कैमूर: बिहार के कैमूर में पैक्स चुनाव होने वाला है, जिसकी वजह से पैक्स में सदस्यता के लिए नाम जोड़ने को लेकर किसान परेशान हैं. पैक्स अध्यक्ष नाम काटवाने के लिए परेशान हैं. आज भभुआ सहकारिता विभाग कार्यालय में किसानों ने जमकर हंगामा किया. जिसके बाद भभुआ एसडीपीओ और एसडीएम ने मौके पर पहुंचकर किसानों को शांत कराया और एक पैक्स अध्यक्ष को हिरासत में लिया गया.
'शराब, मुर्गा और पैसे दो, जुड़ जाएगा नाम': किसानों ने जिला सहकारिता पदाधिकारी और प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी पर पैसे लेकर नाम जोड़ने और हटाने का आरोप लगाया है. वहीं जिला सहकारिता पदाधिकारी ने आरोप को खारिज किया है. भभुआ प्रखंड के सिकठी पंचायत के किसान ब्रजेश कुमार ने बताया कि पैक्स में सदस्यता के लिए नाम जोड़ने को लेकर छह माह से परेशान हैं. सभी प्रक्रिया करने के बाद भी जिला सहकारिता पदाधिकारी और प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी पैसे लेकर नाम जोड़ रहे हैं.
"काफी समय से पैक्स में नाम जोड़ने को लेकर परेशान हूं. पैक्सों से पैसे लेकर नाम नहीं जोड़ने दिया जा रहा है, जो लोग पैसे, शराब और मुर्गा दे रहे हैं, उसका नाम जोड़ा जा रहा है और दूसरों का नाम हटाया जा रहा है."- ब्रजेश कुमार, किसान
क्यों परेशान है किसान?: किसान राजू पटेल ने बताया कि जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम है उसका भी नाम जोड़ा जा रहा है. कहा कि कई आवेदकों का नाम जोड़ने के लिए आवेदन दिया पर आज तक नहीं जोड़ा गया. कहा कि शुक्रवार को नाम जोड़ने का अंतिम दिन है. लगता है पैक्स में सदस्यता के लिए नाम नहीं जुड़ेगा. पैक्स चुनाव होने वाला है जिसको लेकर जो प्रत्याशी चुनाव लड़ने वाले हैं वह चाहते है कि उनके सदस्यों की संख्या बढ़ जाए. इससे चुनाव में जीत सुनिश्चित हो पाएगा.
"वर्तमान पैक्स अध्यक्ष नहीं चाहते कि नए पैक्स में सदस्य बने, जिससे विपक्षी की जीत हो. जिसको लेकर लाखों में पैसे खर्च कर नाम जोड़ने की प्रक्रिया जारी है. सभी जानते है कि एक बार पैक्स अध्यक्ष बन गए तो करोड़पति बनने से कोई नहीं रोक सकता है."-राजू पटेल, किसान
क्या बोले जिला सहकारिता पदाधिकारी: बता दें कि इस पूरे मामले पर जिला सहकारिता पदाधिकारी शशिकांत शशि ने बताया कि किसानों का आरोप बेबुनियाद है. कोई गड़बड़ी नहीं हो रही है. पैक्स में सदस्यता में नाम जोड़ने की प्रक्रिया सालों भर चलती आ रही है. जो भी नाम जोड़े जा रहे हैं, वह प्रक्रिया होने के बाद जोड़ा जाएंगे. जिसमें कुछ कमी होती है उसी का नाम नहीं जोड़ा जा रहा है.
"किसानों का आरोप सही नहीं है. फिलहाल ऐसी कोई गड़बड़ी नहीं हो रही है. पैक्स की सदस्यता में नाम जोड़ने की प्रक्रिया कई सालों से चली आ रही है." - शशिकांत शशि, जिला सहकारिता पदाधिकारी, कैमूर