भोपाल: मध्य प्रदेश कांग्रेस में अंदरूनी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद जीतू पटवारी की टीम लंबे समय बाद भी तैयार नहीं हो पाई है. नई कार्यकारिणी को लेकर दावा किया गया था कि यह अगस्त माह तक नई कार्यकारिणी का गठन कर लिया जाएगा, लेकिन भोपाल से लेकर दिल्ली तक में इसको लेकर मंथन होने के बाद भी अब तक कार्यकारिणी गठित नहीं हो पाई है. उधर गुरुवार को भोपाल पहुंचे कांग्रेस प्रदेश प्रभारी जितेन्द्र सिंह ने कहा कि 'कार्यकारिणी में जमीन पर काम करने वालों को ही जगह मिलेगी. ऐसे कार्यकर्ताओं के नामों पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने पुरानी कार्यकारिणी पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहले कार्यकारिणी में 1 हजार पदाधिकारी थे, जो पद लेकर घर बैठे रहते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.'
पार्टी में नहीं थम रही गुटबाजी
उधर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कमान जीतू पटवारी को सौंपे जाने के बाद से अंदरूनी गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही. बताया जा रहा है कि पार्टी के सीनियर नेताओं के साथ प्रदेश अध्यक्ष की पटरी नहीं बैठ पा रही है. गुरुवार को भोपाल में कांग्रेस के धरना प्रदर्शन से भी तमाम बड़े नेताओं के चेहरे गायब दिखाई दिए. पोस्टर पर न पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का फोटो था और न ही कमलनाथ का. बीजेपी ने इसको लेकर कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी पर सवाल उठाए. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता नरेन्द्र सलूजा ने ट्वीट किया कि कमलनाथ से लेकर दिग्विजय, अरुण यादव, अजय सिंह, विवेक तन्खा सहित कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेताओं के फोटो मंच पर लगे होर्डिंग से गायब. यह जीतू पटवारी की कांग्रेस है.'
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छिंदवाड़ा कांग्रेस की कार्यकारिणी भंग
उधर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी की बिना सहमति के छिंदवाड़ा कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया. इसका प्रेस नोट एक दिन पहले जारी किया गया. इसमें लिखा गया कि कमलनाथ और नकुलनाथ के चर्चा के बाद कार्यकारिणी को भंग किया गया. इसमें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के नाम का कहीं जिक्र नहीं था. इसमें लिखा गया कि आगामी दिनों में जल्द ही नई कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा. उधर राजनीतिक विश्लेषक केडी शर्मा कहते हैं कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव बुरी तरह से हारने के बाद भी कांग्रेस एकजुट नहीं हो पाई. यह कांग्रेस का पुराना मर्ज है. पार्टी अभी भी तीन खेमों में बंटी हुई दिखाई देती है.'