सरगुजा : सुअर पालकों के लिए अच्छी खबर है. सुअरों में आने वाली एक बड़ी बीमारी की वैक्सीन भारत में बनकर तैयार है. वैक्सीन के ट्रॉयल चल रहे हैं. उम्मीद की जा रही है फील्ड ट्रॉयल पूरा होने के बाद वैक्सीन बाजार में उपलब्ध होगी. फील्ड का पहला ट्रॉयल शुरू कर दिया गया है,जो सरगुजा जिले में चल रहा है.
किस बीमारी से बचाव के लिए वैक्सीन : इस बारे में पशु चिकित्सक डॉ. चंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि " सुअरों में होने वाली गंभीर संक्रामक बीमारी 'पोर्सिन रीप्रोडक्टिव एंड रेस्पिरेटरी सिंड्रोम' पीआरआरएस से बचाव के लिए वैक्सीन तैयार की गई है. इसका ट्रायल सरगुजा जिले के शासकीय शूकर पालन केंद्र सकालो के अलग-अलग आयु के 50 शूकरों में किया जा रहा है. इस बीमारी को ब्लू इयर के नाम से भी जाना जाता है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान भोपाल में वैक्सीन तैयार किया गया है"
![Field trial of swine disease vaccine](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/30-09-2024/cg-srg-01-vaccin-rtray-7206271_30092024144258_3009f_1727687578_73.jpg)
कौन कर रहा है ट्रायल : संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डॉ राजू कुमार और डॉ. फतह सिंह वैक्सीन का ट्रायल कर रहे हैं. 9 सितंबर को ट्रॉयल शुरू किया गया था, वैक्सीन लगने के बाद सुअरों में इसके प्रभाव का अध्ययन किया जा रहा है. अभी तक सुअरों में स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या नहीं आई है. 21 दिन बाद सुअरो को बूस्टर डोज लगाया गया है, देश के एक या दो अन्य केंद्रों के सुअरों में भी वैक्सीन का ट्रायल करने के बाद इसे उपयोग के लिए लाया जाएगा.
" इस बीमारी से सूअरों में तेज बुखार, भूख में कमी, आंखों से पानी बहना, सांस लेने में दिक्कत, गर्भपात, नाक से स्राव सहित फेफड़े बीमार हो जाते हैं. क्योंकि यह एक वायरस है इसलिए इसका कोई इलाज नहीं है. इसलिए यदि वैक्सीन आ जाएगी तो सुअरों का टीकाकरण कर उन्हें इस बीमारी से बचाया जा सकेगा, जिसका फायदा सुअर पालकों को होगा"- डॉ. चन्द्र कुमार मिश्रा, पशु चिकित्सक
कब मिली थी बीमारी की जानकारी : सुअरों में ये बीमारी सबसे पहले 1987 में अमेरिका में देखी गई थी. उसके बाद 1991 में नीदरलैंड में भी ये वायरस देखा गया. यूरोपीय और अमेरिकी देशों के बाद यह बीमारी भारत में भी पहुंच चुकी है. इस बीमारी से सुअर पालकों को बड़ा नुकसान होता है. क्योंकि गर्भाशय संक्रमित होने के कारण सुअर की प्रोडक्टिविटी खत्म हो जाती है. इसी कारण भारत में इस वैक्सीन को तैयार किया गया है.