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द‍िल्‍ली पर क्‍यों मंडराया पानी का संकट? जानें यमुना जल समझौता व जल विवाद को विस्तार से - Delhi Water Crisis Explainer

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 29, 2024, 8:11 PM IST

Updated : May 29, 2024, 8:40 PM IST

Water Crisis in Delhi: एक तरफ जहां दिल्ली में बढ़ते तापमान से लोग परेशान हैं, वहीं अब पानी को लेकर भी कोहराम शुरू हो गया है. दिल्ली सरकार और हरियाणा सरकार के आरोप-प्रत्यारोप के बीच लोगों को बुरी तरह झेलना पड़ रहा है. आइए जानते हैं दिल्ली में जल सकंट को विस्तार से. पढ़ें ईटीवी भारत की रिपोर्ट...

DELHI WATER CRISIS
DELHI WATER CRISIS (ETV Bharat)

नई द‍िल्‍ली: गर्मी शुरू होते ही द‍िल्‍ली में पीने के पानी को लेकर त्राह‍ि-त्राह‍ि होने लगती है. राजधानी का अध‍िकतम पारा 52 पार कर रहा है तो ऐसे में पानी की ड‍िमांड और ज्‍यादा हो गई है. ड‍िमांड ज्‍यादा होने के साथ हर‍ियाणा से मिलने वाला पानी भी कम हो गया है. इससे स्‍थ‍ित‍ि गंभीर और ज्‍यादा च‍िंताजनक बन गई है. दरअसल द‍िल्‍ली के पास पानी का अपना कोई ठोस स्रोत नहीं है. इसल‍िए द‍िल्‍ली हमेशा हर‍ियाणा और उत्‍तर प्रदेश पर न‍िर्भर रहा है. दिल्ली को हर‍ियाणा के मुनक नहर और यूपी के गंग नहर/मुरादनगर के जर‍िए पानी म‍िलता रहा है.

अभी फिलहाल दिल्ली को हर‍ियाणा से कच्‍चा पानी यमुना नदी के जर‍िए म‍िलता है. यमुना जल विवाद को लेकर दिल्ली और हरियाणा सरकार कई बार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी है. हर बार फौरी तौर पर समस्‍या का समाधान होता आया है. अब जब राजधानी पर एक बार फ‍िर जलसंकट गहरा रहा है, तो इस पर चर्चा होना और सवाल उठना लाज‍मी है क‍ि आख‍िरी द‍िल्‍ली के पास पानी को लेकर अपने क्‍या स्रोत हैं और पानी के व‍ितरण का प्रबंधन क‍िस तरह का है? द‍िल्‍ली को क‍ितना पानी रोज चाह‍िए? इन सभी को स‍िलस‍िलेवार तरीके से समझना होगा.

पानी से संबंधित महत्वपूर्ण बातें
पानी से संबंधित महत्वपूर्ण बातें (ETV Bharat)

दिल्ली के पास पानी के स्त्रोत: द‍िल्‍ली पानी को लेकर हमेशा अपने पड़ोसी राज्‍यों पर ही न‍िर्भर रहता है. भीषण गर्मी में राजधानी पानी की क‍िल्‍लत से जूझने लगती है. वहीं, द‍िल्‍ली और हर‍ियाणा सरकार के बीच पानी को लेकर स‍ियासत भी गरमा जाती है. द‍िल्‍ली जहां हर‍ियाणा पर कम पानी छोड़ने के आरोप लगाती है, तो हर‍ियाणा उस पर पानी की बर्बादी और पर्याप्‍त पानी छोड़ने जाने की बात कहता रहा है. लेकिन सच्चाई यह है कि द‍िल्ली के पास पानी के अपने कोई ठोस स्रोत उपलब्‍ध नहीं हैं. यमुना नदी में हर‍ियाणा की तरफ से छोड़े जाने वाले पानी पर न‍िर्भर करता है द‍िल्‍ली को क‍ितने पानी की सप्‍लाई हर रोज होगी.

वहीं, द‍िल्‍ली को यूपी की तरफ से अपर गंग नहर के जर‍िए हैदरपुर और ओखला साइड से भी पानी म‍िलता रहा है. हालांक‍ि, मौजूदा सरकार पानी के उत्‍पादन के अपने स्रोतों को मजबूत बनाने का दावा लंबे समय से करती आ रही है. हालांकि, दिल्ली की ओर से भी यमुना के बाढ़ के मैदानों और अन्य क्षेत्रों में विभिन्न रेनी वेल (कुएं) और ट्यूबवेल के जर‍िए भी पानी उत्‍पादन होता है.

