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मंडी में 'क्वीन' वर्सेज 'किंग' मुकाबला, विक्रमादित्य के लिए चुनाव में क्या है जीत और हार के मायने? - Kangana and Vikramaditya Fight - KANGANA AND VIKRAMADITYA FIGHT

Fight between Kangana Ranaut and Vikramaditya: देश भर के हॉट लोकसभा सीटों में मंडी भी शुमार हो गई है. इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी कंगना रनौत और कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह के बीच कड़ा मुकाबला होगा. इस चुनाव में विक्रमादित्य सिंह के लिए जीत और हार के कई मायने होंगे, जो विक्रमादित्य सिंह के राजनीतिक भविष्य की दिशा और दशा तय करने वाला होगा. पढ़िए पूरी खबर...

मंडी में 'क्वीन' वर्सेज 'किंग' मुकाबला
मंडी में 'क्वीन' वर्सेज 'किंग' मुकाबला
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Apr 14, 2024, 4:56 PM IST

Updated : Apr 14, 2024, 10:21 PM IST

शिमला: देश के मानचित्र पर चार लोकसभा सीटों वाले छोटे राज्य हिमाचल की मंडी सीट पर कंगना की एंट्री से राजनीति में चर्चा का केंद्र बन गई है. यहां पहले वर्तमान सांसद प्रतिभा सिंह के चुनाव लड़ने की संभावना थी, लेकिन मंडी सीट पर भाजपा की ओर से ग्लैमरस तड़का लगाने के बाद कांग्रेस को इस सीट पर राजनीतिक पृष्ठ भूमि घराने से लोकप्रिय युवा नेता की तलाश थी, जो चुनावी रण में बॉलीवुड 'क्वीन' को टक्कर दे सके.

क्वीन वर्सेज किंग में होगा दिलचस्प मुकाबला: ऐसे में युवा नेता को तलाशती कांग्रेस की नजरें दिल्ली में आयोजित हुई कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य के चेहरे पर आकर रूकी. जिस पर आखिर में सेंट्रल इलेक्शन कमेटी ने अपनी मुहर लगा दी. जिससे मंडी सीट पर अब मुकाबला क्वीन वर्सेज किंग काफी दिलचस्प रहने वाला हैं.

जीत हार से तय होगा राजनीतिक भविष्य: हालांकि, मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना की मंडी सीट पर एंट्री सीधे दिल्ली के रास्ते हुई है. जिससे कंगना को अपनी राजनीतिक नाव मोदी मैजिक के सहारे पार लगने की उम्मीद है. वहीं, मंडी सीट पर बुशहर रियासत के किंग विक्रमादित्य सिंह के लिए भी इस चुनाव में जीत और हार के कई मायने है, जो विक्रमादित्य सिंह के राजनीतिक भविष्य को तय करने वाला है.

राज परिवार की साख बचाने की चुनौती: विक्रमादित्य सिंह हिमाचल के छह बार के मुख्यमंत्री और पहाड़ी राज्य में पांच दशक तक राजनीति के किंग रहे स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के पुत्र हैं. 87 साल की उम्र में वीरभद्र सिंह ने 8 जुलाई 2021 को शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में अंतिम सांस ली थी. ऐसे में हिमाचल की राजनीति के शिखर पुरुष वीरभद्र सिंह बेशक अब देह में नहीं हैं, लेकिन प्रदेश में अभी भी उनकी राजा वाली छवि लोगों के सिर चढ़ कर बोलती है. ग्रामीण इलाकों लोग विक्रमादित्य सिंह में वीरभद्र सिंह की छवि को ही देखेंगे. वहीं 1971, 1980, 2009 के चुनाव में वीरभद्र सिंह मंडी से सांसद रहे हैं. वहीं, विक्रमादित्य सिंह माता प्रतिभा सिंह भी वर्तमान में तीसरी बार मंडी से सांसद चुनी गई हैं. ऐसे विक्रमादित्य सिंह के सामने इस चुनाव में राज परिवार की साख बचाने की चुनौती है.

राजनीति में विक्रमादित्य सिंह नये खिलाड़ी नहीं: भाजपा ने मंडी सीट पर पहले प्रत्याशी उतार कर चुनावी जंग में मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने का प्रयास किया है. लेकिन कांग्रेस ने देरी से विक्रमादित्य सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. ऐसे में भाजपा चुनावी प्रचार में कांग्रेस से कही आगे निकल गई है. कंगना के पक्ष में पीएम मोदी का मैजिक और भाजपा कार्यकर्ताओं का मजबूत कैडर है. वहीं, विक्रमादित्य सिंह राजनीति के क्षेत्र में मंडी के लोगों के लिए विक्रमादित्य सिंह नया नाम नहीं है. उनके पक्ष में भी वीरभद्र सिंह की छवि, युवा कार्यकर्ताओं का समर्थन और कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक है.

