बालोद: साइंस आज भी छात्रों के माथे पर शिकन ले आता है. मैथ्स और साइंस दो ऐसे विषय रहे हैं जिन छात्रों को इनमें रुचि नहीं होती. ये दो सब्जेक्ट पढ़ना और समझना पहाड़ खोदने के बराबर होता है. बालोद में बच्चों को साइंस पढ़ाने का शिक्षकों ने एक नया तरीका निकाला है लर्न विद फन. खेल खेल में साइंस समझाने के लिए बच्चों के लिए शिक्षकों ने एक अभियान चलाया है जिसका नाम रखा गया है ''हर घर गुब्बारा कार''. बच्चों को बताया जा रहा है कि कैसे वो साइंस की मदद से बिना तेल और बैट्री के भी गाड़ी को आसानी से चला सकते हैं.
"हर घर गुब्बारा कार": अभियान में बच्चों की हिस्सेदारी हो ताकि वो सीख पाएं इसका पूरा ध्यान रखा गया है. हर सरकारी स्कूल में तीन से चार हजार गुब्बारा कारों के जरिए बच्चों को टीच किया जा रहा है. बच्चे भी इस अभियान से जुड़कर काफी खुश हैं. बच्चे न सिर्फ इस अभियान का हिस्सा बन रहे हैं बल्कि साइंस के प्रति उनकी समझ भी काफी डेवलप कर रही है. शिक्षक भी ये मान रहे हैं कि बच्चों को इस तरीके से समझाने पर उसका फायदा मिल रहा है.
बच्चे न्यूटन के नियम को बेहतर ढंग से समझ रहे हैं. इससे पहले एक समय था जब हवा की बातें हवा में निकल जाती थी. अब इस प्रयोग से बच्चे हवा को महसूस करने के साथ इसे अनुभव कर रहे हैं. खेल खेल में बच्चों को न्यूटन के नियमों को समझाने का इससे बेहतर जरिया और कोई नहीं हो सकता - शिक्षक
कबाड़ से बना रहे जुगाड़: बच्चों की गुब्बारा कार बनाने के लिए कबाड़ का इस्तेमाल किया जा रहा है. कबाड़ से बना जुगाड़ इतना काम कर रहा है कि बच्चे अब घर में भी कुछ नया करने की कोशिश कर रहे हैं. बच्चों के परिजन भी ये मान रहे हैं कि पढ़ाई की ये नई तकनीक बच्चों को सिखाने में बेहतर काम कर रही है. बच्चों के बनाए कबाड़ से जुगाड़ को आने वाले 28 फरवरी के दिन विज्ञान प्रदर्शनी में भी रखा जाएगा.