ETV Bharat / state

ग्वालियर के बिरला अस्पताल पर लगा 8 लाख का जुर्माना, अयोग्य डॉक्टर कर रहे थे ड्यूटी, मरीज की हुई मौत - Gwalior Birla Hospital fined

author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 2, 2024, 8:53 PM IST

ग्वालियर के बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च का विवादों से पुराना नाता है. बिरला अस्पताल में 2017 में एक मरीज की इलाज के दौरान मौत हो जाने के मामले में मुरैना के उपभोक्ता फोरम ने 8 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. साथ ही अस्पताल की उच्च स्तरीय जांच करने के संबंधित विभाग को निर्देश दिए हैं.

GWALIOR BIRLA HOSPITAL FINED
बिरला अस्पताल पर उपभोक्ता फोरम ने लगाया 8 लाख का जुर्माना (ETV Bharat)

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर के बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च अस्पताल पर मुरैना के उपभोक्ता फोरम ने एक मरीज की मौत को लेकर आठ लाख रुपए क्षतिपूर्ति देने के आदेश दिए हैं. साथ ही अन्य मदों में आठ हजार रुपए अलग से भुगतान करने के आदेश भी पारित किये हैं. मुरैना के रहने वाले अतुल गोयल ने 20 अगस्त 2017 को अपने पिता वासुदेव प्रसाद को ग्वालियर के बीआईएमआर अस्पताल में उल्टी और पेट में दर्द की शिकायत के साथ भर्ती कराया था. जांच में अतुल के पिता को हर्निया बताया गया. जिसकी सर्जरी डॉक्टर दीपक प्रधान द्वारा की गई थी.

बिरला अस्पताल की लापरवाही से मरीज की हुई थी मौत (ETV Bharat)

अस्पताल में योग्य स्टाफ का अभाव

ड्यूटी डॉक्टर के रूप में अस्पताल में अपात्र एंव अयोग्य व्यक्ति कार्य कर रहे थे. जो संभवतः होम्योपैथिक अथवा आयुर्वेदिक स्नातक थे. याचिका में आरोप लगाया गया था कि सर्जरी के बाद पोस्ट ऑपरेटिव केयर में गंभीर लापरवाही की गई. जिस कारण 28 अगस्त 2017 को मरीज वासुदेव प्रसाद को उल्टी आई जो उनकी श्वास नली में फंस गई. जिसे निकालने के लिए अस्पताल में कोई भी योग्य चिकित्सक अथवा पैरामेडिकल स्टाफ मौजूद नहीं था.

ऑपरेशन से पहले मरीज के परिवार ने नहीं ली सहमति

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मनोज उपाध्याय के मुताबिक पेशेंट के डेथ नोट जिस डॉक्टर द्वारा बनाए गए थे. उसे सामान्य अंग्रेजी का भी ज्ञान नहीं था. डेथ नोट में अंग्रेजी शब्दों में स्पेलिंग्स में बड़ी गलतियां थी. जो इस डॉक्टर के अयोग्य होने का प्रमाण है. याचिका में यह भी कहा गया था कि उक्त डाक्टर का कोई भी शपथ पत्र या योग्यता प्रमाण पत्र भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा फोरम के सामने पेश नहीं किया गया. यही नहीं हर्निया का ऑपरेशन करने से पहले परिवार से कोई भी सहमति नहीं ली गई थी और ना ही ऑपरेशन के बाद के कॉम्प्लिकेशन की जानकारी परिवार के लोगों को दी गई.

यहां पढ़ें...

Gwalior के Birla Hospital की धोखाधड़ी! इंजेक्शन लगाए नहीं, बिल में जोड़ दिए, डायरेक्टर समेत 6 के खिलाफ केस दर्ज

ऑपरेशन के बाद महिला की मौत, परिजनों ने किया हंगामा, बोले-6 घंटे की सर्जरी 1 घंटे में कैसे हुई

अस्पताल की जांच के दिए आदेश

बता दें कि उपचार के दौरान एक्सपायरी डेट की दवाएं मरीज को खिलाई गई. जिससे मरीज वासुदेव की हालत बिगड़ी. इन तथ्यों के आधार पर उपभोक्ता फोरम ने बिरला अस्पताल को दोषी पाया और उस पर आठ लाख रुपए का क्षतिपूर्ति का आदेश दिया. इसकी प्रतिलिपि प्रदेश के मेडिकल काउंसिल एवं प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग को देने एवं अस्पताल के विरुद्ध उच्च स्तरीय जांच कर आयोग को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं.

