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केंद्रीय बजट से किसानों को उम्मीद: खाद-बीज और पशुओं की फीड पर मिले अनुदान, न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए

Farmer Expectations Budget 2024: हरियाणा के किसान केंद्रीय बजट से काफी उम्मीद लगाए हुए हैं. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरा करनाल के किसानों ने उम्मीद जताई कि पीएम किसान निधि योजना के तहत किसानों को दी जाने वाली राशि को बढ़ाया जाएगा, इसके अलावा किसानों ने खाद-बीज और पशुओं की फीड पर मिले अनुदान, न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाने की मांग की.

Farmer Expectations Budget 2024
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jan 31, 2024, 2:14 PM IST

केंद्रीय बजट से किसानों को उम्मीद: खाद-बीज और पशुओं की फीड पर मिले अनुदान, न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए

करनाल: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करेंगी. चुनावी साल होने की वजह से हर वर्ग उम्मीद लगाए बैठा है कि इस बार बजट में उनके लिए कुछ ना कुछ जरूर होगा. इस बजट से हरियाणा के किसानों को क्या उम्मीद है. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने करनाल के किसानों के चर्चा की. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान किसानों ने पीएम किसान निधि योजना की राशि बढ़ने की उम्मीद जताई.

पीएम किसान निधि योजना की राशि बढ़ाए जाने की उम्मीद: किसानों की सबसे पहली मांग ये है कि पीएम किसान निधि योजना के तहत किसानों को प्रतिवर्ष ₹6000 दिए जाते है. इस राशि को बढ़ाकर प्रतिवर्ष करीब ₹10000 करना चाहिए, ताकि किसानों की आर्थिक तौर पर मजबूती मिले और इसका फायदा उठाकर अपनी खेती को और बेहतर बना सके. उन्होंने कहा कि पीएम किसान निधि योजना के तहत किसानों को ₹2000 तीन किस्तों में दिए जाते हैं, लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि अबकी बार इस योजना के तहत किसानों के लिए प्रतिवर्ष ₹6000 से बढ़ाकर ₹9000 किया जा सकते हैं.

खाद और बीज पर अनुदान: किसानों ने बताया कि उनकी मुख्य समस्या है कि वो जो भी खेती कर रहे हैं. उसमें उनकी लागत बहुत ही ज्यादा आती है. इसलिए किसान चाहते हैं कि किसी भी प्रकार की फसल के लिए जो बीज वो खरीदते हैं. सरकार उस बीज पर विशेष अनुदान दे. इसके अलावा खाद और किसी भी प्रकार की दवाई पर छूट दे. किसानों का कहना है कि डीएपी खाद का एक बैग करीब 1400 रुपये का दिया जाता है. सरकार को उस पर भी अनुदान देना चाहिए, क्योंकि डीपी खाद कई प्रकार की फसलों व सब्जियों में प्रयोग किया जाता है. वो काफी महत्वपूर्ण होता है, इसलिए अगर उस पर अनुदान मिलता है, तो किसानों के खर्च कम हो जाते हैं.

'न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़े' किसानों का कहना है कि फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का कुछ विशेष तौर पर सरकार के द्वारा लागू करना चाहिए. जिसे किसानों को फायदा हो सके, किसान अपनी फसल को बहुत अच्छी प्रकार से तैयार करके मंडी में लेकर जाता है, लेकिन उसको वहां पर उचित मूल्य नहीं मिल पाता, जिसके चलते किसान निराश हो जाता है और उसको काफी नुकसान होता है, इसलिए किसानों की हालत को सुधारने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को भी लागू किया जाना चाहिए.

पशुओं की फीड के भाव में हो कटौती: हरियाणा सहित पूरे भारत का जो भी किसान खेती करता है. वो अपनी खेती के साथ पशुपालन भी करता है, लेकिन पिछले कुछ सालों में हरियाणा और पूरे भारत में पशुपालन पहले से कम होता जा रहा है, जिसका मुख्य कारण ये है कि किसान अपने पशु के लिए जो भी फीड और दाना लेकर आते हैं. वो काफी महंगा हो गया है. इसलिए वो सरकार से अनुरोध करते हैं कि इस बजट में पशुपालकों के लिए भी विशेष तौर पर फीड और दाने के भाव में कटौती की जाए. जिसके चलते पशुपालकों को थोड़ा मुनाफा हो सके और पशुपालन को बढ़ावा दिया जा सके.

दूध के रेट हो निर्धारित: किसानों ने भारत सरकार से अपील करते हुए कहा कि इस बजट में पशुपालकों के लिए दूध में एक अच्छा रेट निर्धारित किया जाए, जिसे उसको अच्छा मुनाफा हो सके या फिर ऐसा करना चाहिए कि गांव स्तर में सरकार के द्वारा दूध की डेयरी स्थापित की जाए. जिसे अच्छे रेट पर उनका दूध खरीद जाए और इससे पशुपालन में बढ़ावा हो.

