कांकेर: भाजपा सरकार ने 2023-24 में धान का समर्थन मूल्य 3100 रुपए कर दिया है. यह पिछले साल की तुलना में आठ फीसद अधिक है. हालांकि किसानों के लिए खेती करना महंगा हो गया है. कृषि उपकरण, रसायन, खाद, बीज और मजदूरी की बढ़ रही दरों का औसत निकालें तो खेती लगभग 15 फीसद महंगी हो गई है. बेहतर मानसून की उम्मीद से किसानों को राहत है. मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो औसत से बेहतर बारिश इस बार होगी. मानसून से पहले जिले की समितियों में खाद बीज का भंडारण हो गया है. वहीं, किसान भी खेती की तैयारी में जुटे हुए हैं.
जानिए क्या कहते हैं किसान: किसानों का कहना है, "प्रतिक्विंटल 3100 रुपए किसानों को पिछले बार मिला. इससे मुनाफा का प्रतिशत बढ़ा है, लेकिन खाद, बीज सहित खेती के अन्य संसाधनों में 20 से 30 फीसद बढ़ोतरी हुई है. इससे मुनाफा का प्रतिशत भी घटा है. पहले प्रति क्विंटल 2183 मिलता था. किसानों को समर्थन मूल्य के बाद बोनस का लिए इंतजार करना पड़ता था. पिछले बार किसानों से एक क्विंटल अधिक खरीदी किया गया. समय से साथ खेती करने की तरीका भी बदला है."
हर चीज का बढ़ा है रेट: दरअसल, मौजूदा समय में जिले के अधिकांश किसान मशीन का उपयोग कर जोताई, बुआई, कटाई और मिसाई कर रहे हैं. इससे ग्रामीण मजदूर अब दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं. यह पलायन का बड़ा कारण है. इसके कारण किसानों को श्रमिक भी नहीं मिलते हैं. पिछले साल पुरुष 250 तो महिला 160-170 मजदूरी लेती थीं. इस साल पुरुष की 20 प्रतिशत तो महिलाओं की 25 प्रतिशत मजदूरी बढ़ गई है. ट्रैक्टर से जोताई का रेट 20% बढ़ा है.
एमएसपी बढ़ाने की जताई संभावना: किसान के अनुसार पिछले साल की तुलना में 20 प्रतिशत भाड़ा बढ़ा है. पहले एक घंटे के लिए एक हजार रुपए लगता था.अब एक घंटे का 1200 से 1300 लिया जा रहा है. जुताई के लिए बैल का इस्तेमाल और मजदूरी महंगी है, इसलिए ज्यादा किसान या तो ट्रैक्टर रखते हैं या फिर किराए से ट्रैक्टर लेकर जुताई कराते हैं. इस पूरे मामले में जिला कृषि अधिकारी ने एमएसपी बढ़ाने की संभावना जताई है. बता दें कि समर्थन मूल्य में धान की खरीदी से किसानों के चेहरे पर खुशी नजर आ रही है, लेकिन बढ़ते खाद बीज के दाम से किसान चिंता में हैं.