ऐसे पता चलता है हरियाणा द्वारा छोड़े जाने वाले पानी का: अक्‍सर द‍िल्‍ली और हर‍ियाणा सरकार के बीच इस बात को लेकर व‍िवाद रहता है क‍ि हर‍ियाणा सरकार की तरफ से द‍िल्‍ली को जो हर रोज पानी म‍िलना चाह‍िए, वो यमुना नदी में नहीं छोड़ा जा रहा है. इस मामले पर गौर करें, तो यमुना के वॉटर लेवल के आधार पर इसका मानक तय क‍िया जाता है. ताजा उदाहरण है क‍ि, एक मई को यमुना जल स्तर 674.5 फीट र‍िकॉर्ड किया गया था, जो औसतन 674.5 फीट लगातार बनाए रखना होता है. लेकिन जानकारी के मुताबिक, इस साल एक मई से यमुना का वॉटर लेवल लगातार गिर रहा है. इसके पीछे की बड़ी वजह यह मानी जा रही है क‍ि मई माह शुरू होने के साथ हरियाणा ने यमुना में पानी छोड़ना बंद कर दिया है.

हर‍ियाणा की तरफ से यमुना में आने वाले पानी पर ही द‍िल्‍ली में पानी की सप्‍लाई तय होती है. प‍िछले साल 2023 के अप्रैल, मई और जून माह में वजीराबाद में 674.5 फीट वॉटर लेवल था. आंकड़ों पर नजर डालें तो एक मई को वजीराबाद में यमुना का जलस्तर 674.5 फीट र‍िकॉर्ड क‍िया था, जो 8 मई तक गिरकर 672 फीट पर आ गया. वहीं 20 मई को यह जलस्तर 671 फीट, 24 मई को 670.2 फीट और 28 मई को 669.8 फीट पर पहुंच गया.

यमुना जल समझौता
यमुना जल समझौता (ETV Bharat)

यमुना में पर्याप्त पानी नहीं छोड़ने का क्‍या असर होता है?

जवाब: अगर हर‍ियाणा की ओर से यमुना में कच्‍चा पानी पर्याप्‍त मात्रा में नहीं छोड़ा जाएगा, तो इसका बड़ा असर द‍िल्‍ली के वॉटर ट्रीटमेंट प्‍लांट्स पर पड़ता है. यमुना का यह पानी वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में आता है. अगर इसकी मात्रा कम होती है तो डब्‍ल्यूटीपी में उपचार‍ित पानी की मात्रा घट जाती है. इसका सीधा असर द‍िल्‍ली में पानी की सप्‍लाई पर पड़ता है, जिसकी वजह से द‍िल्‍ली के अलग-अलग ह‍िस्‍सों में पानी की सप्‍लाई में कटौती करनी पड़ती है. इसकी वजह से ही अब द‍िल्‍ली में पानी का संकट गहराता नजर आ रहा है. पड़ोसी राज्‍य हर‍ियाणा से म‍िलने वाले कच्चे पानी (रॉ वॉटर) की कमी के चलते प‍िछले एक सप्‍ताह से कई इलाकों में पानी की गंभीर समस्‍या बनी हुई है.

द‍िल्‍ली-हर‍ियाणा के बीच क्‍या है यमुना जल व‍िवाद?

जवाब: द‍िल्‍ली और हर‍ियाणा के बीच हमेशा से यमुना जल व‍िवाद रहा है. यमुना नदी के जल के बंटवारे से जुड़ा व‍िवाद आज का नहीं, बल्‍क‍ि सालों पुराना है. यमुना नदी के पानी के बंटवारे का व‍िवाद पांच राज्यों से जुड़ा है. इनमें द‍िल्‍ली के अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश जुड़े हैं. बात अगर सबसे पहले यमुना जल समझौते की करें, तो यह 1954 में स‍िर्फ दो राज्यों हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच हुआ था. इसके तहत यमुना के जल में हरियाणा का हिस्सा 77 फीसदी और उत्तर प्रदेश का हिस्सा 23 फीसदी तय क‍िया गया था. लेकि‍न इसमें राजस्थान, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के हिस्से का जिक्र नहीं क‍िया गया. तब इन राज्यों ने भी अपनी ह‍िस्‍सेदारी मांगी, ज‍िसके बाद यह व‍िवाद गहरा गया.

