जयपुर. यूं तो छोटी काशी में भगवान गणेश के छोटे-बड़े कई प्राचीन मंदिर हैं, लेकिन इन दिनों नाहरगढ़ की पहाड़ियों पर स्थित गढ़ गणेश मंदिर पर आस्था का सैलाब उमड़ रहा है. यहां भगवान गणेश का बाल स्वरूप यानी बिना सूंड वाले गणेश जी की पूजा की जाती है. हाल ही में सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो वायरल हुए थे. उसी के बाद से यहां हर बुधवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी है.
जयपुर की स्थापना से जुड़ा है मंदिर का इतिहास : भगवान गणेश के जन्म की पौराणिक मान्यता और कथा-कहानियों से जो परिचित हैं, वो जानते हैं कि कैसे भगवान गणपति को हाथी के सिर वाला स्वरूप मिला, लेकिन जयपुर स्थित गढ़ गणेश मंदिर ऐसा है, जहां आज भी प्रथम पूज्य के बाल स्वरूप की प्रतिमा स्थापित है. यानी यहां बिना सूंड वाले विनायक स्वरूप की पूजा-अर्चना होती है. जयपुर की बसावट से पहले महाराजा सवाई जयसिंह ने अश्वमेघ यज्ञ कराया था, तब बाल स्वरूप भगवान गणेश की प्रतिमा गढ़ गणेश मंदिर में स्थापित कराई गई थी. उसके बाद जयपुर की नींव रखी गई थी.
इसे भी पढ़ें - त्रिनेत्र गणेश मंदिर जाने के लिए 2 दिन निजी वाहनों पर रहेगी रोक, भक्तों की आस्था पर भारी पड़े वन विभाग के आदेश
आस्था पर प्रभावी सोशल मीडिया : वहीं, भगवान गणेश का ये मंदिर जयपुर के विकास का भी गवाह रहा है. हर वर्ष गणेश चतुर्थी पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर भगवान के दर पर पहुंचते हैं, लेकिन बीते करीब दो माह से यहां हर बुधवार को आस्था का सैलाब उमड़ रहा है. वहीं, इसकी वजह सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो को बताया जा रहा है. इस वीडियो में एक एस्ट्रोलॉजर त्रिशला भगवान गणेश के इस धाम का जिक्र करते हैं. साथ ही वो कहते हैं कि गढ़ गणेश मंदिर में एक ऐसी प्रतिमा है, जो की इतनी सिद्ध है कि वहां यदि कोई भी मनवांछित इच्छा लेकर लगातार सात बुधवार तक जाए तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी. हालांकि, तमाम चुनौतियों के बीच यहां सात बुधवार तक नियमित आना भी आसान नहीं है.
भक्तों को भगवान से आस : इस वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद से ही यहां हर बुधवार श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है. लोग अपनी मनोकामना पूरी होने की मुराद लेकर गढ़ गणेश धाम पहुंच रहे हैं. भक्तों को उम्मीद है कि बिना किसी विघ्न के उनके सात बुधवार पूरे हो जाएंगे तो उनकी मनोकामनाएं जरूर पूरी होंगी. कुछ श्रद्धालुओं के 6 से 7 बुधवार हो भी चुके हैं तो कुछ ने अभी शुरुआत ही की है. लोगों का विश्वास है कि उनकी मनोकामनाएं जरूर पूरी होगी, क्योंकि दुनिया विश्वास पर टिकी है और इस विश्वास से वो भी भगवान के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.
