ETV Bharat / state

मसौढ़ी में अगलगी से अंजान किसान खेतों मे जला रहे हैं पराली, मिट्टी और पर्यावरण को भी नुकसान - Stubble Burning In Masaurhi

Stubble Burning Season: पटना के ग्रामीण इलाकों में इस भीषण गर्मी से खेतों खलिहानों में आग लग रही है. वहीं इन सभी अगलगी की घटना से अंजान किसान खेतों में पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं. आगे पढ़ें पूरी खबर.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 30, 2024, 1:00 PM IST

मसौढ़ी: बिहार में इन दिनों गेहूं की फसल की कटाई चल रही है, ऐसे में पटना से सटे मसौढ़ी में गेहूं की कटाई के बाद किसान बचे हुए अवशेष यानी पराली को खेतों में जला दे रहे हैं. अब तक किसन ये समझ नहीं पा रहे हैं कि खेतों में पराली जलाने से न केवल मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म होती है बल्कि पर्यावरण भी प्रदूषित होता है. एक ओर जहां पर्यावरण बचाने को लेकर कई तरह के कार्यक्रम चलाकर लोगों के बीच जागरूकता फैलाई जा रही है, वहीं पराली जलाने से काफी प्रदूषण फैल रहा है.

मसौढ़ी में पराली जलाने का मामला

गर्मी के मौसम में बढ़ी अगलगी की घटना: इन दिनों खेतों में लगातार अगलगी की घटना देखने को मिल रही है. प्रत्येक दिन कहीं ना कहीं खेत खलिहानों में आग लगने की सूचना मिलती है. ऐसे में इन सब से अंजान बने किसान अपने खेतों में पराली जला रहे हैं. इस दौरान अगर एक चिंगारी आस-पास के खेत में चली जाए तो सभी खेत जलकर खाक हो जाएंगे.

पराली को करें डीकंपोज: वहीं मसौढ़ी प्रखंड में इन दिनों गेहूं की फसल की की कटाई चल रही है और शेष बचे पराली को लोग जला दे रहे हैं. किसान कृषि वैज्ञानिक मृणाल ने बताया कि किसान पराली खेतों में ना जलाएं बल्कि उन्हें डीकंपोज करें. इसके लिए कई तरह के केमिकल बाजार में आते हैं. जिसके बाद उन्हें गोबर गैस करके उर्वरक भी बना सकते हैं.

"खेतों में पराली ना जलाएं, पराली जलाने से न केवल मिट्टी को नुकसान होता है बल्कि पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है. हम लगातार किसानों के बीच जागरूकता भी फैला रहे हैं कि वह खेतों में ही उसे डीकंपोज करें गोबर और मिट्टी से दबाकर उससे उर्वरक बना सकते हैं. मृणाल सिंह कृषि वैज्ञानिक सभी पंचायत के किसान सलाहकारों को यह निर्देशित किया गया है कि अपने-अपने पंचायत में किसानों को पराली ना जलाने की गुजारिश करें,अगर पकड़े जाते हैं तो उन पर कार्रवाई की जाएगी."-मो. हसजाम, प्रखंड कृषि पदाधिकारी

पढ़ें-मसौढ़ी में 50 कट्ठे में लगी गेहूं की फसल जलकर खाक, आग लगने से तीन किसानों की फसलें तबाह - Fire In Masaurhi

मसौढ़ी: बिहार में इन दिनों गेहूं की फसल की कटाई चल रही है, ऐसे में पटना से सटे मसौढ़ी में गेहूं की कटाई के बाद किसान बचे हुए अवशेष यानी पराली को खेतों में जला दे रहे हैं. अब तक किसन ये समझ नहीं पा रहे हैं कि खेतों में पराली जलाने से न केवल मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म होती है बल्कि पर्यावरण भी प्रदूषित होता है. एक ओर जहां पर्यावरण बचाने को लेकर कई तरह के कार्यक्रम चलाकर लोगों के बीच जागरूकता फैलाई जा रही है, वहीं पराली जलाने से काफी प्रदूषण फैल रहा है.

मसौढ़ी में पराली जलाने का मामला

गर्मी के मौसम में बढ़ी अगलगी की घटना: इन दिनों खेतों में लगातार अगलगी की घटना देखने को मिल रही है. प्रत्येक दिन कहीं ना कहीं खेत खलिहानों में आग लगने की सूचना मिलती है. ऐसे में इन सब से अंजान बने किसान अपने खेतों में पराली जला रहे हैं. इस दौरान अगर एक चिंगारी आस-पास के खेत में चली जाए तो सभी खेत जलकर खाक हो जाएंगे.

पराली को करें डीकंपोज: वहीं मसौढ़ी प्रखंड में इन दिनों गेहूं की फसल की की कटाई चल रही है और शेष बचे पराली को लोग जला दे रहे हैं. किसान कृषि वैज्ञानिक मृणाल ने बताया कि किसान पराली खेतों में ना जलाएं बल्कि उन्हें डीकंपोज करें. इसके लिए कई तरह के केमिकल बाजार में आते हैं. जिसके बाद उन्हें गोबर गैस करके उर्वरक भी बना सकते हैं.

"खेतों में पराली ना जलाएं, पराली जलाने से न केवल मिट्टी को नुकसान होता है बल्कि पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है. हम लगातार किसानों के बीच जागरूकता भी फैला रहे हैं कि वह खेतों में ही उसे डीकंपोज करें गोबर और मिट्टी से दबाकर उससे उर्वरक बना सकते हैं. मृणाल सिंह कृषि वैज्ञानिक सभी पंचायत के किसान सलाहकारों को यह निर्देशित किया गया है कि अपने-अपने पंचायत में किसानों को पराली ना जलाने की गुजारिश करें,अगर पकड़े जाते हैं तो उन पर कार्रवाई की जाएगी."-मो. हसजाम, प्रखंड कृषि पदाधिकारी

पढ़ें-मसौढ़ी में 50 कट्ठे में लगी गेहूं की फसल जलकर खाक, आग लगने से तीन किसानों की फसलें तबाह - Fire In Masaurhi

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.