इसके बाद फरवरी, 1993 में द‍िल्‍ली और हर‍ियाणा के बीच भी एक समझौता हुआ, जिसके तहत मुनक नगर के जर‍िए दिल्ली को पानी देने पर समझौता हुआ. द‍िल्‍ली को पानी देने के ल‍िए अतिरिक्त जल वाहक प्रणाली के निर्माण पर सहमति बनी थी. 12 मई, 1994 को 5 राज्यों के बीच यमुना जल बंटवारे को लेकर एक समझौता हुआ था, ज‍िसके तहत उन राज्यों को उनके ह‍िस्‍से का कच्‍चा पानी उपलब्‍ध कराया जाता है. हालांक‍ि इस समझौते का सबसे ज्‍यादा फायदा द‍िल्‍ली को ही म‍िला था, जबक‍ि हर‍ियाणा को घाटा उठाना पड़ा. समझौते की धारा 7(3) में कहा गया कि यदि कभी पानी की मात्रा अनुमानित मात्रा से कम हो जाती है, तो सबसे पहले दिल्ली की पेयजल संबंधी जरूरतों को पूरा किया जाएगा.

द‍िल्‍ली को दूसरे राज्‍यों की तुलना में क्‍यों चाह‍िए ढाई गुणा ज्यादा पानी?

जवाब: द‍िल्‍ली की लगातार बढ़ती आबादी के चलते पड़ोसी राज्‍यों से ज्‍यादा पानी की ह‍िस्‍सेदारी की मांग भी लगातार की जाती रही है. द‍िल्‍ली लगातार इस बात का दवाब डालती रही है क‍ि उसके ह‍िस्‍से की पानी की आपूर्त‍ि बढ़ाई जाए. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जा चुका है. द‍िल्‍ली की तरफ से ह‍िस्‍सेदारी बढ़ाने के ल‍िए तर्क द‍िया गया क‍ि वह प्राप्त पानी का केवल 40 फीसदी ही पीने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जबकि करीब 8 फीसदी से ज्‍यादा पानी यमुना में ही चला जाता है. इससे हरियाणा और यूपी को ही लाभ म‍िलता है. इसके चलते दिल्ली को और ढाई गुणा ज्यादा पानी मिलना चाहिए. हालांकि इसे लेकर अभी व‍िवाद सुलझा नहीं है.

हर‍ियाणा से तनातनी तो ह‍िमाचल से कैसे म‍िलेगा द‍िल्‍ली को पानी, क्‍या है रास्‍ता?

जवाब: पानी की क‍िल्‍लत से जूझ रही द‍िल्‍ली ने अब ह‍िमाचल प्रदेश से 50 एमजीडी पानी लेने के ल‍िए समझौता क‍िया है. कच्चे पानी की आपूर्त‍ि बढ़ेगी तो द‍िल्‍ली को पीने का पानी उत्‍पाद‍ित क‍िया जा सकेगा. हिमाचल से पानी लेने के लिए एमओयू साइन किया गया है, जिसपर पानी देने को लेकर सहमति बनी. हालांक‍ि, द‍िल्‍ली सरकार का आरोप है वो ह‍िमाचल से पानी लेना चाहती है, लेकिन उसको भी हरियाणा ने अपर यमुना बोर्ड में रोक द‍िया है. इसके बाद दोनों राज्‍यों के बीच इस मामले पर तनातनी बनी हुई है.

दोनों राज्‍यों के बीच इस तरह की स्‍थ‍िति पहले भी सामने आती रही है. द‍िल्‍ली सरकार ने यह भी चेतावनी दी है क‍ि अगर जरूरत पड़ी तो वो एक बार फ‍िर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी. द‍िल्‍ली सरकार के दावे की मानें तो यमुना में वॉटर लेवल कम होने की वजह से हर रोज करीब 30-45 एमजीडी पानी का उत्पादन घट रहा है, ज‍िससे आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सरकार का तर्क है क‍ि द‍िल्‍ली, देश की राजधानी है और यहां हर रोज बड़ी संख्‍या में देशभर से लोगों की आवाजाही होती है. इस वजह से पानी की ड‍िमांड भी बढ़ती है, इसलिए जल की आपूर्त‍ि को बढ़ाना बेहद जरूरी है.

जीरो वॉटर सप्‍लाई एर‍िया से कैसी न‍िपटेगी सरकार?