जीते तो दिल्ली दूर नहीं, हारे तो अपने ही उठाएंगे सवाल: इस सबके बीच मंडी सीट पर 4 जून को आने वाला चुनाव परिणाम विक्रमादित्य सिंह के राजनीति भविष्य को तय करेगा. मंडी से अगर विक्रमादित्य सिंह चुनाव जीत जाते हैं तो उनके लिए दिल्ली दूर नहीं होगी. विक्रमादित्य सिंह हिमाचल की राजनीति से दिल्ली की राजनीति में एंट्री हो जाएगी. जिससे उनको प्रदेश की राजनीति से दूर होना पड़ेगा. वहीं, अगर चुनावी रण में पिछड़ जाते हैं तो अपनी ही पार्टी के लोग विक्रमादित्य सिंह और राज परिवार की लोकप्रियता को लेकर सवाल खड़े करेंगे. ऐसे में हार और जीत दोनों की स्थिति में विक्रमादित्य सिंह के राजनीतिक करियर को लेकर मंडी का चुनाव महत्वपूर्ण रहने वाले है.

विक्रमादित्य सिंह का सियासी सफर: हिमाचल प्रदेश के छह बार के सीएम रहे वीरभद्र सिंह के विक्रमादित्य सिंह बेटे हैं. उनकी मां प्रतिभा सिंह मंडी से वर्तमान में सांसद हैं. विक्रमादित्य हिमाचल विधानसभा की शिमला (ग्रामीण) सीट से दूसरी बार चुनाव जीतकर आए हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में विक्रमादित्य शिमला ग्रामीण से पहली बार विधायक चुने गए थे. उनके लिए पिता वीरभद्र सिंह ने अपनी सीट छोड़कर स्वंय अर्की सीट से चुनाव लड़ा था. ऐसे में हिमाचल विधानसभा में पहली बार पिता-पुत्र की जोड़ी नजर आई थी. वर्तमान में सुक्खू सरकार में विक्रमादित्य सिंह कैबिनेट मंत्री हैं. इससे पहले साल 2013 में विक्रमादित्य सिंह युवा कांग्रेस अध्यक्ष की बागडोर भी संभाल चुके हैं. उनकी लोकप्रिय छवि को देखते हुए साल 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्हें स्टार प्रचारक भी बनाया गया था.

कंगना एंट्री से हॉट सीट बनी मंडी: अपने दमदार अभिनय से बॉलीवुड में खास जगह बनाने वाली कंगना रनौत हिमाचल की ही रहने वाली हैं. ऐसे में राजनीति में कंगना की एंट्री से मंडी सीट अचानक से वीवीआईपी हो गई. देश भर के मीडिया में कंगना की एंट्री और उनके राजनीति बयान सुर्खिया बटौर रहा है. जिससे मंडी हॉट सीट बन गई है. देश भर की नजरें मंडी सीट पर आकर टिक गई हैं.

ये भी पढ़ें: विक्रमादित्य सिंह को मंडी लोकसभा का प्रत्याशी बनाने पर बीजेपी ने कसा तंज, पूछा- कांग्रेस में और नेता नहीं थे

शिमला: देश के मानचित्र पर चार लोकसभा सीटों वाले छोटे राज्य हिमाचल की मंडी सीट पर कंगना की एंट्री से राजनीति में चर्चा का केंद्र बन गई है. यहां पहले वर्तमान सांसद प्रतिभा सिंह के चुनाव लड़ने की संभावना थी, लेकिन मंडी सीट पर भाजपा की ओर से ग्लैमरस तड़का लगाने के बाद कांग्रेस को इस सीट पर राजनीतिक पृष्ठ भूमि घराने से लोकप्रिय युवा नेता की तलाश थी, जो चुनावी रण में बॉलीवुड 'क्वीन' को टक्कर दे सके.

क्वीन वर्सेज किंग में होगा दिलचस्प मुकाबला: ऐसे में युवा नेता को तलाशती कांग्रेस की नजरें दिल्ली में आयोजित हुई कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य के चेहरे पर आकर रूकी. जिस पर आखिर में सेंट्रल इलेक्शन कमेटी ने अपनी मुहर लगा दी. जिससे मंडी सीट पर अब मुकाबला क्वीन वर्सेज किंग काफी दिलचस्प रहने वाला हैं.

जीत हार से तय होगा राजनीतिक भविष्य: हालांकि, मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना की मंडी सीट पर एंट्री सीधे दिल्ली के रास्ते हुई है. जिससे कंगना को अपनी राजनीतिक नाव मोदी मैजिक के सहारे पार लगने की उम्मीद है. वहीं, मंडी सीट पर बुशहर रियासत के किंग विक्रमादित्य सिंह के लिए भी इस चुनाव में जीत और हार के कई मायने है, जो विक्रमादित्य सिंह के राजनीतिक भविष्य को तय करने वाला है.