इसे भी पढ़ें - जयपुर: पुष्य नक्षत्र पर गणेश मंदिरों में हुआ पंचामृत अभिषेक, ऑनलाइन हुए दर्शन
भक्तों ने कही ये बात : वहीं, कुछ श्रद्धालुओं ने बताया कि यहां हर बुधवार को आकर एक पेड़ पर सिक्का चिपकाना होता है. उससे मनोकामना पूरी होती है तो किसी ने यहां स्थापित मूषक की प्रतिमा के कान में कहकर जाने से मनोकामना पूर्ण होने की बात कही, लेकिन सबका यही कहना है कि उनकी मनोकामनाएं जरूर पूरी होगी. लोगों कहना है कि भगवान गणेश सबकी मुराद सुनते हैं, बस आस्था होनी चाहिए. वहीं, कुछ ने बताया कि उन्हें सोशल मीडिया से नहीं, बल्कि किसी ने पहले ही सुझाव दिया था. बस अब वो इस पर अमल कर रहे हैं.
मंदिर में भीड़ देखकर दंग हैं सभी : इस बीच कुछ ऐसे भी भक्त मिले, जिन्होंने कहा कि मनोकामनाएं बताई नहीं जाती हैं. वहीं, कुछ श्रद्धालु ऐसे भी थे, जो यहां बरसों से नियमित आ रहे हैं और इन दिनों गणेश धाम पर भक्तों का सैलाब देखकर वो भी आश्चर्यचकित हैं. हालांकि, भगवान गणेश की महिमा के बारे में उन्होंने बताया कि यहां हर मनोकामना पूरी होती है. बस श्रद्धा के साथ से मांगने की जरूरत है. कोई यहां पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए तो कोई अच्छे जीवनसाथी की कामना के लिए तो कोई व्यापार में उन्नति और समृद्धि के लिए भगवान के दर्शन व पूजन के लिए आ रहा है.
इसे भी पढ़ें - जानिए गुलाबी शहर में 285 साल पुराने कल्कि मंदिर का इतिहास, ये है मान्यता
भक्तों की सुरक्षा में पुलिस की तैनाती : मंदिर में पहुंची असंख्य भक्तों की भीड़ को व्यवस्थित करने और किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए मंदिर प्रशासन की ओर से स्थानीय थाना पुलिस से हर बुधवार को व्यवस्थाएं चाक चौबंद करने का आग्रह किया गया है. पुलिस की ओर से बताया कि यहां हर बुधवार श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है. ऐसी भीड़ गणेश चतुर्थी पर भी कभी नहीं देखी गई. इस भीड़ को देखते हुए यहां पुलिस प्रशासन का जाब्ता तैनात किया गया है. यही नहीं गढ़ गणेश पहुंचने वाले मुख्य ब्रह्मपुरी बाजार से ही वाहनों को डायवर्ट करना शुरू कर दिया गया है, ताकि यहां लगने वाले जाम से बचा जा सके.
भगवान को दूरबीन से निहारते थे महाराज : आपको बता दें कि भगवान गणेश के इस धाम से जयपुर का विहंगम दृश्य दिखाई देता है. रियासत कालीन इस मंदिर के महंत प्रदीप औदिच्य ने बताया कि मंदिर में विनायक को इस तरह प्रतिष्ठित किया गया था कि सिटी पैलेस के इन्द्र महल से महाराजा दूरबीन से भगवान के दर्शन कर सकें. वहीं, इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 365 सीढ़ियां बनी हुई हैं, जिसे एक दिन में एक सीढ़ी तैयार करते हुए साल भर में बनाया किया गया था. उन्होंने बताया कि इस मंदिर के निर्माण के समय सवाई जयसिंह ने वास्तु का भी विशेष ध्यान रखा था.
इसे भी पढ़ें - ॐ आकार मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा आज, बनने में लगे 30 साल
वहीं, मंदिर परिसर में एक शिव मंदिर भी है, जिसमें पूरा शिव परिवार विराजित है. यहां भगवान बजरंगबली भी विराजमान हैं. साथ ही मंदिर परिसर में दो मूषकों की भी प्रतिमा है. मान्यता है कि इन मूषकों के कान में अपनी इच्छा बताने से वो उसे बाल गणेश तक पहुंचाते हैं. हालांकि, भगवान गणेश की इस प्रतिमा की तस्वीर लेना पूरी तरह से प्रतिबंधित है.