जवाब: द‍िल्‍ली में पानी की क‍िल्‍लत को दूर करने और फौरी तौर पर समस्‍या को समाधान न‍िकालने के कई प्रयास क‍िए जा रहे हैं. द‍िल्‍ली के जो इलाके जीरो वॉटर सप्‍लाई की ओर बढ़े हैं, उनको पानी की आपूर्त‍ि करने के ल‍िए दो टाइम सप्लाई वाले एर‍िया को वन टाइम करके पानी देने की तैयारी की जा रही है. इससे परेशानी तो जरूर होगी, लेक‍िन उन इलाकों को पानी म‍िल सकेगा, जो क‍ि जीरो वॉटर सप्‍लाई में जा रहे हैं. सरकार ने अपने स्‍तर पर पानी की सप्‍लाई सुन‍िश्‍च‍ित करने के ल‍िए बोरवेल को चलाने का समय को भी दोगुना कर दिया है.

सरकार का दावा है क‍ि जो बोरबेल 6-7 घंटे चला करते थे, उनको अब 14 घंटे तक चलाया जा रहा है. इसके साथ ही लोगों से अपील की जा रही है क‍ि वो पानी की बर्बादी न करके उसके सही इस्‍तेमाल पर ध्‍यान दें. पानी की बर्बादी करने वालों से सख्‍ती से न‍िपटने की तैयारी भी की जा रही है. अगर वो नहीं मानते हैं तो ऐसे लोगों के ख‍िलाफ चालान काटने का भी कदम उठाया जाएगा.

द‍िल्‍ली मास्‍टर प्‍लान 2041 में प्रति व्‍यक्‍त‍ि पानी की ड‍िमांड क्‍या होगी?

जवाब: 2020 में दिल्ली की जल उपलब्धता 935 मिलियन गैलन प्रति दिन (एमजीडी) थी, जबकि कुल मांग 1,140 एमजीडी थी, जिसके परिणामस्वरूप 141 एमजीडी की कमी हुई. 2021 में द‍िल्‍ली में 2 करोड़ से ज्‍यादा आबादी को 1260 एमजीडी पानी की जरूरत महसूस की गई, जबक‍ि मास्‍टर प्‍लान 2041 में 2021 में 2.3 करोड़ की आबादी का अनुमान लगाते हुए 1,380 एमजीडी पानी की जरूरत का आकलन क‍िया गया था.

वहीं एमपीडी 2041 और दिल्ली के आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 की बात करें तो, 2031 में द‍िल्‍ली की आबादी तीन करोड़ के आसपास हो जाएगी और पानी की ड‍िमांड 1,746 एमजीडी पहुंचने का अनुमान है. इसमें घरेलू, वाणिज्यिक, औद्योगिक मांग और अग्निशमन सेवाओं आदि की मांग शामिल हैं. लेक‍िन इस ड‍िमांड को 2041 में कम होकर 1,455 एमजीडी होने की अनुमान है. इसकी एक बड़ी वजह यह है क‍ि एमपीडी-2021 ने प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 60 गैलन (जी.पी.सी.डी.) का मानदंड स्थापित किया गया है जबकि एमपीडी-2041 के लिए इसे घटाकर 50 जी.पी.सी.डी. कर दिया है. इससे 2041 के लिए 1,455 एम.जी.डी. का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

क्‍या द‍िल्‍ली को एक तरह का सप्‍लाई होता है पानी?

जवाब: दिल्ली में करीब 93 फीसदी घरों में पीने के पानी की सप्‍लाई पाइपलाइन के जर‍िए होती है. हालांकि, इसकी मात्रा और गुणवत्ता दोनों अलग-अलग होती हैं. राजधानी की करीब दो करोड़ की आबादी को पानी की आपूर्ति 15,383 किलोमीटर पाइपलाइन और 117 से अधिक भूमिगत जलाशय (यूजीआर) का नेटवर्क के जर‍िए होती है. दिल्ली के आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के आंकड़ों की मानें, तो यहां पानी की सप्‍लाई के तीन अहम स्रोत हैं ज‍िनमें पहला हरियाणा से कच्चा पानी है जो क‍ि डीजेबी को कैरियर लाइन चैनलों, दिल्ली सब-ब्रांच (डीएसबी) नहरों और यमुना नदी के जर‍िए मिलता है. दूसरा स्रोत गंगा जल आपूर्ति और तीसरा स्रोत भूजल आपूर्ति है. अगर आने वाले समय में द‍िल्‍ली को पानी के संकट से बचना है तो उसको अपने उत्‍पादन को बढ़ाने के स्रोत पर ज्‍यादा ध्‍यान देना होगा.

