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सांसद रावत की आपत्ति पर कक्षा 9 की पुस्तक से हटेंगे संत गोविंद गिरी महाराज से जुड़े गलत तथ्य - Facts About Govind Giri Maharaj

भाजपा सांसद डॉ मन्नालाल रावत की आपत्ति पर कक्षा 9 की पाठ्य पुस्तक से संत गोविंद गिरी महाराज से जुड़ा गलत तथ्य हटाया जाएगा. इस संबंध में सीएम कार्यालय ने प्रारंभिक शिक्षा विभाग को पाठ्यक्रम में आवश्यक संशोधन के निर्देश दिए हैं.

Facts About Govind Giri Maharaj
सांसद रावत की आपत्ति (ETV Bharat Udaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 28, 2024, 11:06 PM IST

उदयपुर: भाजपा सांसद डॉ मन्नालाल रावत ने राजस्थान राज्य पाठयपुस्तक मंडल की कक्षा 9 के लिए प्रकाशित पुस्तक में मानगढ़ धाम के संत गोविंद गिरी महाराज के अलग भील राज्य बनाने के लिए प्रेरित होने संबंधी तथ्य पर आपत्ति जताई है. रावत ने इस संबंध में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखा है. मुख्यमंत्री कार्यालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए प्रारंभिक शिक्षा विभाग को पाठ्यक्रम में आवश्यक संशोधन के निर्देश दिए हैं.

भाजपा सांसद डॉ मन्नालाल रावत की आपत्ति के बाद किताब से हटेंगे गलत तथ्य (ETV Bharat Udaipur)

पत्र में सांसद रावत ने बताया कि कक्षा 9 की पुस्तक 'राजस्थान का स्वतंत्रता आंदोलन एवं शौर्य परंपरा' के अध्याय 4 में पृष्ठ संख्या 42 पर लिखा है कि 'सामंती एवं औपनिवेशिक सत्ता द्वारा उत्पीड़क व्यवहार ने गोविंद गिरी एवं उनके शिष्यों को सामंती व औपनिवेशिक दासता से मुक्ति प्राप्त करने हेतु भील राज्य की स्थापना की योजना बनाने की ओर प्रेरित किया.' रावत ने मुख्यमंत्री को अवगत कराते हुए कहा कि पुस्तक में प्रकाशित उक्त कथन पूरी तरह तथ्यों से परे है. मूलतः यह आंदोलन राष्ट्रीय चेतना जागरण का आंदोलन था, जिसे संत गोविंद गिरी ने संप सभा का गठन कर के अहिंसक तरीके से शुरू किया.

पढ़ें: शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने मेंटली रिटायर्ड व्यक्ति से की पूर्ववर्ती सरकार की तुलना, जानिए पूरी घटना

रावत के अनुसार वे अपने अनुयायियों के साथ पूर्णिमा के दिन मानगढ़ धाम पर हवन कर रहे थे. आदिवासी समाज के लोग वहां अपनी आस्था के अनुसार आहुति देने के लिए घी व श्रीफल लेकर पंहुचे थे. उसी दिन 17 नवंबर, 1913 को अंग्रेज सेना ने इस आंदोलन को समाप्त करने के लिए क्रांतिकारियों का जघन्य नरसंहार किया. इसके बाद संत गोविंद गिरी को गिरफ्तार कर आजीवन कारावास व उनके एक साथी पूंजा धीरा भील को काले पानी की सजा सुनाई गई थी.

पढ़ें: प्रदेश के सरकारी स्कूलों में मनाया जाएगा रक्षाबंधन और रामलला प्राण प्रतिष्ठा उत्सव - madan dilawar

फर्जी मुकदमे के लिए लिखी थी झूठी टिप्पणी: सांसद ने कहा कि अंग्रेजों ने संत गोविंद गिरी के विरुद्ध राजद्रोह का फर्जी मुकदमा दर्ज करने के लिए इस घटनाक्रम में अपने रिकॉर्ड में झूठा तथ्य अंकित किया. औपनिवेशिक दृष्टि से भीलराज स्थापना की टिप्पणी जबरन लिखवाई गई. रावत ने पत्र में लिखा कि इस टिप्पणी को उल्लेखित पैरा के रूप में पढ़ाया जाना सकल राष्ट्रीय चेतना के विरुद्ध है. इसे इस रूप में नहीं लेना चाहिए. इस विषय पर विशेषज्ञों के शोधपत्रों एवं तथ्यों को लेते हुए पाठ्य पुस्तक में अंकित इस टिप्पणी को संशोधित किया जाना आवश्यक है.