ये भी पढ़ें- बजट 2024: सिरसा के लोगों को महंगाई से राहत और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की उम्मीद

ये भी पढ़ें- उद्योगपतियों-दुकानदारों को बजट से है उम्मीदें, बोले- पहले बजट से इंडस्ट्रीज ने किया ग्रो, इस बार भी बेहतर बजट की उम्मीद

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करनाल: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करेंगी. चुनावी साल होने की वजह से हर वर्ग उम्मीद लगाए बैठा है कि इस बार बजट में उनके लिए कुछ ना कुछ जरूर होगा. इस बजट से हरियाणा के किसानों को क्या उम्मीद है. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने करनाल के किसानों के चर्चा की. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान किसानों ने पीएम किसान निधि योजना की राशि बढ़ने की उम्मीद जताई.

पीएम किसान निधि योजना की राशि बढ़ाए जाने की उम्मीद: किसानों की सबसे पहली मांग ये है कि पीएम किसान निधि योजना के तहत किसानों को प्रतिवर्ष ₹6000 दिए जाते है. इस राशि को बढ़ाकर प्रतिवर्ष करीब ₹10000 करना चाहिए, ताकि किसानों की आर्थिक तौर पर मजबूती मिले और इसका फायदा उठाकर अपनी खेती को और बेहतर बना सके. उन्होंने कहा कि पीएम किसान निधि योजना के तहत किसानों को ₹2000 तीन किस्तों में दिए जाते हैं, लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि अबकी बार इस योजना के तहत किसानों के लिए प्रतिवर्ष ₹6000 से बढ़ाकर ₹9000 किया जा सकते हैं.

खाद और बीज पर अनुदान: किसानों ने बताया कि उनकी मुख्य समस्या है कि वो जो भी खेती कर रहे हैं. उसमें उनकी लागत बहुत ही ज्यादा आती है. इसलिए किसान चाहते हैं कि किसी भी प्रकार की फसल के लिए जो बीज वो खरीदते हैं. सरकार उस बीज पर विशेष अनुदान दे. इसके अलावा खाद और किसी भी प्रकार की दवाई पर छूट दे. किसानों का कहना है कि डीएपी खाद का एक बैग करीब 1400 रुपये का दिया जाता है. सरकार को उस पर भी अनुदान देना चाहिए, क्योंकि डीपी खाद कई प्रकार की फसलों व सब्जियों में प्रयोग किया जाता है. वो काफी महत्वपूर्ण होता है, इसलिए अगर उस पर अनुदान मिलता है, तो किसानों के खर्च कम हो जाते हैं.

'न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़े' किसानों का कहना है कि फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का कुछ विशेष तौर पर सरकार के द्वारा लागू करना चाहिए. जिसे किसानों को फायदा हो सके, किसान अपनी फसल को बहुत अच्छी प्रकार से तैयार करके मंडी में लेकर जाता है, लेकिन उसको वहां पर उचित मूल्य नहीं मिल पाता, जिसके चलते किसान निराश हो जाता है और उसको काफी नुकसान होता है, इसलिए किसानों की हालत को सुधारने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को भी लागू किया जाना चाहिए.

पशुओं की फीड के भाव में हो कटौती: हरियाणा सहित पूरे भारत का जो भी किसान खेती करता है. वो अपनी खेती के साथ पशुपालन भी करता है, लेकिन पिछले कुछ सालों में हरियाणा और पूरे भारत में पशुपालन पहले से कम होता जा रहा है, जिसका मुख्य कारण ये है कि किसान अपने पशु के लिए जो भी फीड और दाना लेकर आते हैं. वो काफी महंगा हो गया है. इसलिए वो सरकार से अनुरोध करते हैं कि इस बजट में पशुपालकों के लिए भी विशेष तौर पर फीड और दाने के भाव में कटौती की जाए. जिसके चलते पशुपालकों को थोड़ा मुनाफा हो सके और पशुपालन को बढ़ावा दिया जा सके.

दूध के रेट हो निर्धारित: किसानों ने भारत सरकार से अपील करते हुए कहा कि इस बजट में पशुपालकों के लिए दूध में एक अच्छा रेट निर्धारित किया जाए, जिसे उसको अच्छा मुनाफा हो सके या फिर ऐसा करना चाहिए कि गांव स्तर में सरकार के द्वारा दूध की डेयरी स्थापित की जाए. जिसे अच्छे रेट पर उनका दूध खरीद जाए और इससे पशुपालन में बढ़ावा हो.

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