यह भी पढ़ें- दिल्ली में पानी की किल्लत को लेकर बीजेपी ने राज्य सरकार पर उठाए सवाल, कहा- केजरीवाल राजनीतिक ड्रामेबाजी में लगी है

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नई द‍िल्‍ली: गर्मी शुरू होते ही द‍िल्‍ली में पीने के पानी को लेकर त्राह‍ि-त्राह‍ि होने लगती है. राजधानी का अध‍िकतम पारा 52 पार कर रहा है तो ऐसे में पानी की ड‍िमांड और ज्‍यादा हो गई है. ड‍िमांड ज्‍यादा होने के साथ हर‍ियाणा से मिलने वाला पानी भी कम हो गया है. इससे स्‍थ‍ित‍ि गंभीर और ज्‍यादा च‍िंताजनक बन गई है. दरअसल द‍िल्‍ली के पास पानी का अपना कोई ठोस स्रोत नहीं है. इसल‍िए द‍िल्‍ली हमेशा हर‍ियाणा और उत्‍तर प्रदेश पर न‍िर्भर रहा है. दिल्ली को हर‍ियाणा के मुनक नहर और यूपी के गंग नहर/मुरादनगर के जर‍िए पानी म‍िलता रहा है.

अभी फिलहाल दिल्ली को हर‍ियाणा से कच्‍चा पानी यमुना नदी के जर‍िए म‍िलता है. यमुना जल विवाद को लेकर दिल्ली और हरियाणा सरकार कई बार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी है. हर बार फौरी तौर पर समस्‍या का समाधान होता आया है. अब जब राजधानी पर एक बार फ‍िर जलसंकट गहरा रहा है, तो इस पर चर्चा होना और सवाल उठना लाज‍मी है क‍ि आख‍िरी द‍िल्‍ली के पास पानी को लेकर अपने क्‍या स्रोत हैं और पानी के व‍ितरण का प्रबंधन क‍िस तरह का है? द‍िल्‍ली को क‍ितना पानी रोज चाह‍िए? इन सभी को स‍िलस‍िलेवार तरीके से समझना होगा.

पानी से संबंधित महत्वपूर्ण बातें
पानी से संबंधित महत्वपूर्ण बातें (ETV Bharat)

दिल्ली के पास पानी के स्त्रोत: द‍िल्‍ली पानी को लेकर हमेशा अपने पड़ोसी राज्‍यों पर ही न‍िर्भर रहता है. भीषण गर्मी में राजधानी पानी की क‍िल्‍लत से जूझने लगती है. वहीं, द‍िल्‍ली और हर‍ियाणा सरकार के बीच पानी को लेकर स‍ियासत भी गरमा जाती है. द‍िल्‍ली जहां हर‍ियाणा पर कम पानी छोड़ने के आरोप लगाती है, तो हर‍ियाणा उस पर पानी की बर्बादी और पर्याप्‍त पानी छोड़ने जाने की बात कहता रहा है. लेकिन सच्चाई यह है कि द‍िल्ली के पास पानी के अपने कोई ठोस स्रोत उपलब्‍ध नहीं हैं. यमुना नदी में हर‍ियाणा की तरफ से छोड़े जाने वाले पानी पर न‍िर्भर करता है द‍िल्‍ली को क‍ितने पानी की सप्‍लाई हर रोज होगी.

वहीं, द‍िल्‍ली को यूपी की तरफ से अपर गंग नहर के जर‍िए हैदरपुर और ओखला साइड से भी पानी म‍िलता रहा है. हालांक‍ि, मौजूदा सरकार पानी के उत्‍पादन के अपने स्रोतों को मजबूत बनाने का दावा लंबे समय से करती आ रही है. हालांकि, दिल्ली की ओर से भी यमुना के बाढ़ के मैदानों और अन्य क्षेत्रों में विभिन्न रेनी वेल (कुएं) और ट्यूबवेल के जर‍िए भी पानी उत्‍पादन होता है.