उदयपुर: भाजपा सांसद डॉ मन्नालाल रावत ने राजस्थान राज्य पाठयपुस्तक मंडल की कक्षा 9 के लिए प्रकाशित पुस्तक में मानगढ़ धाम के संत गोविंद गिरी महाराज के अलग भील राज्य बनाने के लिए प्रेरित होने संबंधी तथ्य पर आपत्ति जताई है. रावत ने इस संबंध में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखा है. मुख्यमंत्री कार्यालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए प्रारंभिक शिक्षा विभाग को पाठ्यक्रम में आवश्यक संशोधन के निर्देश दिए हैं.

भाजपा सांसद डॉ मन्नालाल रावत की आपत्ति के बाद किताब से हटेंगे गलत तथ्य (ETV Bharat Udaipur)

पत्र में सांसद रावत ने बताया कि कक्षा 9 की पुस्तक 'राजस्थान का स्वतंत्रता आंदोलन एवं शौर्य परंपरा' के अध्याय 4 में पृष्ठ संख्या 42 पर लिखा है कि 'सामंती एवं औपनिवेशिक सत्ता द्वारा उत्पीड़क व्यवहार ने गोविंद गिरी एवं उनके शिष्यों को सामंती व औपनिवेशिक दासता से मुक्ति प्राप्त करने हेतु भील राज्य की स्थापना की योजना बनाने की ओर प्रेरित किया.' रावत ने मुख्यमंत्री को अवगत कराते हुए कहा कि पुस्तक में प्रकाशित उक्त कथन पूरी तरह तथ्यों से परे है. मूलतः यह आंदोलन राष्ट्रीय चेतना जागरण का आंदोलन था, जिसे संत गोविंद गिरी ने संप सभा का गठन कर के अहिंसक तरीके से शुरू किया.

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रावत के अनुसार वे अपने अनुयायियों के साथ पूर्णिमा के दिन मानगढ़ धाम पर हवन कर रहे थे. आदिवासी समाज के लोग वहां अपनी आस्था के अनुसार आहुति देने के लिए घी व श्रीफल लेकर पंहुचे थे. उसी दिन 17 नवंबर, 1913 को अंग्रेज सेना ने इस आंदोलन को समाप्त करने के लिए क्रांतिकारियों का जघन्य नरसंहार किया. इसके बाद संत गोविंद गिरी को गिरफ्तार कर आजीवन कारावास व उनके एक साथी पूंजा धीरा भील को काले पानी की सजा सुनाई गई थी.

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फर्जी मुकदमे के लिए लिखी थी झूठी टिप्पणी: सांसद ने कहा कि अंग्रेजों ने संत गोविंद गिरी के विरुद्ध राजद्रोह का फर्जी मुकदमा दर्ज करने के लिए इस घटनाक्रम में अपने रिकॉर्ड में झूठा तथ्य अंकित किया. औपनिवेशिक दृष्टि से भीलराज स्थापना की टिप्पणी जबरन लिखवाई गई. रावत ने पत्र में लिखा कि इस टिप्पणी को उल्लेखित पैरा के रूप में पढ़ाया जाना सकल राष्ट्रीय चेतना के विरुद्ध है. इसे इस रूप में नहीं लेना चाहिए. इस विषय पर विशेषज्ञों के शोधपत्रों एवं तथ्यों को लेते हुए पाठ्य पुस्तक में अंकित इस टिप्पणी को संशोधित किया जाना आवश्यक है.

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