ETV Bharat / state

क्या है रामनगरिया मेले का महत्व, कल्पवास के क्या हैं नियम, एक महीने तक किन चीजों का रहता है निषेध, पढ़िए डिटेल

फर्रुखाबाद में रामनगरिया मेले (Farrukhabad Ram Nagariya Fair) की शुरुआत हो चुकी है. इस मेले का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है. मेले में एक महीने तक कल्पवास करना होता है. इसके लिए कुछ नियम भी बनाए गए हैं.

रामनगरिया मेले में पूरे सूबे से लोग पहुंचते हैं.
रामनगरिया मेले में पूरे सूबे से लोग पहुंचते हैं.
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 10, 2024, 7:59 AM IST

Updated : Feb 10, 2024, 8:09 AM IST

रामनगरिया मेले में पूरे सूबे से लोग पहुंचते हैं.

फर्रुखाबाद : जिले में इस समय ऐतिहासिक मेला श्री राम नगरिया चल रहा है. इसमें प्रदेश भर से कल्पवासी प्रवास कर रहे हैं. एक माह तक वे भागीरथी में डुबकी लगाकर भजन-कीर्तन करेंगे. सर्वाधिक शिवालय होने की वजह से फर्रुखाबाद को अपरा काशी के नाम से भी जाना जाता है. यहां के पांचाल घाट पर संतों की भीड़ है. सनातन धर्म में क्या है कल्पवास का महत्व है, कल्पवासियों की क्या रहती है दिनचर्चा, ईटीवी भारत ने कल्पवासियों से इस बारे में विस्तार में जाना. पढ़िए खास रिपोर्ट...

गंगा की गोद में रह रहे हजारों कल्पवासी : मकर संक्रांति के स्नान पर्व के साथ ही पांचाल घाट पर मेला श्री रामनगरिया की शुरुआत हो जाती है. गंगा की रेती पर हर साल यह मेला लगता है. मां गंगा की रेती पर बनी राउटी में हजारों कल्पवासी रह रहे हैं. मेले में छह प्रमुख स्नान पड़ते हैं. मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि. मेले में आई कल्पवासी महिलाएं रामप्यारी, राम शांति, सरला पांडे, सरोजिनी और श्रद्धा मिश्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि एक माह तक वे गंगा की रेती पर बने राउटी में रहते हैं. इस दौरान उनकी दिनचर्या काफी संयमित रहती है. कल्पवासी प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करते हैं. राउटी में आकर पूजा-अर्चना और भजन कीर्तन भी करते हैं. इसी के साथ मेले में संतों का प्रवचन सुनने के साथ ही आध्यात्मिक और धार्मिक कार्यक्रमों में भी शामिल होते हैं.

रामनगरिया मेले में टेंटों में रह रहे कल्पवासी.
रामनगरिया मेले में टेंटों में रह रहे कल्पवासी.

कल्पवास के ये हैं नियम : कल्पवासी महिलाओं ने बताया कि एक माह तक जमीन पर सोने के साथ चूल्हे पर बना भोजन ग्रहण कर पूरी तरह सात्विक जीवन व्यतीत करते हैं. राम मंदिर को लेकर कहा कि बहुत ज्यादा उत्साह है. बहुत ज्यादा खुशी है. राम मंदिर के निर्माण में किसकी शक्ति है, यह हम नहीं बता सकते, पर ऐसा लगता है कि मां गंगा की शक्ति से ही यह राम मंदिर का निर्माण हुआ है. बताया कि कल्पवास गंगा की रेती पर कोई भी व्यक्ति कल्पवास का संकल्प लेकर कल्पवास कर सकता है. कल्पवास करने के लिए कई नियमों का पालन करना होता है. चार ऐसे नियम हैं जिनका पालन हर कल्पवासी को करना अनिवार्य है. गंगा में स्नान करें. दिन में एक बार आहार करें, ब्रह्मचार्य का पालन करें. जमीन पर सोने के साथी रात्रि जागरण में प्रभु की आराधना करें. ऐसी मान्यता है कि कल्पवास करने से कायाकल्प हो जाता है. मोक्ष की प्राप्ति होती है. कल्पवास करने से आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है.