ऐसे पता चलता है हरियाणा द्वारा छोड़े जाने वाले पानी का: अक्‍सर द‍िल्‍ली और हर‍ियाणा सरकार के बीच इस बात को लेकर व‍िवाद रहता है क‍ि हर‍ियाणा सरकार की तरफ से द‍िल्‍ली को जो हर रोज पानी म‍िलना चाह‍िए, वो यमुना नदी में नहीं छोड़ा जा रहा है. इस मामले पर गौर करें, तो यमुना के वॉटर लेवल के आधार पर इसका मानक तय क‍िया जाता है. ताजा उदाहरण है क‍ि, एक मई को यमुना जल स्तर 674.5 फीट र‍िकॉर्ड किया गया था, जो औसतन 674.5 फीट लगातार बनाए रखना होता है. लेकिन जानकारी के मुताबिक, इस साल एक मई से यमुना का वॉटर लेवल लगातार गिर रहा है. इसके पीछे की बड़ी वजह यह मानी जा रही है क‍ि मई माह शुरू होने के साथ हरियाणा ने यमुना में पानी छोड़ना बंद कर दिया है.

हर‍ियाणा की तरफ से यमुना में आने वाले पानी पर ही द‍िल्‍ली में पानी की सप्‍लाई तय होती है. प‍िछले साल 2023 के अप्रैल, मई और जून माह में वजीराबाद में 674.5 फीट वॉटर लेवल था. आंकड़ों पर नजर डालें तो एक मई को वजीराबाद में यमुना का जलस्तर 674.5 फीट र‍िकॉर्ड क‍िया था, जो 8 मई तक गिरकर 672 फीट पर आ गया. वहीं 20 मई को यह जलस्तर 671 फीट, 24 मई को 670.2 फीट और 28 मई को 669.8 फीट पर पहुंच गया.

यमुना जल समझौता
यमुना जल समझौता (ETV Bharat)

यमुना में पर्याप्त पानी नहीं छोड़ने का क्‍या असर होता है?

जवाब: अगर हर‍ियाणा की ओर से यमुना में कच्‍चा पानी पर्याप्‍त मात्रा में नहीं छोड़ा जाएगा, तो इसका बड़ा असर द‍िल्‍ली के वॉटर ट्रीटमेंट प्‍लांट्स पर पड़ता है. यमुना का यह पानी वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में आता है. अगर इसकी मात्रा कम होती है तो डब्‍ल्यूटीपी में उपचार‍ित पानी की मात्रा घट जाती है. इसका सीधा असर द‍िल्‍ली में पानी की सप्‍लाई पर पड़ता है, जिसकी वजह से द‍िल्‍ली के अलग-अलग ह‍िस्‍सों में पानी की सप्‍लाई में कटौती करनी पड़ती है. इसकी वजह से ही अब द‍िल्‍ली में पानी का संकट गहराता नजर आ रहा है. पड़ोसी राज्‍य हर‍ियाणा से म‍िलने वाले कच्चे पानी (रॉ वॉटर) की कमी के चलते प‍िछले एक सप्‍ताह से कई इलाकों में पानी की गंभीर समस्‍या बनी हुई है.

द‍िल्‍ली-हर‍ियाणा के बीच क्‍या है यमुना जल व‍िवाद?

जवाब: द‍िल्‍ली और हर‍ियाणा के बीच हमेशा से यमुना जल व‍िवाद रहा है. यमुना नदी के जल के बंटवारे से जुड़ा व‍िवाद आज का नहीं, बल्‍क‍ि सालों पुराना है. यमुना नदी के पानी के बंटवारे का व‍िवाद पांच राज्यों से जुड़ा है. इनमें द‍िल्‍ली के अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश जुड़े हैं. बात अगर सबसे पहले यमुना जल समझौते की करें, तो यह 1954 में स‍िर्फ दो राज्यों हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच हुआ था. इसके तहत यमुना के जल में हरियाणा का हिस्सा 77 फीसदी और उत्तर प्रदेश का हिस्सा 23 फीसदी तय क‍िया गया था. लेकि‍न इसमें राजस्थान, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के हिस्से का जिक्र नहीं क‍िया गया. तब इन राज्यों ने भी अपनी ह‍िस्‍सेदारी मांगी, ज‍िसके बाद यह व‍िवाद गहरा गया.

