जयपुर : राजस्थान का कर्मचारी एक बार फिर सरकार की वादाखिलाफी के चलते आंदोलन की राह पर है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की वेतन विसंगति संबंधित सिफारिशों को 1 सितंबर, 2024 से लागू करने की घोषणा के बाद भी समिति की सिफारिशों को सार्वजनिक नहीं किए जाने से प्रदेश के कर्मचारी संगठन नाराज हैं. इसी वादाखिलाफी के विरोध में अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के आह्वान पर शुक्रवार को प्रदेशभर के सभी जिला मुख्यालय पर ज्ञापन दिवस मनाया गया. इसमें जिला कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया. साथ ही महासंघ ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार द्विपक्षीय वार्ता के लिए तैयार नहीं होती है तो वो आंदोलन के लिए आगे मजबूरन होंगे.
सरकार ने की वादाखिलाफी : एकीकृत महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि 29 जुलाई, 2024 को वित्त व विनियोग विधेयक पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घोषणा की थी कि गत सरकार की ओर से गठित कर्मचारी वेतन विसंगति परीक्षण समिति की वेतन सुधार/वेतन विसंगति संबंधी शेष सभी सिफारिश को 1 सितंबर, 2024 से लागू कर दिया जाएगा. हालांकि, घोषणा के बाद भी आज तक राज्य सरकार ने वेतन विसंगति परीक्षण समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया है. इससे प्रदेश के कर्मचारियों में आक्रोश है.
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उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के वादाखिलाफी के विरोध में प्रदेश के राज्य कर्मचारियों ने शुक्रवार को अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के आह्वान पर जिला अध्यक्षों के नेतृत्व में सभी जिला मुख्यालयों पर ज्ञापन दिवस मनाया. जयपुर में मुख्य सचिव के जरिए, जबकि जिलों में जिला कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन दिया गया है.
ज्ञापन में मुख्यमंत्री से उनकी घोषणा के मुताबिक वेतन विसंगति परीक्षण समिति की रिपोर्ट को शीघ्र सार्वजनिक करने की मांग की गई. राठौड़ ने कहा कि ज्ञापन का कार्यक्रम शांतिपूर्ण तरीके से बिना धरने प्रदर्शन के आयोजित किया गया. इसके बाद भी अगर सरकार ने समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया तो राज्यव्यापी आंदोलन के लिए हम मजबूर होंगे.
कमेटी बनी, लेकिन रिपोर्ट नहीं आई : गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार ने कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों को दूर करने के लिए 3 नवंबर, 2017 को डी. सी. सामंत, सेवानिवृत्त आईएएस की अध्यक्षता में वेतन विसंगति निवारण समिति का गठन किया था. जिसकी रिपोर्ट सामंत कमेटी ने 5 अगस्त, 2019 को राज्य सरकार को सौंप दी थी, लेकिन सरकार ने इस कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की बजाय वेतन विसंगतियों के निराकरण के लिए 5 अगस्त, 2021 को एक और कमेटी खेमराज चौधरी, सेवानिवृत्त आईएएस की अध्यक्षता में कर्मचारी वेतन विसंगति परीक्षण समिति के नाम से गठित कर दी.
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इस कमेटी की रिपोर्ट भी 30 दिसंबर, 2022 को राज्य सरकार को प्राप्त हो गई. ये दोनों ही रिपोर्ट वर्तमान में राज्य सरकार में परीक्षणाधीन हैं. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने इससे पहले भी वेतन विसंगतियों के निराकरण के लिए कई कमेटियां बनाई हैं, लेकिन उनकी रिपोर्टों को कभी सार्वजनिक नहीं किया. सरकार की इस सरकार को बार चेताने पर भी सरकार इस और ध्यान नहीं दें.