भरतपुर: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2025 पेश किया, लेकिन राजस्थान के किसानों को इसमें निराशा हाथ लगी. प्रदेश के कृषि क्षेत्र को लेकर किसी विशेष राहत की घोषणा नहीं की गई, जिससे किसानों में असंतोष है. खासकर सरसों, जीरा और लहसुन जैसी प्रमुख फसलों को लेकर किसी प्रकार की सहायता का जिक्र तक नहीं हुआ. किसानों का मानना है कि सरकार ने उनकी उपेक्षा की है.
राजस्थान के किसान इस बजट से उम्मीद लगाए बैठे थे कि उनकी पारंपरिक फसलों सरसों, जीरा, लहसुन और तिलहन को लेकर कुछ ठोस घोषणाएं होंगी, लेकिन सरकार ने दलहन फसलों पर जोर दिया, जो राज्य के लिए ज्यादा प्रासंगिक नहीं हैं. पूर्वी राजस्थान के भरतपुर, करौली, सवाई माधोपुर, धौलपुर और अलवर जैसे जिले सरसों उत्पादन में अग्रणी हैं, लेकिन इस फसल को लेकर किसी प्रकार की राहत नहीं दी गई. कांग्रेस के शहर प्रवक्ता डिगंबर खटाना ने कहा कि बजट में केंद्र सरकार ने राजस्थान के किसानों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है.
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सरसों किसानों की आजिविका का आधार: किसान मनोज कुंतल ने कहा कि सरसों राजस्थान के लाखों किसानों की आजीविका का आधार है. इसे लेकर किसी प्रकार की राहत न दिए जाने से बहुत निराशा हुई है, यदि सरकार तिलहन और मसाले की फसलों को भी प्राथमिकता देती, तो इससे राजस्थान के किसानों को सीधा फायदा होता. इस बजट के बाद सवाल यह उठ रहा है कि सरकार का कृषि क्षेत्र को लेकर रुख क्या है? क्या यह सिर्फ कुछ चुनिंदा फसलों तक सीमित रहेगा, या फिर राज्यों की जरूरतों को भी ध्यान में रखा जाएगा? राजस्थान के किसान इस बजट से निराश हैं, क्योंकि उनकी मुख्य फसलें इसमें पूरी तरह से गायब हैं. अब किसानों को उम्मीद है कि केंद्र सरकार बजट के बाद किसी राहत पैकेज की घोषणा करेगी, जिससे राज्य के कृषि क्षेत्र को भी संजीवनी मिल सके.