इसके बाद फरवरी, 1993 में द‍िल्‍ली और हर‍ियाणा के बीच भी एक समझौता हुआ, जिसके तहत मुनक नगर के जर‍िए दिल्ली को पानी देने पर समझौता हुआ. द‍िल्‍ली को पानी देने के ल‍िए अतिरिक्त जल वाहक प्रणाली के निर्माण पर सहमति बनी थी. 12 मई, 1994 को 5 राज्यों के बीच यमुना जल बंटवारे को लेकर एक समझौता हुआ था, ज‍िसके तहत उन राज्यों को उनके ह‍िस्‍से का कच्‍चा पानी उपलब्‍ध कराया जाता है. हालांक‍ि इस समझौते का सबसे ज्‍यादा फायदा द‍िल्‍ली को ही म‍िला था, जबक‍ि हर‍ियाणा को घाटा उठाना पड़ा. समझौते की धारा 7(3) में कहा गया कि यदि कभी पानी की मात्रा अनुमानित मात्रा से कम हो जाती है, तो सबसे पहले दिल्ली की पेयजल संबंधी जरूरतों को पूरा किया जाएगा.

द‍िल्‍ली को दूसरे राज्‍यों की तुलना में क्‍यों चाह‍िए ढाई गुणा ज्यादा पानी?

जवाब: द‍िल्‍ली की लगातार बढ़ती आबादी के चलते पड़ोसी राज्‍यों से ज्‍यादा पानी की ह‍िस्‍सेदारी की मांग भी लगातार की जाती रही है. द‍िल्‍ली लगातार इस बात का दवाब डालती रही है क‍ि उसके ह‍िस्‍से की पानी की आपूर्त‍ि बढ़ाई जाए. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जा चुका है. द‍िल्‍ली की तरफ से ह‍िस्‍सेदारी बढ़ाने के ल‍िए तर्क द‍िया गया क‍ि वह प्राप्त पानी का केवल 40 फीसदी ही पीने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जबकि करीब 8 फीसदी से ज्‍यादा पानी यमुना में ही चला जाता है. इससे हरियाणा और यूपी को ही लाभ म‍िलता है. इसके चलते दिल्ली को और ढाई गुणा ज्यादा पानी मिलना चाहिए. हालांकि इसे लेकर अभी व‍िवाद सुलझा नहीं है.

हर‍ियाणा से तनातनी तो ह‍िमाचल से कैसे म‍िलेगा द‍िल्‍ली को पानी, क्‍या है रास्‍ता?

जवाब: पानी की क‍िल्‍लत से जूझ रही द‍िल्‍ली ने अब ह‍िमाचल प्रदेश से 50 एमजीडी पानी लेने के ल‍िए समझौता क‍िया है. कच्चे पानी की आपूर्त‍ि बढ़ेगी तो द‍िल्‍ली को पीने का पानी उत्‍पाद‍ित क‍िया जा सकेगा. हिमाचल से पानी लेने के लिए एमओयू साइन किया गया है, जिसपर पानी देने को लेकर सहमति बनी. हालांक‍ि, द‍िल्‍ली सरकार का आरोप है वो ह‍िमाचल से पानी लेना चाहती है, लेकिन उसको भी हरियाणा ने अपर यमुना बोर्ड में रोक द‍िया है. इसके बाद दोनों राज्‍यों के बीच इस मामले पर तनातनी बनी हुई है.

दोनों राज्‍यों के बीच इस तरह की स्‍थ‍िति पहले भी सामने आती रही है. द‍िल्‍ली सरकार ने यह भी चेतावनी दी है क‍ि अगर जरूरत पड़ी तो वो एक बार फ‍िर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी. द‍िल्‍ली सरकार के दावे की मानें तो यमुना में वॉटर लेवल कम होने की वजह से हर रोज करीब 30-45 एमजीडी पानी का उत्पादन घट रहा है, ज‍िससे आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सरकार का तर्क है क‍ि द‍िल्‍ली, देश की राजधानी है और यहां हर रोज बड़ी संख्‍या में देशभर से लोगों की आवाजाही होती है. इस वजह से पानी की ड‍िमांड भी बढ़ती है, इसलिए जल की आपूर्त‍ि को बढ़ाना बेहद जरूरी है.

जीरो वॉटर सप्‍लाई एर‍िया से कैसी न‍िपटेगी सरकार?