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर के बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च अस्पताल पर मुरैना के उपभोक्ता फोरम ने एक मरीज की मौत को लेकर आठ लाख रुपए क्षतिपूर्ति देने के आदेश दिए हैं. साथ ही अन्य मदों में आठ हजार रुपए अलग से भुगतान करने के आदेश भी पारित किये हैं. मुरैना के रहने वाले अतुल गोयल ने 20 अगस्त 2017 को अपने पिता वासुदेव प्रसाद को ग्वालियर के बीआईएमआर अस्पताल में उल्टी और पेट में दर्द की शिकायत के साथ भर्ती कराया था. जांच में अतुल के पिता को हर्निया बताया गया. जिसकी सर्जरी डॉक्टर दीपक प्रधान द्वारा की गई थी.

बिरला अस्पताल की लापरवाही से मरीज की हुई थी मौत (ETV Bharat)

अस्पताल में योग्य स्टाफ का अभाव

ड्यूटी डॉक्टर के रूप में अस्पताल में अपात्र एंव अयोग्य व्यक्ति कार्य कर रहे थे. जो संभवतः होम्योपैथिक अथवा आयुर्वेदिक स्नातक थे. याचिका में आरोप लगाया गया था कि सर्जरी के बाद पोस्ट ऑपरेटिव केयर में गंभीर लापरवाही की गई. जिस कारण 28 अगस्त 2017 को मरीज वासुदेव प्रसाद को उल्टी आई जो उनकी श्वास नली में फंस गई. जिसे निकालने के लिए अस्पताल में कोई भी योग्य चिकित्सक अथवा पैरामेडिकल स्टाफ मौजूद नहीं था.

ऑपरेशन से पहले मरीज के परिवार ने नहीं ली सहमति

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मनोज उपाध्याय के मुताबिक पेशेंट के डेथ नोट जिस डॉक्टर द्वारा बनाए गए थे. उसे सामान्य अंग्रेजी का भी ज्ञान नहीं था. डेथ नोट में अंग्रेजी शब्दों में स्पेलिंग्स में बड़ी गलतियां थी. जो इस डॉक्टर के अयोग्य होने का प्रमाण है. याचिका में यह भी कहा गया था कि उक्त डाक्टर का कोई भी शपथ पत्र या योग्यता प्रमाण पत्र भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा फोरम के सामने पेश नहीं किया गया. यही नहीं हर्निया का ऑपरेशन करने से पहले परिवार से कोई भी सहमति नहीं ली गई थी और ना ही ऑपरेशन के बाद के कॉम्प्लिकेशन की जानकारी परिवार के लोगों को दी गई.

यहां पढ़ें...

Gwalior के Birla Hospital की धोखाधड़ी! इंजेक्शन लगाए नहीं, बिल में जोड़ दिए, डायरेक्टर समेत 6 के खिलाफ केस दर्ज

ऑपरेशन के बाद महिला की मौत, परिजनों ने किया हंगामा, बोले-6 घंटे की सर्जरी 1 घंटे में कैसे हुई

अस्पताल की जांच के दिए आदेश

बता दें कि उपचार के दौरान एक्सपायरी डेट की दवाएं मरीज को खिलाई गई. जिससे मरीज वासुदेव की हालत बिगड़ी. इन तथ्यों के आधार पर उपभोक्ता फोरम ने बिरला अस्पताल को दोषी पाया और उस पर आठ लाख रुपए का क्षतिपूर्ति का आदेश दिया. इसकी प्रतिलिपि प्रदेश के मेडिकल काउंसिल एवं प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग को देने एवं अस्पताल के विरुद्ध उच्च स्तरीय जांच कर आयोग को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.