थी को संबंधित थाने में उपस्थित होकर हस्ताक्षर करने होंगे. थाने में एफआईआर दर्ज नहीं होने पर पहले की तरह ही पुलिस अधीक्षक कार्यालय में एफआईआर दी जा सकेगी.

पढ़ें. देश में 1 जुलाई से लागू होने जा रहे नए कानूनों को लेकर अजमेर में हुई कार्यशाला, आप भी जानिए

पुलिस के एफआईआर दर्ज नहीं करने पर कोर्ट के माध्यम से एफआईआर का प्रावधान पहले की तरह ही रखा गया है. 3 से 7 साल तक की सजा वाले अपराधों में पुलिस डीवाईएसपी की मंजूरी के बाद उसे जांच के लिए भी रख सकती है, लेकिन पुलिस के स्तर एफआईआर के बारे में 14 दिन में निर्णय करना होगा. अपर लोक अभियोजक एडवोकेट दौलत खान ने बताया कि पीड़ित को एफआईआर की कॉपी थाने से निःशुल्क मिलेगी. पीड़ित को जांच के 90 दिनों के भीतर उस पर प्रगति के बारे में पुलिस सूचना पहुंचाएगी. बच्चों के अपराध करने पर तीन साल तक की ही सजा का प्रावधान होने से अपराधी बड़ी वारदातों में बच्चों का इस्तेमाल करने लगे थे, अब बच्चों से अपराध कराने वालों को सीधे तौर पर उस मामले में अपराधी की तरह मानते हुए एफआईआर दर्ज होगी.

बता दें कि 1 जुलाई से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (आईईए) की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) ले लेंगे. नए कानूनों में एफआईआर को लेकर कई स्पष्ट प्रावधान किए गए हैं, तो कुछ पुराने प्रावधानों को भी मजबूत बनाकर स्पष्टता के साथ लाया गया है. अधिवक्ताओं और आमजन को नए कानून के बारे में जागरूक करने के लिए कुचामन न्यायालय में आयोजित कार्यक्रम में एसीजेएम न्यायधीश सुंदर लाल खारोल, एसीजेएम न्यायधीश धर्मेंद्र पंवार, वरिष्ठ सिविल न्यायधीश ज्ञानेंद्र सिंह और अपर लोक अभियोजक एडवोकेट दौलत खान ने तीनों कानूनों के बारे में विस्तार से बताया.

अधिवक्ताओं को दी गई जानकारी. (ETV Bharat Kuchaman City)

कुचामनसिटी. आगामी एक जुलाई से एफआईआर के लिए थाने की जरूरत नहीं होगी. आप व्हाट्सएप, टेलीग्राम या ई-मेल जैसे माध्यम से भी एफआईआर दर्ज करा सकेंगे. अब थाने से यह कहकर आपको टाला नहीं जा सकेगा कि संबंधित थाने में जाकर एफआईआर दर्ज करवाएं. ये कहना था एसीजेएम न्यायधीश सुंदर लाल खारोल का. उन्होंने डीडवाना कुचामन जिले के अधिवक्ताओं को देश में आगामी एक जुलाई से लागू होने वाले कानूनों की जानकारी दी.

ये किया गया बदलाव : वरिष्ठ सिविल न्यायधीश ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि पहली बार 'सामुदायिक सेवा' को दंड के रूप में बीएनएस की धारा 4 में शामिल किया है, ताकि जेलों की भीड़ कम हो. एसीजेएम न्यायधीश धर्मेंद्र पंवार ने बताया कि नए कानून लागू होने पर अपराध के लिए देश में कहीं भी एफआईआर दर्ज हो सकेगी. एफआईआर संबंधित थाने में स्वतः ट्रांसफर हो जाएगी और वहां एफआईआर को नंबर मिल जाएगा. संज्ञेय अपराध में थाने में माध्यम से दी गई सूचना के आधार पर एफआईआर दर्ज हो सकेगी. उन्होंने बताया कि व्हाट्सएप- टेलीग्राम सहित किसी भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से एफआईआर दर्ज हो सकेगी, जिसको लेकर ऑनलाइन दर्ज कराने के बाद तीन दिन के भीतर प्रार्थी को संबंधित थाने में उपस्थित होकर हस्ताक्षर करने होंगे. थाने में एफआईआर दर्ज नहीं होने पर पहले की तरह ही पुलिस अधीक्षक कार्यालय में एफआईआर दी जा सकेगी.

पढ़ें. देश में 1 जुलाई से लागू होने जा रहे नए कानूनों को लेकर अजमेर में हुई कार्यशाला, आप भी जानिए

पुलिस के एफआईआर दर्ज नहीं करने पर कोर्ट के माध्यम से एफआईआर का प्रावधान पहले की तरह ही रखा गया है. 3 से 7 साल तक की सजा वाले अपराधों में पुलिस डीवाईएसपी की मंजूरी के बाद उसे जांच के लिए भी रख सकती है, लेकिन पुलिस के स्तर एफआईआर के बारे में 14 दिन में निर्णय करना होगा. अपर लोक अभियोजक एडवोकेट दौलत खान ने बताया कि पीड़ित को एफआईआर की कॉपी थाने से निःशुल्क मिलेगी. पीड़ित को जांच के 90 दिनों के भीतर उस पर प्रगति के बारे में पुलिस सूचना पहुंचाएगी. बच्चों के अपराध करने पर तीन साल तक की ही सजा का प्रावधान होने से अपराधी बड़ी वारदातों में बच्चों का इस्तेमाल करने लगे थे, अब बच्चों से अपराध कराने वालों को सीधे तौर पर उस मामले में अपराधी की तरह मानते हुए एफआईआर दर्ज होगी.

बता दें कि 1 जुलाई से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (आईईए) की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) ले लेंगे. नए कानूनों में एफआईआर को लेकर कई स्पष्ट प्रावधान किए गए हैं, तो कुछ पुराने प्रावधानों को भी मजबूत बनाकर स्पष्टता के साथ लाया गया है. अधिवक्ताओं और आमजन को नए कानून के बारे में जागरूक करने के लिए कुचामन न्यायालय में आयोजित कार्यक्रम में एसीजेएम न्यायधीश सुंदर लाल खारोल, एसीजेएम न्यायधीश धर्मेंद्र पंवार, वरिष्ठ सिविल न्यायधीश ज्ञानेंद्र सिंह और अपर लोक अभियोजक एडवोकेट दौलत खान ने तीनों कानूनों के बारे में विस्तार से बताया.

Last Updated : Jun 29, 2024, 8:17 PM IST
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