हल्द्वानी: रानीबाग के चित्रशिला घाट में विद्युत शवदाह गृह का लोकार्पण मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कर चुके हैं. लोकार्पण के कई महीने बाद तक विद्युत शवदाह गृह का ट्रायल नहीं हो पाया. लेकिन समाजसेवियों के आगे आने से विद्युत शवदाह गृह का ट्रायल हो गया है. लेकिन रसीद ना मिलने से शवदाह के लिए आने वाले परिजन परेशान हैं.
काफी दिनों के मशक्कत के बाद समाजसेवियों की मदद से अज्ञात लाश मिलने के बाद विद्युत शवदाह गृह का संचालन हो गया है. लेकिन अब संचालन के बाद वहां पर अंतिम संस्कार के लिए पहुंचने वाले परिजनों को अंतिम संस्कार करने की रसीद नहीं मिल पा रही है. जिसके चलते लोग परेशान हैं. सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत गोनिया का कहना है कि सामाजिक संगठनों के प्रयास के बाद काफी दिनों के बाद विद्युत शवदाह गृह का संचालन शुरू हो गया है. लेकिन अंतिम संस्कार के लिए पहुंचने वाले परिजनों को नगर निगम द्वारा कोई रसीद नहीं उपलब्ध कराई जा रही है. जिसके चलते लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है.
हेमंत गोनिया के मुताबिक अभी तक रानीबाग स्थित विद्युत शवदाह गृह में 90 से अधिक लोगों का अंतिम संस्कार किया गया है. लेकिन उनको रसीद उपलब्ध नहीं हो पाई है. यही नहीं अज्ञात शव भी अंतिम संस्कार के लिए यहां आते हैं. लेकिन उन शवों का भी किसी तरह की रसीद उपलब्ध नहीं कराई जा रही है. जिससे पुलिस अपने पास किसी भी तरह का रिकॉर्ड नहीं रख पा रही है.
आरोप है कि करीब 3 करोड़ के लागत से विद्युत शवदाह गृह हल्द्वानी नगर निगम के अधीन में कार्यरत है. लेकिन निगम की लापरवाही के चलते लोग अपने परिजनों का अंतिम संस्कार विद्युत शवदाह गृह के बजाय लकड़ी से करवा रहे हैं. गौरतलब है कि रानी बाग स्थित चित्रशिला घाट पर अंतिम संस्कार के लिए वन विभाग द्वारा लकड़ी उपलब्ध कराई जाती है. जहां वन विभाग मृतकों के परिजनों को लकड़ी की रसीद भी देता है. रसीद के माध्यम से लोग अपने परिजनों की अंतिम संस्कार के बाद उनका मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लेते हैं.
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