जवाब: द‍िल्‍ली में पानी की क‍िल्‍लत को दूर करने और फौरी तौर पर समस्‍या को समाधान न‍िकालने के कई प्रयास क‍िए जा रहे हैं. द‍िल्‍ली के जो इलाके जीरो वॉटर सप्‍लाई की ओर बढ़े हैं, उनको पानी की आपूर्त‍ि करने के ल‍िए दो टाइम सप्लाई वाले एर‍िया को वन टाइम करके पानी देने की तैयारी की जा रही है. इससे परेशानी तो जरूर होगी, लेक‍िन उन इलाकों को पानी म‍िल सकेगा, जो क‍ि जीरो वॉटर सप्‍लाई में जा रहे हैं. सरकार ने अपने स्‍तर पर पानी की सप्‍लाई सुन‍िश्‍च‍ित करने के ल‍िए बोरवेल को चलाने का समय को भी दोगुना कर दिया है.

सरकार का दावा है क‍ि जो बोरबेल 6-7 घंटे चला करते थे, उनको अब 14 घंटे तक चलाया जा रहा है. इसके साथ ही लोगों से अपील की जा रही है क‍ि वो पानी की बर्बादी न करके उसके सही इस्‍तेमाल पर ध्‍यान दें. पानी की बर्बादी करने वालों से सख्‍ती से न‍िपटने की तैयारी भी की जा रही है. अगर वो नहीं मानते हैं तो ऐसे लोगों के ख‍िलाफ चालान काटने का भी कदम उठाया जाएगा.

द‍िल्‍ली मास्‍टर प्‍लान 2041 में प्रति व्‍यक्‍त‍ि पानी की ड‍िमांड क्‍या होगी?

जवाब: 2020 में दिल्ली की जल उपलब्धता 935 मिलियन गैलन प्रति दिन (एमजीडी) थी, जबकि कुल मांग 1,140 एमजीडी थी, जिसके परिणामस्वरूप 141 एमजीडी की कमी हुई. 2021 में द‍िल्‍ली में 2 करोड़ से ज्‍यादा आबादी को 1260 एमजीडी पानी की जरूरत महसूस की गई, जबक‍ि मास्‍टर प्‍लान 2041 में 2021 में 2.3 करोड़ की आबादी का अनुमान लगाते हुए 1,380 एमजीडी पानी की जरूरत का आकलन क‍िया गया था.

वहीं एमपीडी 2041 और दिल्ली के आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 की बात करें तो, 2031 में द‍िल्‍ली की आबादी तीन करोड़ के आसपास हो जाएगी और पानी की ड‍िमांड 1,746 एमजीडी पहुंचने का अनुमान है. इसमें घरेलू, वाणिज्यिक, औद्योगिक मांग और अग्निशमन सेवाओं आदि की मांग शामिल हैं. लेक‍िन इस ड‍िमांड को 2041 में कम होकर 1,455 एमजीडी होने की अनुमान है. इसकी एक बड़ी वजह यह है क‍ि एमपीडी-2021 ने प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 60 गैलन (जी.पी.सी.डी.) का मानदंड स्थापित किया गया है जबकि एमपीडी-2041 के लिए इसे घटाकर 50 जी.पी.सी.डी. कर दिया है. इससे 2041 के लिए 1,455 एम.जी.डी. का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

क्‍या द‍िल्‍ली को एक तरह का सप्‍लाई होता है पानी?

जवाब: दिल्ली में करीब 93 फीसदी घरों में पीने के पानी की सप्‍लाई पाइपलाइन के जर‍िए होती है. हालांकि, इसकी मात्रा और गुणवत्ता दोनों अलग-अलग होती हैं. राजधानी की करीब दो करोड़ की आबादी को पानी की आपूर्ति 15,383 किलोमीटर पाइपलाइन और 117 से अधिक भूमिगत जलाशय (यूजीआर) का नेटवर्क के जर‍िए होती है. दिल्ली के आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के आंकड़ों की मानें, तो यहां पानी की सप्‍लाई के तीन अहम स्रोत हैं ज‍िनमें पहला हरियाणा से कच्चा पानी है जो क‍ि डीजेबी को कैरियर लाइन चैनलों, दिल्ली सब-ब्रांच (डीएसबी) नहरों और यमुना नदी के जर‍िए मिलता है. दूसरा स्रोत गंगा जल आपूर्ति और तीसरा स्रोत भूजल आपूर्ति है. अगर आने वाले समय में द‍िल्‍ली को पानी के संकट से बचना है तो उसको अपने उत्‍पादन को बढ़ाने के स्रोत पर ज्‍यादा ध्‍यान देना होगा.

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Last Updated : May 29, 2024, 8:40 PM IST
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