बता दें कि पांचाल घाट मां गंगा की रेती पर पौष पूर्णिमा के स्नान पर संकल्प के साथ ही हजारों श्रद्धालुओं का कल्पवास शुरू हो गया है. यह कल्पवास पौष पूर्णिमा से लेकर माघी पूर्णिमा के स्नान पर्व तक चलेगा. कल्पवास की परंपरा सदियों से चली आ रही है.

यह भी पढ़ें : रोडवेज कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी, योगी सरकार ने दी DA की सौगात, जानिए कितना पैसा मिलेगा

रामनगरिया मेले में पूरे सूबे से लोग पहुंचते हैं.

फर्रुखाबाद : जिले में इस समय ऐतिहासिक मेला श्री राम नगरिया चल रहा है. इसमें प्रदेश भर से कल्पवासी प्रवास कर रहे हैं. एक माह तक वे भागीरथी में डुबकी लगाकर भजन-कीर्तन करेंगे. सर्वाधिक शिवालय होने की वजह से फर्रुखाबाद को अपरा काशी के नाम से भी जाना जाता है. यहां के पांचाल घाट पर संतों की भीड़ है. सनातन धर्म में क्या है कल्पवास का महत्व है, कल्पवासियों की क्या रहती है दिनचर्चा, ईटीवी भारत ने कल्पवासियों से इस बारे में विस्तार में जाना. पढ़िए खास रिपोर्ट...

गंगा की गोद में रह रहे हजारों कल्पवासी : मकर संक्रांति के स्नान पर्व के साथ ही पांचाल घाट पर मेला श्री रामनगरिया की शुरुआत हो जाती है. गंगा की रेती पर हर साल यह मेला लगता है. मां गंगा की रेती पर बनी राउटी में हजारों कल्पवासी रह रहे हैं. मेले में छह प्रमुख स्नान पड़ते हैं. मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि. मेले में आई कल्पवासी महिलाएं रामप्यारी, राम शांति, सरला पांडे, सरोजिनी और श्रद्धा मिश्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि एक माह तक वे गंगा की रेती पर बने राउटी में रहते हैं. इस दौरान उनकी दिनचर्या काफी संयमित रहती है. कल्पवासी प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करते हैं. राउटी में आकर पूजा-अर्चना और भजन कीर्तन भी करते हैं. इसी के साथ मेले में संतों का प्रवचन सुनने के साथ ही आध्यात्मिक और धार्मिक कार्यक्रमों में भी शामिल होते हैं.

रामनगरिया मेले में टेंटों में रह रहे कल्पवासी.
रामनगरिया मेले में टेंटों में रह रहे कल्पवासी.

कल्पवास के ये हैं नियम : कल्पवासी महिलाओं ने बताया कि एक माह तक जमीन पर सोने के साथ चूल्हे पर बना भोजन ग्रहण कर पूरी तरह सात्विक जीवन व्यतीत करते हैं. राम मंदिर को लेकर कहा कि बहुत ज्यादा उत्साह है. बहुत ज्यादा खुशी है. राम मंदिर के निर्माण में किसकी शक्ति है, यह हम नहीं बता सकते, पर ऐसा लगता है कि मां गंगा की शक्ति से ही यह राम मंदिर का निर्माण हुआ है. बताया कि कल्पवास गंगा की रेती पर कोई भी व्यक्ति कल्पवास का संकल्प लेकर कल्पवास कर सकता है. कल्पवास करने के लिए कई नियमों का पालन करना होता है. चार ऐसे नियम हैं जिनका पालन हर कल्पवासी को करना अनिवार्य है. गंगा में स्नान करें. दिन में एक बार आहार करें, ब्रह्मचार्य का पालन करें. जमीन पर सोने के साथी रात्रि जागरण में प्रभु की आराधना करें. ऐसी मान्यता है कि कल्पवास करने से कायाकल्प हो जाता है. मोक्ष की प्राप्ति होती है. कल्पवास करने से आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है.

बता दें कि पांचाल घाट मां गंगा की रेती पर पौष पूर्णिमा के स्नान पर संकल्प के साथ ही हजारों श्रद्धालुओं का कल्पवास शुरू हो गया है. यह कल्पवास पौष पूर्णिमा से लेकर माघी पूर्णिमा के स्नान पर्व तक चलेगा. कल्पवास की परंपरा सदियों से चली आ रही है.

यह भी पढ़ें : रोडवेज कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी, योगी सरकार ने दी DA की सौगात, जानिए कितना पैसा मिलेगा

Last Updated : Feb 10, 2024, 8:09 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.