उत्तरकाशी: पहाड़ के युवा अब पलायन कर शहरों की ओर नहीं भाग रहे हैं. बल्कि अपने पहाड़ की मिट्टी में ही स्वरोजगार के नए आयाम ढूंढ रहे हैं. कुछ ऐसा ही हिमरौल गांव के जगमोहन राणा ने कर दिखाया है. जिन्होंने अपनी मेहनत से सेब बागवानी में जनपद में नाम कमाया है. वो हर वर्ष लाखों के सेब का उत्पादन कर स्वरोजगार की एक नई मिसाल पेश कर रहे हैं. वहीं उन्हें देखकर क्षेत्र के अन्य युवा भी सेब बागवानी से जुड़ रहे हैं.
जगमोहन राणा ने गांव के समीप अपनी पुस्तैनी भूमि पर सेब के दो बगीचे तैयार किए हैं. एक में उन्होंने रूट स्टॉक की किंगरोड़, जेरोमाईन, स्कारलेट, रेडलम गाला, डार्क बेलन गाला, ग्रेन स्मिथ और दूसरे में स्पर रेडचीफ, ऑर्गन स्पर, रेड गोल्डन, प्रजाति के सेब सहित आड़ू, खुमानी, नाशपाती, पुलम, अखरोट, चुल्लू का मिश्रित बाग तैयार किया है. जिससे वह वर्ष भर में आठ से दस लाख की कमाई कर लेते हैं. हर्बल प्लांट में तुलसी, लेमनग्रास, स्टीविया, रोजमेरी गुलाब की खेती कर रहे हैं.
ऑर्गेनिक तुलसी लेमन हर्बल चाय और अपनी यूनिट पर बाजार में न बिकने वाले सी ग्रेड के फलों को प्रोसेस कर जैम, चटनी, जूस और अचार बनाकर बाजार में बेच रहे हैं. उन्होंने अपनी फल प्रसंस्करण इकाई में स्थानीय महिलाओं को भी सीजनली रोजगार दिया. सीजन में क्षेत्र की सैकड़ों महिलाएं जंगल से बुरांश के फूल लाकर उन्हें बेचने के बाद अच्छा खासा पैसा कमा लेती हैं.
विभिन्न मंचों पर हुए सम्मानित: विभिन्न मंचों पर उन्हें कृषि भूषण सम्मान, भगीरथ सम्मान, किसान कर्मण पुरस्कार, स्वर्ण कर्मयोगी सम्मान, किसान श्री पुरस्कार, बेस्ट सेब उत्पादक पुरस्कार, राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार, उत्तराखंड आइकॉन अवार्ड, सतत विकास लक्ष्य अचीवर अवार्ड से सम्मानित किया गया है. जगमोहन राणा का कहना है कि हमारी सोच स्वरोजगार लेने वाला नहीं बल्कि देने वाली होनी चाहिए. इसी सोच के साथ उन्होंने सरकारी नौकरी की सोच का त्याग कर कृषि एवं बागवानी के क्षेत्र में आगे बढ़ने की ठानी है.
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