हल्द्वानी: इस बार हल्द्वानी नगर निगम चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के लिए बनभूलपुरा हिंसा चुनाव का मुद्दा बन गई है. 8 फरवरी 2024 को हुई हिंसा पूरे देश में सुर्खियों में बनी रही. बनभूलपुरा क्षेत्र में करीब 42 हजार से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं, जिन्होंने पूर्व में हुए नगर निगम चुनाव में प्रत्याशियों की जीत के समीकरण को पलट दिया था. इस बार मेयर पद के लिए कोई मुस्लिम प्रत्याशी नहीं होने के चलते चुनाव दिलचस्प बन गया है. ऐसे में ईटीवी भारत ने चुनाव को लेकर लोगों की राय जानी है.
हल्द्वानी नगर निगम में कांग्रेस और भाजपा का मुकाबला: पूरे प्रदेश में हल्द्वानी नगर निगम सीट इन दोनों चर्चा में हैं. दरअसल निर्वाचन आयोग ने हल्द्वानी मेयर सीट को पहले ओबीसी आरक्षण कर दिया था, लेकिन आरक्षण की अंतिम सूची में हल्द्वानी मेयर सीट सामान्य सीट घोषित हुई. कई लोगों ने चुनाव लड़ने की मंशा जताई, लेकिन आखिरकार भाजपा से गजराज बिष्ट और कांग्रेस से ललित जोशी को पार्टी का टिकट हाथ लगा. मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच है. उत्तराखंड में 23 जनवरी को मतदान होना है, जबकि 25 जनवरी को परिणामों की घोषणा होनी है.
मुस्लिम प्रत्याशी नहीं होने से चुनाव में लोगों की नहीं दिलचस्पी: मुस्लिम मतदाताओं का कहना है कि इस बार मेयर पद से कोई मुस्लिम प्रत्याशी नहीं होने के चलते लोगों में चुनाव को लेकर दिलचस्पी नहीं देखी जा रही है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि समाजवादी पार्टी से शोएब अहमद ने अपना नामांकन किया था, लेकिन उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया. इसकी वजह क्या रही. ऐसे में हल्द्वानी नगर निगम का चुनाव अब प्रत्याशी हिंदू-मुस्लिम के मुद्दों पर लड़ रहे हैं. मुस्लिम मतदाताओं का कहना है कि चुनाव किस तरफ करवट बदलेगा यह तो मतदान के समय पता चलेगा.
बनभूलपुरा के साथ हुआ सौतेला व्यवहार-स्थानीय लोग: स्थानीय लोगों का आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी का पिछले 10 सालों से हल्द्वानी में मेयर है, लेकिन बनभूलपुरा में विकास नहीं हुआ है. उनके क्षेत्र की नालियां और सड़कें टूटी हुई हैं. बनभूलपुरा के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार किया गया है. वहीं, मुस्लिम मतदाताओं का कहना है कि इस चुनाव में केवल कांग्रेस और भाजपा के ही प्रत्याशी आमने-सामने हैं. ऐसे में लोगों के सामने तीसरा विकल्प कोई नहीं दिख रहा है.
मुस्लिम प्रत्याशी नहीं होने से कांग्रेस खुश: फिलहाल हल्द्वानी नगर निगम मेयर सीट भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है. कांग्रेस पार्टी मुस्लिम मतदाताओं पर अपनी निगाहें बनाए हुए है, तो वहीं भारतीय जनता पार्टी मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के प्रयास में जुटी हुई है, क्योंकि वर्ष 2018 में हुए नगर निगम चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी शोएब अहमद करीब 10 हजार मत लेकर कांग्रेस की जीत में रोड़ा बने थे. ऐसे में इस बार मुस्लिम प्रत्याशी नहीं होने से कांग्रेस पार्टी उत्साहित है.
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