लखनऊ : केजीएमयू में मरीजों के लिए सुविधाएं बढ़ गईं हैं. सरकारी योजना में पंजीकृत मरीजों को जल्द दवा मुहैया कराने के लिए अलग से काउंटर खोला जाएगा. इसके लिए मरीज को डॉक्टर का पर्चा दिखाना होगा. जरूरी कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद उसी दिन मरीजों को दवाएं मिल जाएंगी. इससे गंभीर मरीजों को दवा के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. वहीं अब पित्त की नली में पनपी एक सेंटीमीटर से बड़ी पथरी को निकालने के लिए ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी. गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग में इसके लिए खास तरह की मशीन लगाई गई है.
केजीएमयू में कुल 4000 बेड हैं. ज्यादातर बेड हमेशा भरे रहते हैं. सात से आठ हजार मरीज प्रतिदिन ओपीडी में देखे जा रहे हैं. संस्थान में गरीब मरीजों के लिए 6 से ज्यादा योजनाओं का संचालन हो रहा है. इसमें असाध्य, आयुष्मान, पंडित दीन दयाल उपाध्याय कैश लेस, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री राहत कोष समेत अन्य योजनाएं चल रही हैं. इसमें पंजीकृत मरीजों को मुफ्त इलाज मुहैया कराया जाता है.
करीब पांच से छह माह पूर्व मरीजों को 20 दिन से लेकर एक माह तक दवाओं के लिए इंतजार करना पड़ रहा था. कुलपति ने मरीजों को राहत देने के लिए व्यवस्था में बदलाव किया. कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने बताया कि अब मरीजों को एक हफ्ते में मुफ्त दवाएं उपलब्ध कराई जा रहीं हैं. इस व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए अलग से काउंटर बनाया जाएगा. जिसमें डॉक्टरों से ज्यादातर मरीजों को लिखी जाने वाली कॉमन दवाओं को सूची ली जाएगी.
डॉक्टरों की सूची के अनुसार, काउंटर में दवा खरीदकर रख ली जाएगी. जिसे कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद पंजीकृत मरीजों को उपलब्ध कराया जाएगा. इससे मरीजों को दवा की उपलब्धता पता कराने के लिए बार-बार अस्पताल की दौड़ लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इलाज भी प्रभावित नहीं होगा, जो दवाएं काउंटर में उपलब्ध नहीं होंगी, उन्हें प्रक्रिया के तहत खरीदकर उपलब्ध कराया जाएगा.
वहीं, पित्त की नली में पथरी पनपने की मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. हर उम्र के लोगों में पथरी पनप रही है. पित्त की नली में पनपी पथरी को निकालने के लिए अभी तक ऑपरेशन करने की जरूरत पड़ती थी. खासतौर पर एक सेंटीमीटर से बड़ी पथरी ऑपरेशन से निकवाले में कम उम्र के युवा संकोच करते थे. वहीं, बुजुर्ग व शारीरिक रूप से कमजोर मरीजों को भी ऑपरेशन कराने के बाद कई तरह की दिक्कतें होने का खतरा रहता था.
कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने बताया कि मरीजों की दुश्वारियां दूर करने के लिए गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग में कोलेंजियोस्कोपी (स्पाईग्लास) एंडोस्कोप मशीन लगाई गई है. इससे पित्त की नली में एक सेंटीमीटर से बड़ी पथरी को भीतर ही तोड़कर बाहर निकाला जा सकेगा. मरीजों को ऑपरेशन के दर्द से बचाने में मदद मिलेगी.
गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुमित रुंगटा ने बताया कि एंडोस्कोप से पित्त की नली की पथरी को तोड़ने आदि की प्रक्रिया में कम से कम एक घंटे का वक्त लगेगा. मरीज को बेहोशी देकर इलाज किया जाएगा. मशीन की शुरूआत शुक्रवार से कर दी गई है. यह मशीन ऑपरेशन का बेहतर विकल्प है. बिना चीरा टांका पथरी निकलवाने में 10 से 12 हजार रुपये का खर्च आएगा.
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