राज परिवार की साख बचाने की चुनौती: विक्रमादित्य सिंह हिमाचल के छह बार के मुख्यमंत्री और पहाड़ी राज्य में पांच दशक तक राजनीति के किंग रहे स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के पुत्र हैं. 87 साल की उम्र में वीरभद्र सिंह ने 8 जुलाई 2021 को शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में अंतिम सांस ली थी. ऐसे में हिमाचल की राजनीति के शिखर पुरुष वीरभद्र सिंह बेशक अब देह में नहीं हैं, लेकिन प्रदेश में अभी भी उनकी राजा वाली छवि लोगों के सिर चढ़ कर बोलती है. ग्रामीण इलाकों लोग विक्रमादित्य सिंह में वीरभद्र सिंह की छवि को ही देखेंगे. वहीं 1971, 1980, 2009 के चुनाव में वीरभद्र सिंह मंडी से सांसद रहे हैं. वहीं, विक्रमादित्य सिंह माता प्रतिभा सिंह भी वर्तमान में तीसरी बार मंडी से सांसद चुनी गई हैं. ऐसे विक्रमादित्य सिंह के सामने इस चुनाव में राज परिवार की साख बचाने की चुनौती है.

राजनीति में विक्रमादित्य सिंह नये खिलाड़ी नहीं: भाजपा ने मंडी सीट पर पहले प्रत्याशी उतार कर चुनावी जंग में मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने का प्रयास किया है. लेकिन कांग्रेस ने देरी से विक्रमादित्य सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. ऐसे में भाजपा चुनावी प्रचार में कांग्रेस से कही आगे निकल गई है. कंगना के पक्ष में पीएम मोदी का मैजिक और भाजपा कार्यकर्ताओं का मजबूत कैडर है. वहीं, विक्रमादित्य सिंह राजनीति के क्षेत्र में मंडी के लोगों के लिए विक्रमादित्य सिंह नया नाम नहीं है. उनके पक्ष में भी वीरभद्र सिंह की छवि, युवा कार्यकर्ताओं का समर्थन और कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक है.

जीते तो दिल्ली दूर नहीं, हारे तो अपने ही उठाएंगे सवाल: इस सबके बीच मंडी सीट पर 4 जून को आने वाला चुनाव परिणाम विक्रमादित्य सिंह के राजनीति भविष्य को तय करेगा. मंडी से अगर विक्रमादित्य सिंह चुनाव जीत जाते हैं तो उनके लिए दिल्ली दूर नहीं होगी. विक्रमादित्य सिंह हिमाचल की राजनीति से दिल्ली की राजनीति में एंट्री हो जाएगी. जिससे उनको प्रदेश की राजनीति से दूर होना पड़ेगा. वहीं, अगर चुनावी रण में पिछड़ जाते हैं तो अपनी ही पार्टी के लोग विक्रमादित्य सिंह और राज परिवार की लोकप्रियता को लेकर सवाल खड़े करेंगे. ऐसे में हार और जीत दोनों की स्थिति में विक्रमादित्य सिंह के राजनीतिक करियर को लेकर मंडी का चुनाव महत्वपूर्ण रहने वाले है.

विक्रमादित्य सिंह का सियासी सफर: हिमाचल प्रदेश के छह बार के सीएम रहे वीरभद्र सिंह के विक्रमादित्य सिंह बेटे हैं. उनकी मां प्रतिभा सिंह मंडी से वर्तमान में सांसद हैं. विक्रमादित्य हिमाचल विधानसभा की शिमला (ग्रामीण) सीट से दूसरी बार चुनाव जीतकर आए हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में विक्रमादित्य शिमला ग्रामीण से पहली बार विधायक चुने गए थे. उनके लिए पिता वीरभद्र सिंह ने अपनी सीट छोड़कर स्वंय अर्की सीट से चुनाव लड़ा था. ऐसे में हिमाचल विधानसभा में पहली बार पिता-पुत्र की जोड़ी नजर आई थी. वर्तमान में सुक्खू सरकार में विक्रमादित्य सिंह कैबिनेट मंत्री हैं. इससे पहले साल 2013 में विक्रमादित्य सिंह युवा कांग्रेस अध्यक्ष की बागडोर भी संभाल चुके हैं. उनकी लोकप्रिय छवि को देखते हुए साल 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्हें स्टार प्रचारक भी बनाया गया था.

कंगना एंट्री से हॉट सीट बनी मंडी: अपने दमदार अभिनय से बॉलीवुड में खास जगह बनाने वाली कंगना रनौत हिमाचल की ही रहने वाली हैं. ऐसे में राजनीति में कंगना की एंट्री से मंडी सीट अचानक से वीवीआईपी हो गई. देश भर के मीडिया में कंगना की एंट्री और उनके राजनीति बयान सुर्खिया बटौर रहा है. जिससे मंडी हॉट सीट बन गई है. देश भर की नजरें मंडी सीट पर आकर टिक गई हैं.

ये भी पढ़ें: विक्रमादित्य सिंह को मंडी लोकसभा का प्रत्याशी बनाने पर बीजेपी ने कसा तंज, पूछा- कांग्रेस में और नेता नहीं थे

Last Updated : Apr 14, 2024, 10:21 PM IST
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